कका बालकनी में बैठे हà¥à¤ सामने पारà¥à¤• में खेलते हà¥à¤ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को देख रहे थे.साथ ही पातड़ा (पंचाग) à¤à¥€ देख रहे थे. मैने उनसे पूछा.
"कका.. पंचाग में कà¥à¤¯à¤¾ देख रहे हो..? "
"अरे देख रहा था हरेला कब है. à¤à¥‹à¤² (कल) हरेला है."
"ओ..कल है! कका बताइये कल कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ करना है. "
"अरे यहां शहर में कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤†. पहाड़ में होते तो कल बोया हà¥à¤† हरेला काटते,सर में हरेला लगाते, डिकारे बनाते, मातृका पटà¥à¤Ÿà¤¾ पूजते. यहां ये सब जो कà¥à¤¯à¤¾ होने वाला ठहरा. बस शगà¥à¤¨ का बड़ा बना देंगें. अपनी ईजा को बोल कि कल बड़ा बनाने के लिये रात से मास (उड़द की दाल) à¤à¤¿à¤—ो देना."
कका की बातों से थोड़ी निराशा à¤à¤²à¤• रही थी. मैने उनसे पूछा.
"कका बताओ ना… ये हरेला कà¥à¤¯à¤¾ होता और पहाड़ में हरेला कैसे मनाते है. "
कका तो जैसे तैयार ही बैठे थे.
"अब कà¥à¤¯à¤¾ बताऊं à¤à¥à¤²à¤¾.पहाड़ की बात ही कà¥à¤› और हà¥à¤ˆ. हरेला साल में तीन बार मनाया जाने वाला हà¥à¤†. à¤à¤• तो चैत (चैतà¥à¤°) के महीने में,दूसरा सौण (शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤£) में और तीसरा असोज (आसà¥à¤µà¤¿à¤¨) में. जिस दिन हरेला होता है उसके नौ-दस दिन पहले पांच या सात पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के बीजों को à¤à¤• टोकरी,थाली या पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ मिठाई के डबà¥à¤¬à¥‡ में मिटटी डाल के बो दिया जाता है."
"कका ये कौन कौन से बीज होते हैं."
"अरे घरपन जो बीज मिल गये सबको बो दिया जाने वाला हà¥à¤†. जैसे गेहूं, धान, जौ, à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ,जà¥à¤¨à¤¾à¤µ (मकà¥à¤•à¤¾),मादिरा, राई, गहत, मास (उड़द),चना, सरसों. जो हाथ पड़ गया.इसका कोई खास विधान नहीं हà¥à¤†. लेकिन यह विषम संखà¥à¤¯à¤¾ पांच या सात होने चाहिये. फिर इन सबके ऊपर मिटटी डाल के उस टोकरी या थाली को घर में ही दà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¾à¤¥à¤¾à¤¨ (मनà¥à¤¦à¤¿à¤°) में रख दिया जाता है. हर दिन पूजा करते समय थोड़ा थोड़ा पानी छिड़का जाता है. तीन-चार दिन के बाद उन बीजो में से अंकà¥à¤° निकल जाते है.इनà¥à¤¹à¥‡ ही हरयाव (हरेला) कहा जाता है.नौवे या दसवे दिन इनको काटा जाता है.जैसे चैत वाला हरेला चैत के पहले दिन बोया जाता है और नवमी को काटा जाता है. सौण का हरेला सौण लगने से नौ दिन पहले अषाड़ में बोया जाता है और दस दिन बाद काटा जाता है. असोज (आशà¥à¤µà¤¿à¤¨) वाला हरेला नवरातà¥à¤° के पहले दिन बोया जाता है और दशहरे के दिन काटा जाता है."
"ओ…लेकिन हरेला मनाया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ जाता है कका."
"à¤à¥à¤²à¤¾ हमारी लोक-संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में बहà¥à¤¤ सी चीजें.. वो कà¥à¤¯à¤¾ कहते हैं… साइंटिफिक तरीके से बनायी गयी ठहरी."
"वाह कका आप तो अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ à¤à¥€ बोलने लगे."
"तीन हरेले तीन मौसमों के आने की सूचना देने वाले हà¥à¤ˆ. चैत का हरेला मतलब गरमी आ गयी,सौण का हरेला मतलब बरसा का मौसम आ गया और असोज का हरेला मतलब …"
"ठंड का मौसम शà¥à¤°à¥ हो गया."
"बिलà¥à¤•à¥à¤² सही."
"लेकिन आप कह रहे थे ना आप लोग डिकारे बनाते थे. वह कà¥à¤¯à¤¾ होता है कका."
"बताता हूठचेला वह à¤à¥€ बताता हूà¤. पहले अपनी ईजा को बोल ना à¤à¤• गिलास चहा बणै दे."
"ठीक है."… मैंने माठको चाय बनाने को कहा और आकर फिर कका के पास बैठगया.
"सौण (शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤£) महीने के हरेले का विशेष महतà¥à¤µ होने वाला हà¥à¤†. यह महीना तो शंकर जी का महीना हà¥à¤†. इसलिये इस हरेले को कही कही हर-काली के नाम से à¤à¥€ जाना जाता है.तो सौण वाले हरेले में मिटà¥à¤Ÿà¥€ से शिव जà¥à¤¯à¥‚ का पूरा परिवार बनाया जाने वाला हà¥à¤† और फिर उसकी पूजा की जाने वाली हà¥à¤ˆ."
"मिटà¥à¤Ÿà¥€ से! ..मिटà¥à¤Ÿà¥€ से कैसे."
"अरे डिकारे का मतलब ही हà¥à¤† पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• चीजों का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— कर मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ बनाना…. तो डिकारे à¤à¤¸à¥€ ही चीजों के बनाये जाने वाले ठहरे.बचपन में हम लोग लाल मिटà¥à¤Ÿà¥€ लेकर आने वाले ठहरे और फिर महीन कर उसमें रà¥à¤ˆ मिला कर सानने वाले हà¥à¤.उसे थोड़ी देर छोड़ देने वाले हà¥à¤ˆ. फिर उसी मिटà¥à¤Ÿà¥€ से शिव जà¥à¤¯à¥‚, पारà¥à¤µà¤¤à¥€ जà¥à¤¯à¥‚ और गणेश बनने वाले हà¥à¤.बांकी तो लोग अपनी मरà¥à¤œà¥€ से देवी-देवता बना लेने वाले हà¥à¤.कà¥à¤› लोग केले के तने और पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से à¤à¥€ मूरà¥à¤¤à¤¿ बनाने वाले हà¥à¤. डिकारे बनाकर उनको हलकी धूप या छाया में सà¥à¤–ाया जाने वाला हà¥à¤† ताकि उसके चटकने का डर ना हो.सूखने के बाद चावल के विशà¥à¤µà¤¾à¤° (घोल) से हलà¥à¤•à¥‡ सफेद रंग का लेप करने वाले हà¥à¤.कई बार गोंद मिले रंग à¤à¥€ लगाये जाने वाले हà¥à¤. पहले से तो रंग à¤à¥€ घर में बन जाने वाले हà¥à¤.ये रंग किलमोड़े के फूल, अखरोट व पांगर के छिलकों से बनने वाले हà¥à¤.काला रंग बनाने के लिये कोयला पीस देने वाले हà¥à¤.आजकल तो बाजार में मिलने वाले सिनà¥à¤¥à¥‡à¤Ÿà¤¿à¤• रंग ही पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— में लाये जाते हैं.फिर उन रंगों से देवी-देवताओं के आंख,नाक,मà¥à¤à¤¹ बनाने वाले हà¥à¤."
"तो फिर डिकारों में नाक,मà¥à¤à¤¹ बनाने के लिये कोई बà¥à¤°à¤¶ वगैरह यूज करते हैं कà¥à¤¯à¤¾." ..मà¥à¤à¥‡ जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ हà¥à¤ˆ.
"बà¥à¤°à¥à¤¶ कहां मिलने वाला हà¥à¤†.हम या तो लकड़ी की तीलियों से रंग करने वाले हà¥à¤ या माचिस की तीली में रà¥à¤ˆ लगाकर उससे रंग à¤à¤°à¤¨à¥‡ वाले हà¥à¤."
"और हरेले के दिन कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ होता है ?"
"हरेले वाले दिन घर में पूरी,पकवान जैसे पà¥à¤†,बड़ा बनाये जाते हैं.हरेला काटने के बाद इसमे अकà¥à¤·à¤¤-चंदन डालकर à¤à¤—वान को लगाया जाता है.मंतà¥à¤°à¥‹à¤šà¥à¤šà¤¾à¤° किया जाता है रोग शोक निवारणारà¥à¤¥ पà¥à¤°à¤¾à¤£ रकà¥à¤·à¤• वनसà¥à¤ªà¤¤à¥‡, इदा गचà¥à¤› नमसà¥à¤¤à¥‡à¤¸à¥à¤¤à¥ हर देव नमोसà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡. फिर घर के सà¤à¥€ सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को हरेला लगाया जाता है. हरेला लगाने के लिये सर व कान पर हरेले के तिनके रखे जाते है.à¤à¤• दूसरे को "जी रया, जागि रया यो दिन यो मास à¤à¥‡à¤Ÿà¤¨à¥‡ रैया" कह के आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ दिया जाता है. छोटे बचà¥à¤šà¥‹ को हरेला पैर से ले जाकर सर तक लगाया जाता है."
"हाठमà¥à¤à¥‡ याद है जब में छोटा था तो आमा à¤à¤¸à¥‡ ही लगाती थी और साथ में कà¥à¤› मंतà¥à¤° जैसा à¤à¥€ कहती थी."
"हाठसबके दीरà¥à¤˜à¤¾à¤¯à¥‚ होने की कामना की जाती है और कहा जाता है."
लाग हरेला, लाग बगà¥à¤µà¤¾à¤ˆ,
जी रà¤, जाग रà¤.
सà¥à¤¯à¤¾à¤µ जस बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ हैजो, सूरà¥à¤œ जस तरान हैजो
आकाश बराबर उचà¥à¤š है जै, धरती बराबर चकाव है जै
दूब जस फलिये
हिमाल में हà¥à¤¯à¥‚ं छन तक, गंग जà¥à¤¯à¥‚ में पानी छन तक
सिल पिसि à¤à¤¾à¤¤ खाये, जांठि टेकि à¤à¤¾à¤¡à¤¼ जाये
"इसका मतलब कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤† कका."
इसका मतलब हà¥à¤† कि "तà¥à¤à¥‡ यह हरेला मिले,जीते रहो,जागरूक रहो,तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ सियार के समान तेज बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ हो,सूरà¥à¤¯ के समान तà¥à¤°à¤¾à¤£ हो,तà¥à¤® आकाश के समान ऊंचाइयां छà¥à¤“, पृथà¥à¤µà¥€ के समान धैरà¥à¤¯à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ बनो, दूरà¥à¤µà¤¾ के तृणों के समान पनपो,जब तक हिमालय में हिम रहे गंगा नदी में पानी रहे तब तक जियो,इतने दीरà¥à¤˜à¤¾à¤¯à¥ हो कि तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¾à¤¤ à¤à¥€ पीस कर खाना पड़े (दांत टूट जाने पार) और शौच जाने के लिठà¤à¥€ लाठी का उपयोग करना पड़े."
"वाह यह तो बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥€ कामना है."
"और हरेले के पीछे à¤à¤• मतलब और à¤à¥€ है कि हम पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करें,आदर करें.कà¥à¤› इलाकों में हरेले के दिन नये पेड़ लगाये जाते हैं.हरेला वैसे तो कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚ का मà¥à¤–à¥à¤¯ तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° है लेकिन यह गà¥à¤µà¤¾à¤² में à¤à¥€ मनाया जाता है,वहां इसे हरियाली परà¥à¤µ कहा जाता है."
"मà¥à¤à¥‡ याद है बेटा… बचपन में तो हरेले के दिन गोठके जानवरों को à¤à¥€ हम हरेला लगाने वाले हà¥à¤.अपने नाते-रिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को लिफाफे में सूखा पिठà¥à¤¯à¤¾,अकà¥à¤·à¤¤ और हरेले के तिनड़े (तिनके) à¤à¥‡à¤œà¤¨à¥‡ वाले हà¥à¤.साथ में लिखने वाले हà¥à¤ "आज हरेला à¤à¥‡à¤œ रहे हैं सिरोधारà¥à¤¯ करना".चिटà¥à¤ ी मिलने पर हरेला सिर पर रखने वाले à¤à¥€ हà¥à¤.हरेले के दिन कान में हरेला लगा कर बà¥à¥‡-बूà¥à¥‹à¤‚ का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ लेकर सà¥à¤•à¥‚ल जाने वाले हà¥à¤."
तब तक चाय आ गयी.कका चाय लेकर पीने लगे और पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ यादों में खो गये.मैं à¤à¥€ कका को उन यादों के साथ छोड़कर चल दिया.मà¥à¤à¥‡ हरेले के बारे में कई नई बातें पता चल गयीं थी.
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आप सà¤à¥€ को हरेले की शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤à¤‚.
काकेश जी
हम धान बो दिठहैं…बरखा आ ही रही है इहाठआप ककà¥à¤•à¤¾ को संग लेके चले आओ खोपोली….शिव मनà¥à¤¦à¤¿à¤° à¤à¥€ बहà¥à¤¤ बढ़िया है…(देखें मेरी ताजा पोसà¥à¤Ÿ)…फ़िर देरी काहे की खूब मजे की गà¥à¤œà¤°à¥‡à¤—ी जब बैठेंगे…चार दोसà¥à¤¤..आप, मैं ककà¥à¤•à¤¾ और हरेला…
नीरज
काकेश à¤à¤¾à¤ˆ,
बहà¥à¤¤ बढ़िया जानकारी दी। ऋतॠपरिवरà¥à¤¤à¤¨ के साथ परà¥à¤µ परà¥à¤µ का रिशà¥à¤¤à¤¾ ही इसलिठजà¥à¤¡à¤¼à¤¾ है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ कि परà¥à¤µ यानी जोड़, गांठ, उà¤à¤¾à¤°à¥¤
ऋतà¥-परिवरà¥à¤¤à¤¨ से आपके मन में उलà¥à¤²à¤¾à¤¸ जागता है। नठदिनों का सà¥à¤µà¤¾à¤—त होता है । उलà¥à¤²à¤¾à¤¸ कà¥à¤¯à¤¾ है ?मन की गà¥à¤°à¤‚थियों से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ ही न ! [ इसे देख सकते हैं http://shabdavali.blogspot.com/2007/08/blog-post_19.html ]
इसी तरह अपने इलाके की लोक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की जानकारी देते रहें । बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ काम कर रहे हैं। बधाई और धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥¤
यह इतने-इतने दिन गायब हो जाना अचà¥â€à¤›à¥€ बात है? रोज़ पहाड़ पर चढ़े विचार नहीं सूà¤à¤¤à¥‡, बात समठमें आती है, मगर और नहीं तो हमारी टिपà¥â€à¤ªà¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का पोसà¥â€à¤Ÿ ही चढ़ा देते? इतना करने में à¤à¥€ आलसà¥â€à¤¯ होता है?
दाजà¥à¤¯à¥,
आपने याद दिलाया तो मà¥à¤à¥‡ याद आया…
हरेला आया करके। हरेले तो मनाते रहे हर साल जबतक मां-पिताजी के साथ थे मगर इतना सब कà¥à¤› तो नहीं पता था। धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ इस जानकारी को रोचक बनाकर सामने लाने के लिà¤à¥¤ बामण होने का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ पूरा कर रहे हो आप।
जय हो काकेश दा तà¥à¤®à¤°à¥€,
जी रयà¥à¤¯à¤¾, जागी रयà¥à¤¯à¤¾, इन दिन बार à¤à¥‡à¤Ÿà¤¨à¥‡ रया।
डियर à¤à¥à¤²à¥‚
रातà¥à¤¤à¥€ पू-बड़-सिंगल-रैत-पूरि खै बेर कानां पिछाड़ि हरà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤• तिनड़ धर ली हà¥à¤¨à¤². यौ ई बात तौ महेन लौंडल लै थैं बतै दियै!
तà¥à¤¯à¤° हलà¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤£à¤¿ वाल दाद
मेरा पहाड़ फॉरम में चल रहे ‘हरेला (हरयाव)’ टोपिक के मैटर की रोचक शैली में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ है |
काकेश जी,
मैं कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚ का हà¥à¤† तो हरेला तो मनाने वाले ठैरे घर पना, पर आपने हरेले की जानकारी जिस ढंग से दी वह वासà¥à¤¤à¤µ में गजव ही ठैरा। आजकल के पहाड से दूर रहà¥à¤¨à¤¨à¥‡ वालों के लिये तो ये à¤à¥Œà¤¤ ही फ़ैदे की बात हà¥à¤¯à¥€ कि बà¥à¥‡ ही सरल ढंग से आपने हरेले की जानकारी दी। आपको à¤à¥€ हरेले की à¤à¥Œà¤¤ à¤à¥Œà¤¤ शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤Žà¤‚।
बहà¥à¤¤ बà¥à¤¿à¤¯à¤¾ पोसà¥à¤Ÿ लेकर अवतरित हà¥à¤ हो। कहाठचले गठथे ? आशा है अब नजर आते रहेंगे। आपको à¤à¥€ हरेले की शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤à¤‚।
घà¥à¤˜à¥‚ती बासूती
Dear Kakesh Bhai,
Kya Come Back Kya hai……GRT………
Paruli ke bad to Aap Gayb ho gaye thae …………Kuch naya post karoga Ise Aas mai…….
आपको हरेले की शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤à¤‚।
happy “Harelaa”
हरेले की शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤à¤‚.बहà¥à¤¤ बढ़िया जानकारी दी.धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦.
यह बà¥à¤¿à¤¯à¤¾ टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ है – हेपà¥à¤ªà¥€ हरेला!
kakesh ji maan kush ho gaya… thori udashi zaroor hai.. aama ji walay shabd maan ko kafi dour lay jathay hai… maan dubara unhi bachpan ki yaado mai kho jatha hai…
आपको हरेले की शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤à¤‚।
काकेश दा ! आप तो गजà¥à¤œà¤¬à¤¿ लिख देते हो कहा!
बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¤¾ वरà¥à¤£à¤¨ किया है हरेला परà¥à¤µ का. शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤£ के हरेले के दिन हम गाà¤à¤µ में पौधे रोपने का खूब काम करते थे. माना जाता है कि हरेले के दिन अगर सूखी डाली à¤à¥€ रोप दी जाये तो वह जरूर पनप जाती है.
अब आपने इतनी जानकारी दे डाली तो मैने à¤à¥€ आपके लिये आमा से आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ मंगाया है. यह वीडियो देखें – “जी रà¤, जाग रऔ वाला..
http://www.youtube.com/watch?v=VkZw77dUrug
अहो अशोक दा,
मी इतॠनलैक लै नà¥à¤¹à¥ˆà¤¤à¥à¤¨, अब पहाड़ों में न रई à¤à¥Œà¤ˆ पर इतॠतो पतà¥à¤¤ à¤à¥Œà¤ˆ कि हरà¥à¤¯à¤¾à¤µ कसी मनूणी। ददा चार साल पैली तक इज-बौजà¥à¤¯à¥‚ दगड़ हर साल हरà¥à¤¯à¤¾à¤µ मनाई à¤à¥Œà¤ˆ हो। अब के करूं, बà¥à¤µà¤¾à¤°à¥€ देशी हगे नà¥à¤¹à¥à¤¤à¤° आई तलक मणूछी।
काकेश जी,
“ सिल पिसि à¤à¤¾à¤¤ खाये, जांठि टेकि à¤à¤¾à¤¡à¤¼ जाये†इस आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ के कà¥à¤¯à¤¾ कहने।
हरेला जैसी पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के करीब ले जाने वाली वसà¥à¤¤à¥ हमें अपने यहाठà¤à¥€ शारदीय और वासंतिक नवरातà¥à¤° के अवसर पर दिखायी देती है। दà¥à¤°à¥à¤—ा पूजा की कलश-सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के लिठशà¥à¤¦à¥à¤§ बालू से à¤à¤• वेदिका बनायी जाती है। पूजन के समय उसपर जौ के दाने डालकर मिटà¥à¤Ÿà¥€ का कलश रखा जाता है। नौवें दिन विसरà¥à¤œà¤¨ के बाद कलश के चारो ओर उग आये जौ के हरे-हरे पौधों को उखाड़कर सà¤à¥€ अपने कान में लगा लेते हैं। इसे देवी का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ मानते हैं।
dajyu thanks keep in touch.
काकेश जी,
बहौत हे अछा लिखा है आपने….सच में इस परदेस में कहा मनया जाता है…….जो अपने घर (उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड) में हरेले बनाने में है!!!!!!!!!!
आपका बहौत धनà¥à¤¯à¤¬à¤¾à¤¦ करोगा हरेले की नराई के लिये………मैंने इस बार बहौत मीस कà¥à¤¯à¤¾ हरेले………….
Dear kakesh ji,
आपने याद दिलाया तो मà¥à¤à¥‡ याद आया…
हरेला आया करके। हरेले तो मनाते रहे हर साल जबतक मां-पिताजी के साथ थे मगर aaj sab
bhool gaya why because i was lost in earning the bread & butter. I was totally cut off from my rootes. Palayan(MIGRATION SYNDROM) ka dukh ha. Aaj mujhee apne gaon jana ha? Kya main aa sakta hun apna
uttrakhand main? Meri thathi, mera home sab ho gaya SWAPNA!!!!
जी रयà¥à¤¯à¤¾, जागी रयà¥à¤¯à¤¾, इन दिन बार à¤à¥‡à¤Ÿà¤¨à¥‡ रया लाग हरेला, लाग बगà¥à¤µà¤¾à¤ˆ,
जी रà¤, जाग रà¤.
सà¥à¤¯à¤¾à¤µ जस बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ हैजो, सूरà¥à¤œ जस तरान हैजो
आकाश बराबर उचà¥à¤š है जै, धरती बराबर चकाव है जै
दूब जस फलिये
हिमाल में हà¥à¤¯à¥‚ं छन तक, गंग जà¥à¤¯à¥‚ में पानी छन तक
सिल पिसि à¤à¤¾à¤¤ खाये, जांठि टेकि à¤à¤¾à¤¡à¤¼ जाये
R.N.Pande
hariom,harela ke baare main jo jankariyan aapne de hain badi mahatwapurn hain.those who born in the citys never been or as a tourist in the pahaad,they can learn lot, if they want.thanx mitrawar thanx.
its a realy very importent news to all young generation.
this is a remarkable things.
its our culture and tredition also.
K J Ghildiyal
New Tehri
thanx u
Dear Kakesh Jew
aapki is information ko 1000 salutes….aapko bahut bahut dhanyawaad itne achche tareeke se Harele ko samzhane ka..
aur bhi likhte rahiyega…
sanjupahari
JAI PAHAR<<>>>JAI BADRI-VISHAL
जै हो महाराजà¥à¤œà¥à¤¯à¥‚ जै हो
kakesh Daa
ya katir le one of your again most touching Chi
Dhanywaad
बहà¥à¤¤ बढिया काकेश जी।
Hkksr Hky fy[kpk gks nkT;w fnxks igkMd ckj es rekj ys[k Ik<h igkM ujk ykxh ts gks fy[kus j;k th j;k A ( madan Mohan Joshi) Gangolihat Pithoragarh Uttanchal
Jiya Kakesh Da jagi Raya.
Kakesh Da JI raya Jagi Raya, Unit dino ke Bhetaine raha, Bhaal Bhaal Lekh likhne raha.
Kakesh Di Happy Bagwai,
Kass Cha
Kakesh ji,
bahut bahut Dhanyavaad is mahatvapurna jankari ke liye
काकेश दा आपने पहाड की याद दिला दी इस लेख को पड कर à¤à¤¸à¤¾ लगता है कि मैं पहाड मैं हॠऔर घर पर हरेला मना रहा हॠकया गजब का लिखते हो। लगे रहे
Happy Harela
wah! Kakesh ji bachpan ki yaden taja kardi aapne. Harela to bahut bar boya bhi aur celebrate bhi kiya but but iska intna jyadha detail description pahali bar pata chala.
Kotish Dhanyawad
happy harela…………..
लाग हरेला, लाग बगà¥à¤µà¤¾à¤ˆ,
जी रà¤, जाग रà¤.
सà¥à¤¯à¤¾à¤µ जस बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ हैजो, सूरà¥à¤œ जस तरान हैजो
आकाश बराबर उचà¥à¤š है जै, धरती बराबर चकाव है जै
दूब जस फलिये
हिमाल में हà¥à¤¯à¥‚ं छन तक, गंग जà¥à¤¯à¥‚ में पानी छन तक
सिल पिसि à¤à¤¾à¤¤ खाये, जांठि टेकि à¤à¤¾à¤¡à¤¼ जाये
Kakesh jee bahut khus huwa harele ki yad dilai bachpan ke purane din yad aai
kakesh jee namaskar, aaj kumauni culture main wikiuttrakhand key through aapki website daikhi. abhi pura to nahi padh paya, par jitna bhi padha maja aa gaya. apna bachpan yad aa gaya. kaisay hum tayharo ko manatey they. in sab jankariyaun kay ley bahut bahut dhanybad.
Kakesh Ji harele ki subh kamnai 16-07-2012