पहले रवीश जी की पोस्ट आयी अहमदाबाद के जातिवाद के बारे में.पढ़कर बहुत आश्चर्य हुआ. अब रवीश जी जैसा सम्मानित पत्रकार जब स्पेशल रिपोर्ट कर रहा है तो फिर शक की गुंजाइस तो थी नहीं फिर भी मन नहीं माना.अपने एक मित्र से संपर्क किया जो अहमदाबाद में रहे हैं तो उन्होने भी इस तरह… Continue reading अहमदाबाद और दिल्ली का जातिवाद ? ..
Category: बहस
क्या केवल “सैक्स” ही बिकता है..एक “सैक्सी” विश्लेषण..
अपनी पिछ्ली पोस्ट में मैं कुछ उधेड़बुन में था कि ब्लौग क्या बिना उद्देश्य के भी लिखा जा सकता है … आप लोगों की टिप्पणीयों से साहस बंधा कि मुझे इस प्रश्न पर सर खपाने की बजाय लिखते रहना चाहिये …. इसलिये अब अपने सारे पूर्वाग्रह और दुराग्रह छोड़ के फिर से उपस्थित हुआ हूँ… Continue reading क्या केवल “सैक्स” ही बिकता है..एक “सैक्सी” विश्लेषण..
ब्लौगिंग का उद्देश्य .. और अपनी पहचान..
आज कई दिन बाद फिर से अवतरित हुआ हूँ इस ब्लौग में… इस बीच ना जाने कितने नये ब्लौग आ चुके होंगे और नयी पोस्ट तो और भी ज्यादा होंगी ..लेकिन मैं कुछ भी पोस्ट करने का साहस नहीं जुटा पा रहा था ..एक तो समय की कमी और दूसरी मन में ब्लौग को लेकर… Continue reading ब्लौगिंग का उद्देश्य .. और अपनी पहचान..
क्या आप योग के लिये पैसा देंगे..??
क्या आपको मालूम है आप अपने घर में अब योगाभ्यास नहीं कर सकते ? क्योंकि यदि आप योगाभ्यास करेंगे तो आपको श्री विक्रम चौधरी जी को पैसे देने पड़ेंगे…..क़्योकि योग का आविष्कार भले ही उन्होने न किया हो योग का पेटेंट उनके नाम जरूर है. आज सुबह जब उठा तो सोचा बहुत मोटे हो रहे… Continue reading क्या आप योग के लिये पैसा देंगे..??
आओ ‘अनाम’ के अस्तित्व को स्वीकारें
वैसे तो मुझे खुशी होनी चाहिये थी कि कल ढेर सारी हिट्स भी मिले और टिप्पणीयां भी ….पर ना जाने क्यों उतनी खुशी नहीं हुई .क्योंकि जिस सवाल को लेकर प्रतिकार प्रारम्भ हुआ था वो सवाल तो बना ही रहा बल्कि उस सवाल के जबाब तलाशने की जद्दोजहद में कुछ नये सवाल बनते चले गये… Continue reading आओ ‘अनाम’ के अस्तित्व को स्वीकारें
बेनामी सूनामी से भी ज्यादा भयंकर !!??
आज मैं बैचेन हूँ.. इसलिये नहीं की मेरी पिछली पोस्ट “निश:ब्द” की तरह पिट गयी.. इसलिये भी नहीं कि मुझे फिर से “नराई” लगने लगी … इसलिये भी नहीं कि मुझे किसी ‘कस्बे’ या ‘मौहल्ले’ में किसी ने हड़का दिया हो .. इसलिये भी नहीं कि मेरा किसी ‘पंगेबाज’ से पंगा हो गया हो .बल्कि… Continue reading बेनामी सूनामी से भी ज्यादा भयंकर !!??
“नराई” के बहाने,चिट्ठाजगत पर बहस
कल स्वामी जी से मुलाकात हुई तो उन्होने ब्लौग लिखने के कई तरीके बताए. कई नयी बातें सीखने को मिली. य़े सत्य है कि आज भी हिन्दी चिट्ठाकरिता में उस विविधता की कमी है जो अन्य भाषाओं के ( विशेषकर अंग्रेजी ) के चिट्ठों में मिलती है लेकिन विकसित और विकाशसील का अंतर समाप्त होने… Continue reading “नराई” के बहाने,चिट्ठाजगत पर बहस
क्या होगा आपका पत्रकार महोदय ??
यह चिट्ठा 27 मार्च 2007 को यहाँ प्रकाशित किया गया था। बहस का प्रारम्भ तो हुआ था, एक बहुत ही मासूम से सवाल से कि “पत्रकार क्यूं बने ब्लौगर” पर बहस बढ़ती गयी “दर्द बढ़ता गया ज्यों ज्यों दवा की” की तर्ज पर। इसी विषय पर बहुत लोगों के विचार आये। मैंने भी एक ‘मौजिया’… Continue reading क्या होगा आपका पत्रकार महोदय ??