समय बदलता है. बदलना ही उसका काम है. कुछ लोग इस बदलाव का रोना रोते हैं. लेकिन रोने से भी समय रुकता नहीं. चोर,उचक्के,मर्डरर का मंत्री हो जाना समय का बदलना है. आप लाख सर पीटें यह रुकने वाला नहीं.गुडे का मंत्री हो जाना ही उसकी नियति है. पहले धमाका होता था तो केवल दीवाली में या फिर शब्बे-बारात में. साल में एक दो बार चुटपुटे बम का धमाका होने से बारूद बनाने वाली कंपनी प्रॉफिट में कैसे आती. सब जगह विकास हो रहा है. यहाँ भी होना चाहिये. तो फिर शादियों में बम फोड़ने का चलन हुआ. अब तो शादियों में पटाखे ही नहीं फूटते बल्कि गोलियां भी चलती हैं. वैसे यह हवाई फायर होते हैं लेकिन कभी कभी अति उत्साह में कोई आदमी हवा में उड़ने लगता है तो ये हवाई फायर उसे लग जाते हैं. इसमें कोई ग़म नही.सब चलता है. एक आध आदमी मर भी जाये तो क्या. वैसे भी इस देश में इतने लोग एक्सीडेंट और भी ना जाने किस किस तरह से मरते रहते हैं. शादियों में हवाई फायर से मरने का नया चलन है. कुछ दिनों में हमें इसकी आदत हो जायेगी.धमाकों से मरने की आदत धीरे धीरे हो ही रही है ना.
शादियों के बाद नेता लोग चुनाव जीतने पर भी बम फोड़ने लगे.अब चुनाव जीतने पर खुशी जाहिर करने के लिये बम फोड़े जाने लगे या फिर इस के द्वारा यह बताने के लिये कि अब हम जीत गये हैं हम से बचकर रहना वरना बम की तरह उड़ा दिये जाओगे.यह शोध का विषय है. मैं इस तरह के शोध से फिलहाल दूर ही रहता हूँ. आजकल बम फोड़ने का यह पुनीत कार्य कुछ आतंकवदियों ने अपने हाथ में ले लिया है. कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि सरकार ने इस काम को आउटसोर्स कर दिया है.मैं उन लोगों से सहमत हो भी जाता हूँ नहीं भी. क्योकि यदि निहत्थे, निर्दोष लोगों को मारने का काम आउटसोर्स हो गया है तो सरकार क्यों इस काम को कर रही है. किसान लोग आत्महत्या कर ही रहे हैं.हो सकता है सरकार आत्महत्या को दूसरी नजर से देखती हो या फिर किसान लोग जल्दी में हों वह आउटसोर्स एजेंसी से मरना ना चाहते हो या फिर अभी पूरी तरह आउटसोर्सिंग नहीं हुई हो. सरकार केवल ट्रायल ले रही हो. कुछ भी हो सकता है. सरकार की बात वैसे भी हम जैसा आम आदमी कैसे जान सकता है.
कुछ लोग कहते हैं कि सरकार और आतंकवादी आपस में मिले हुए है. मैं इस बात को समझने का प्रयास करता हूँ कि सरकार में आतंकवादी हैं या आतंकवादियों की सरकार है.कुछ भी हो सकता है. यह केवल पाकिस्तान में ही होता होगा जरुरी नहीं यहाँ भी होता है. होता तो जुरुर होगा लेकिन मैं इससे भी पूरी तरह सहमत नहीं हो पाता. मेरी असहमति का एक ही बिन्दु है. आतंकवादी जब निहत्थे,निर्दोष लोगों की बेमतलब हत्या करते हैं तो कुछ समय बाद उसकी जिम्मेवारी भी ले लेते हैं.सरकार कभी यह जिम्मेवारी नहीं लेती. सरकार जिम्मेवारी या तो विपक्ष पर डालती है या फिर विदेशी हाथ पर और फिर धमाकों के बाद पुलिस भी तत्परता दिखाती है और एक दो दिन में एक-दो स्केच जारी कर देती है. यह सरकार के केस में नहीं होता. उनके तो सिर्फ पोस्टर लगते हैं.वह भी अच्छे कामों के.
कहीं स्केच और पोस्टर एक ही चीज को इंगित तो नहीं करते कि हमको चुनो हम खास हैं.चुनो नहीं तो उड़ा दिये जाओगे. अब बतायें स्केच और पोस्टर में क्या अंतर रह गया भला.खैर जाने दीजिये हम तो खुश हैं देश विकास कर रहा है. बारूद बनाने वाली कंपनियां प्रॉफिट में है. कुछ लोग मर रहे हैं तो क्या. कुछ की रोजी रोटी छिन रही है तो क्या. क्या मॉल के बनने से ऐसा नहीं हो रहा या फिर नयी फैक्ट्री लगने से ऐसा नहीं हो रहा. देश के विकास में कुछ को कुरबानी देनी ही पड़ती है. हम भी यह कुरबानी देने को तैयार हैं. आओ बारूद की कंपनियों लाभ कमाओ. हम मरने को तैयार हैं.
आतंकवादियों की जिम्मेदारी वाली बात सही है। अच्छा लिखा गया।
क्या विड़ंबना है. बहुत खूब लिखा है.
शादियों में हवाई फायर से मरने का नया चलन है. कुछ दिनों में हमें इसकी आदत हो जायेगी.धमाकों से मरने की आदत धीरे धीरे हो ही रही है ना.
गहरी बात लिखी है आपने
इतने दिनों से बारूद इकठ्ठा कर रहे थे क्या? इसलिए पूछ रहा हूँ कि धमाका बहुत जोर का है….:-)
बहुत खूब लिखाई है. एकदम धाँसू..
आतंकि अपने किये की जिम्मेदारी लेते है, इस बात में दम है. अच्छा लिखा है.
बदलाव, लाभ, कुरबानी, नेता, आउटसोर्सिंग, आतंकवाद, जिम्मेवारी…
वाह! क्या समन्वय है 🙂
धाँसू, धाकड़, धमाकेदार.
वाह ! …भौत सही है काकेश जी ….
वैसे बमों के आदि तो हम हो ही जायेंगे. फिर ये न्यूज़ चेनल वाले भी इन खबरों को इतना भाव नही देंगे. बस मौसम की जानकारी के साथ साथ कहाँ कहाँ कितने बम फटे ये भी बता दिया करेंगे .. 😀
पढ़ा. मगर क्या गढ़ा? मैं भी फेंकने को उद्यत हो रहा हूं, किधर फेंकूं?
भौत सही जी और हमारे गिरह मंत्री ( ग्रह मंत्री पाटिल भारत के उपर गिरह ही है )से बतियालो वो भी आपकी बात का समर्थन कर रहे है आजकल 🙂
जबरजस्त!
दरअसल दोष हमारी पीड़ी का है ,बुद्धिजीवी खामोश बैठे है ,आगे बढ़कर सत्ता सँभालने का साहस आज के युवा वर्ग मे नही है मुझे क्या वाला attitude है…..फ़िर गुंडे ही राज करेंगे….
जमाये रहिये।
ये तो बमब्लास्टिया आतंकवादी पोस्ट है। 🙂
जबरदस्त लेखन!
यह आमों का देश है. हर खास चीज कुछ दिनों बाद आम हो जाती है।
बहुत दिन बाद एक विचारोतेजक लेख पढ़ा..
अच्छा लगा.
आप अच्छा लिखते हैं 🙂
सौरभ
it really inspired me….Its true that we should raise voice against terrorism
Kya Likha Hai , Yadi Aap Aur Ham Sabhi Mil Kar Faltu Baato Me Na jakar Unka Virodh Kare Jo Desh ke thekedar bane baithe hai aur Sirf aaram se apne din bita rahe hai. Unhe bhi ye ehsas dilana hoga ki jab maa ke lal sahid hote hai to sirf Paise se hi Unka palan nahi hota . unka ki to sari jindgi lut jati hai. jab ye unke saath hoga tabhi unhe ehsas hoga.
it really very good writing
shuruaat shandaar thi