इस ब्लॉग पर कुछ भी लिखे हुए एक साल से ऊपर हो गया है। इस बीच ना जाने कितने नये ब्लॉग आ गये होंगे.. कितने इस ब्लॉगजगत से उकता कर जा चुके हौंगे..लेकिन मैं ना तो उकताया हूँ ना ही ब्लॉग से बोर हुआ हूँ। हाँ… कुछ दिनों के लिये अपने दूसरी जिम्मेवारियों को निभाने में लगा हुआ हूँ। मुझे खुशी है कि इस बीच कई मित्रों ने फोन पर मुझे फिर से ब्लॉग पर लिखने के लिये कहा। कई लोगों ने मेल पर या टिप्पणीयों के माध्यम से यही निवेदन किया। अब चुंकि मंदी की मार भी कम हो रही है और गर्मी की भी- हाँ ब्लॉग-जगत की गर्मी का मुझे कोई अन्दाजा नहीं है- तो मैने सोचा है कि सप्ताह में कम से कम एक बार तो इस ब्लॉग पर दर्शन दे ही दूँ।
इस बीच कुछ ब्लॉगों को अनियमित पढ़ता रहा लेकिन ब्लॉग पर ना लिखने से हिन्दी की किताबें पढ़ने और खरीदने में कमी आयी। पिछ्ली बार जो किताबें खरीदी थी अभी उनमें से कई पढ़नी बाँकी है। सोचता हूँ कि एक बार ब्लॉग पर लिखना प्रारम्भ कर दुंगा तो फिर से यह सिलसिला भी शुरु हो जायेगा।
एक साल ना लिखने के बाबजूद मेरे ब्लॉग पर लोगों की आवजाही चलती रही। आँकड़े बताते है कि दो प्रमुख श्रेणियां जो सबसे ज्यादा पढी गयी वह थी व्यंग्य व उत्तराखंड..तो अब अधिकतर इन्ही पर लिखुंगा…लेकिन लिखना क्या पहले से निर्धारित किया जा सकता है..देखिये की-बोर्ड क्या लिखवा दे।
चलिये अभी इतना ही..जल्दी ही कुछ लिखता हूँ..
कई बार आना हुआ है यहाँ लौट-लौट कर, ..स्वागत है दुबारा. अब जल्दी कुछ लिखिए.
चलो फ़िर से अच्छे लोग ब्लोगिंग की और मुडे तो वर्ना यहा धमकाने वाले भाईयो ( मुंबई स्टाईल) मवालियो व, चीलों का डेरा डल गया था.अच्छे ब्लोगर धीरे धीरे कम होते जा रहे थे 🙂
स्वागत। लिखें मित्र!
स्वागत है जी। जिंदगी में व्यस्तताएं तो लगी रहती हैं।
अब बने रहिए…
आपका पुनः स्वागत है
मेरी कलम – मेरी अभिव्यक्ति
काकेश, वाह, आइए आपका पुनः स्वागत है। सप्ताह में एक बार ही सही, दर्शन तो दीजिए। अब प्रकट हुएँ हैं तो अदृष्य मत होइएगा।
घुघूती बासूती
ये तरुणाई । खुद को चुका हुआ कभी न समझना । हार भी सकते हैं ,हार मान नहीं लेंगे। शायद फेसबुक पर झलक मिली थी ?
पुनः स्वागत है, आइए .. 🙂
ब्लॉग के लिए समय निकालना कठिन काम है, अपनी मुश्किलों से लड़ना फिर भी आसान है…..
🙂
काकेश जी! आप के पुनरागमन का स्वागत् है। हम कब से इंतजार कर रहे थे। खैर! इंतजार खत्म हुआ।
आईये । स्वागत है । धमाके के साथ आईए ।
आप आये बहार आयी…सु स्वागतम…प्रभु…
नीरज
बाप रे बाप…..इतना लम्बा अल्प विराम भी भला कोई लेता है………खैर चलिए…..आये तो सही….बहुत बहुत स्वागत है आपका…..
लेखनी क्या पूर्वनियोजित विशाय्निर्धरानों को मानेगी?????? उसे मुक्त रहने दीजिये,तभी बलखाती इठलाती पहाडी नदी अपनी पूरी रवानी से बह पायेगी….
पिछले साल जब मैने अपना ब्लॉग ‘सत्यार्थमित्र’ शुरू किया था तब आपको अपने ब्लॉग रोल में शामिल किया था। कुछ ही दिनों बाद आप गायब हो लिए। लेकिन जब आज आपका लिंक रोल ऑर्डर में ऊपर दिखायी दिया है तो मैं सवा सौ से अधिक पोस्टें ठेल चुका हूँ। काफी लोगों से जुड़ना हो चुका है।
अब आप वापस आ ही गये हैं तो फिर चालू हो जाइए। स्वागत है ।
हां जी तो कहां थे हम, किस्सा आगे बढ़ाइए…॥आप के व्यंग का इंतजार है
जीवन मे सन्दर्ब और पर्संग तो चलते रहते है ……
पुनः हार्दिक स्वागत के साथ !!!!!
आशीष रैक्वाल
स्वागत ठैरा भल करके।
स्वागत है आपका!
बहुत बाद पधारे और हमने भी देखने में देरी कर दी। चलिए सबसे पहले तो स्वागत है। आप जो भी लिखें हम तो पढ़ेंगे ही 🙂
Bahut lamba intejar karwaya. Ummeed hai ki fir koi nayi kahani hogi blog mai…..Paruli ka khumar abhi nahi gaya..
अजी चुकें आपके दुष्मन ।
Aap likhna na band karen.Aaj bahut kam aachi hindi likhne waale bachen hai.
kaakesh da apka phir se aapke hi blog par swagat hai..
apke lekh padne ko betaab hai hum sab.
भैया ,कहाँ हैं आप….??
दर्शन दीजियेगा…??
hi,
Friends see this and avoid things happen with you..
http://ItsConsumersTurn.in