क्या होगा आपका पत्रकार महोदय ??

यह चिट्ठा 27 मार्च 2007 को यहाँ प्रकाशित किया गया था। बहस का प्रारम्भ तो हुआ था, एक बहुत ही मासूम से सवाल से कि “पत्रकार क्यूं बने ब्लौगर” पर बहस बढ़ती गयी “दर्द बढ़ता गया ज्यों ज्यों दवा की” की तर्ज पर। इसी विषय पर बहुत लोगों के विचार आये। मैंने भी एक ‘मौजिया’… Continue reading क्या होगा आपका पत्रकार महोदय ??

बालक की अभिलाषा .

यह चिट्ठा 21 मार्च 2007 को यहाँ प्रकाशित किया गया था। चाह थी एक ‘सभ्य दुनिया’ में,कदम जब मैं बढ़ाऊं लोग मेरा प्रेम से स्वागत करें, और गीत गायें इन रास्तों पर चल चुके पहले कभी, वो ही मेरे पथ प्रदर्शक बन, गले अपने लगा लें चाह थी.. कोई जब उंगली पकड़कर,साथ मेरे यूँ चलेगा… Continue reading बालक की अभिलाषा .