महबूबा ..महबूबा ..

यदि इस पोस्ट का टाइटल पढ़कर आपको फिल्म शोले की याद आ जाये तो इसमें मेरा कोई कसूर नहीं है, लेकिन मैं ना तो आज आपको फिल्म शोले का गाना सुना रहा और ना ही अपनी महबूबा के बारे में बता ‘सच का सामना‘ कर अपने एक अदद पत्नी को परेशान ही कर रहा हूँ।… Continue reading महबूबा ..महबूबा ..

कवि का कलपना

केडीके महोदय बालकिशन जी की इस पोस्ट पर अपना कुदरती कवितायी हुनर दिखाना चाहते थे लेकिन सफल नहीं हुए तो हमको बोले कि इस “कवि की कल्पना” को किसी तरह ठेल दो. हमको भला क्या तकलीफ.हम ठेल रहे हैं. गाली.प्रसंशा सब केडीके साहब की.   बालकिशन जी आप किस शोध के चक्कर में पढ़ गये. हमें… Continue reading कवि का कलपना

कौन हैं आप यह महत्वपूर्ण नहीं!

आप बहुत बड़े हो सकते हैं.उच्च पद पर आसीन हो सकते है, बड़े ब्लॉगर हो सकते हैं, बड़े साहित्यकार हो सकते हैं, दार्शनिक भी हो सकते हैं, बड़े और गरिष्ठ वरिष्ठ कवि भी, बड़े कलाकार भी,बड़े व्यवहार कुशल भी,बड़े लेखक भी,बड़े व्यंग्यकार भी.लेकिन इन सबसे से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आप परिणाम कैसे दे रहे… Continue reading कौन हैं आप यह महत्वपूर्ण नहीं!

सवारी हो तो घोड़े की

शाही सवारी उन्हें इस घोड़े से पहली नजर में मुहब्बत हो गयी और मुहब्बत अंधी होती है, चाहे घोड़े से ही क्यों न हो। उन्हें यह तक सुझायी न दिया कि घोड़े की प्रशंसा में उस्तादों के जो शेर वो ऊटपटांग पढ़ते फिरते थे, उनका संबंध तांगे के घोड़े से नहीं था। यह मान लेने… Continue reading सवारी हो तो घोड़े की

झाड़े रहे कलट्टरगंज

कल एक समाचार पढ़ा कि कानपुर के कलक्टरगंज थाने में रखे विस्फोटकों में विस्फोट हो गया.लिखा था कि यह विस्फोटक पुलिस द्वारा बरामद किये गये थे और थाने में ही रखे थे. एक हिन्दी के समाचार पत्र ने इस पर अपना संपादकीय भी बरबाद किया. इस बरबादी के पीछे तो कारण यह भी हो सकता… Continue reading झाड़े रहे कलट्टरगंज

धमाका,आतंकवाद और सरकार

चोर,उचक्के,मर्डरर का मंत्री हो जाना समय का बदलना है. आप लाख सर पीटें यह रुकने वाला नहीं.मंत्री हो जाना ही उसकी नियति है.शादियों में हवाई फायर से मरने का नया चलन है. कुछ दिनों में हमें इसकी आदत हो जायेगी.धमाकों से मरने की आदत धीरे धीरे हो ही रही है ना.

कमलादत्त कांडपाल के कारनामे कमाल के

हमारे एक नये नये मित्र बने हैं.नाम है कमलादत्त कांडपाल.नये नये पत्रकार बने हैं. रहने वाले हैं ग्राम कांडा, पट्टी कत्यालू, कफड़खान के. जनेऊ धारी ब्राह्मण है लेकिन खुद को बामण कहलाना ज्यादा पसंद करते हैं.कान में जनेऊ डालने के बाद ही कोई शंका करते हैं चाहे वह लघु हो या दीर्घ. एक ढाई फुट… Continue reading कमलादत्त कांडपाल के कारनामे कमाल के

अजीत जी पब्लिक को ऐसे भी फूल ना बनायें

अभी ऑफिस के लिये तैयार हो रहा था कि अनूप जी उर्फ फुरसतिया का फोन आया. कहने लगे.. छा गये काकेश..क्या झक्कास ईमानदार चिरकुटई की है. अभी हमारे साथ वाले कानपुर हॉस्टल के किस्से भी लिखोगे. ज्यादा ना लिखें वरना वैसा ही कंटाप पड़ेगा जैसा रैगिंग के समय में पड़ा था.यह तो उन्होने मजाक में… Continue reading अजीत जी पब्लिक को ऐसे भी फूल ना बनायें

मंथली रिव्यू प्रजेंटेशन

अभी प्रशांत ऑफिस पहुंचा था और मेल चैक कर रहा था.साथ साथ यह भी प्लानिंग कर रहा था कि आज किस किस से चैट करनी है और फिर अपनी ऑर्कुट की स्क्रैपबुक चैक कर सब को जबाबी स्क्रैप दागना है कि इंटरनल फोन पर घंटी बजी. उधर से कलीग प्रिया थी. हाइ… प्रसान्त …(उफ यह… Continue reading मंथली रिव्यू प्रजेंटेशन

ब्लॉगवाणी का मर्जर, ब्लॉगरों के मजे

कल शाम को ऑफिस से निकलने ही वाला था कि मेरी पोस्ट पर कमेंट आया. गूगल इंडिया के बंगलोर ऑफिस से जारी की गयी न्यूज़ के अनुसार ब्लागवाणी अब गूगल.ब्लागवाणी .कॉम हो गयी हैं । पहले तो कुछ समझ में नहीं आया कि यह क्या है.लेकिन फिर केवल सच का पीछा करते हुए यहां पहुंचे… Continue reading ब्लॉगवाणी का मर्जर, ब्लॉगरों के मजे