दिखने से कुछ नहीं होता। सरकार को दिखना चाहिए। सरकार इस बात की जांच करेगी कि मेरा मुण्डन हुआ है या नहीं। एक सदस्य ने कहा- इसकी जांच अभी हो सकती है। मंत्री महोदय अपना हाथ सिर पर फेरकर देख लें। मंत्री ने जवाब दिया- मैं अपना हाथ सिर पर फेरकर हर्गिज नहीं देखूंगा। सरकार इस मामले में जल्दबाजी नहीं करती।
Category: हास्य व्यंग्य
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लड़ाई खतम हो गयी क्या?
ऐसा नहीं मुझे गालियां देनी नहीं आती या मैं किसी से फोन या चैट पर बात नहीं करता लेकिन फिर भी सार्वजनिक उल्लूपना दिखाने से बचता रहा हूँ. कुछ लोग इसीलिये मुझे नेतागिरी या हिन्दी साहित्य के लिये अनुपयोगी मानते रहे हैं.
फ्लाईओवर से पैदा होते ऐथलीट
सरकार की हर योजना में कुछ ना कुछ खोट निकाल कर भोली भाली भूखी जनता के सामने पकवानों की थाली की तरह प्रस्तुत करना पत्रकारों और बुद्धिजीवीयों का एक अच्छा टाइमपास है.मूर्ख बनाने का काम केवल सरकार ही करे यह ज़रूरी तो नहीं
दलित-विमर्श और हम
उनकी बहस का मतलब होता था कि जो वह बोल रहे हैं उसी की हाँ में हाँ मिलाओ, नहीं तो वह अपने किसी संपादक की तरह आपको गाली देने में भी पीछे नहीं हटते थे…और दूसरे मैं अपने आप को किसी भी बहस के उपयुक्त मानता भी नहीं हूँ क्योंकि बहस के लिये जिस बुद्धि,तर्क,कुतर्क, नीचपने,चाटुकारिता और चंपुओं की फौज की जरूरत होती है वो मेरे पास नहीं है.
बुद्धिजीवियों के देश में…..
भारत विकट बुद्धिजीवियों का देश है. एक को ढूंढो हजार मिलते हैं. कमी नहीं ग़ालिब.
मैं कहीं कवि ना बन जाऊं….
आप कहीं यह अनुमान ना लगा लें कि मैं किसी कविता नामक सुकन्या के प्रेमपाश में बंधकर कवि बनना चाहता हूँ इसलिये मैं यह घोषणा करना चाहता हूँ कि मुझ बाल बच्चेदार को किसी से प्यार व्यार नहीं है (अपनी पत्नी से भी नहीं 🙂 ) बल्कि मैं तो लिखी जाने वाली कविता से प्रेम… Continue reading मैं कहीं कवि ना बन जाऊं….
तुझको मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं?
किसी को मिर्ची लगे तो कैसा लगता होगा मतलब खुशी होती होगी या गुस्सा आता होगा,दुख होता होगा या खीझ होती होगी, यह जीवन मिथ्या लगने लगता होगा या बदले में दूसरों को गाली देने का मन करता होगा, खुद को सयाना मान लेने लगते होंगे या दूसरों को नादान समझने लगते होंगे,खुद को बुद्धीजीवी… Continue reading तुझको मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं?
मैं यह नौकरी नहीं छोड़ुंगा…
वो मेरे मित्र थे.पत्रकार तो वो थे ही लेकिन साथ साथ एक कवि भी थे, यानि कि पूरा का पूरा डैडली कंबीनेशन. लिखने बैठते तो किस विषय पर क्या लिख दें इसका उनको ही पता नहीं रहता था. प्रमाद की अवस्था में पहुंच जाते तो क्या क्या बकने लगते.दूसरों के लिखे को अपना बताने लगते.… Continue reading मैं यह नौकरी नहीं छोड़ुंगा…
हमहूँ झुमरी तलैया- बिहार शिफ्ट हो रहा हूँ..
कहते हैं हम को समय की मांग के हिसाब से काम करना चाहिये.कल अमरीका जाने की बात की तो गुरु अजदक नाराज हो गये. वो खुद पहले इटली और अब चीन की यात्रा कर रहे हैं लेकिन हमको अमरीका नहीं जाने देंगे. इसलिये हमहूँ डिसाइड कर लिये कि हम झुमरी तलैया शिफ्ट हो जाते हैं.… Continue reading हमहूँ झुमरी तलैया- बिहार शिफ्ट हो रहा हूँ..
सुनो-पंगेबाज हम ही हैं लाइन में
सुनो-पंगेबाज 2007-2008 के सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर पुरुस्कार दे रहे हैं. एक ओर जब भारत रत्न के लिये लाइन लगी है वहीँ दूसरी ओर पंगेबाज जी महोदय की टिप्पणीयों में लोग दावा कर रहे हैं कि उन्हे पुरुस्कार दिया जाय लेकिन शायद वो अपने पुराने पंगेबाज यानि खाकसार को भूल गये. देखिये जी आजकल सब खेल पहले… Continue reading सुनो-पंगेबाज हम ही हैं लाइन में