अंग्रेजी बनाम हिन्दी

रंजना जी अक्सर मेरे ब्लॉग पर आती रहती हैं और अपनी लंबी टिप्पणीयों का आशीर्वाद हमें प्रदान करती रहती हैं. उनकी टिप्पणी पर बनी मेरी पोस्ट स्त्रियां क्या खुद से सवाल पूछती हैं? अब तक की मेरी सबसे हिट और बहसात्मक पोस्ट रही है. पिछ्ले हफ्ते उन्होने मेरी एक पोस्ट भारत की राष्ट्रभाषा अंग्रेजी क्यों… Continue reading अंग्रेजी बनाम हिन्दी

ये मेरा ब्लॉग और मेरा ब्लॉग

नवभारत टाइम्स में वरिष्ठ कवि/पत्रकार श्री मंगलेश डबराल जी ने हिन्दी ब्लॉग पर एक लेख लिखा. वो धन्यवाद के पात्र तो हैं ही कि उनकी नजरें इस नये बने अराजनैतिक, व्यक्तिगत, रूमानी, भावुक और अगंभीर माध्यम पर इनायत हुई लेकिन इन सबके ऊपर उन्होने हिन्दी ब्लॉगजगत पर जो आरोप लगाये हैं वो शायद इस हँसी-ठिठोली… Continue reading ये मेरा ब्लॉग और मेरा ब्लॉग

टिप्पणी-चर्चा,स्त्री-विमर्श व इस ब्लॉग का भविष्य

वैसे तो टिप्पणीकार टिप्पणीचर्चा करते ही हैं लेकिन अपने ब्लॉग के लिये यह काम हमने ही शुरु कर दिया है.कई बार किसी भी ब्लॉग पर बहुत अच्छी टिप्पणीयाँ आती हैं… कभी कभी कई अच्छी टिप्पणीयाँ दब जाती हैं उनको भी लोगों तक पहुचाना मुझे जरूरी लगता है. इसलिये सोचा कि अब अपने ब्लॉग पर आयी… Continue reading टिप्पणी-चर्चा,स्त्री-विमर्श व इस ब्लॉग का भविष्य

टिप्पणीयाँ और कॉपीराइट

हिन्दी चिट्ठाजगत चोरी की घटनाऎं बीच बीच में सामने आती रहती हैं. कॉपीराइट का प्रश्न भी यदा-कदा उठता ही रहता है. अभी कुछ दिनों पहले टिप्पणीकार की किसी पोस्ट पर भी टिप्पणीयों पर कॉपीराइट की चर्चा हुई थी. इसलिये हमने सोचा कि इस यक्ष प्रश्न को फिर से उठाया जाय. मेरी एक पोस्ट पर किसी… Continue reading टिप्पणीयाँ और कॉपीराइट

ये बहन जी कौन हैं?

मेरी टिप्पणी वाली पोस्ट पर विस्तृत टिप्पणीयाँ थमने का नाम ही नहीं ले रही. कल जब सोच रहा था कि शायद अब यह सिलसिला थम गया होगा तो आज सुबह देखा एक और बड़ी टिप्पणी आयी. यह टिप्पणी क्या ..यह तो किसी पोस्ट से भी बड़ी है. यह भी छ्द्म नाम से की गयी है… Continue reading ये बहन जी कौन हैं?

मुँह ना खुलवाइये-वरना जितना आरोप एक स्त्री लगा सकती है उससे कहीं ज्यादा एक पुरुष

मेरी पोस्ट स्त्रियां क्या खुद से सवाल पूछती हैं?, जिसमे‌ पूरी पोस्ट मात्र टिप्पणीयों से ही बनी थी,उस पर् टिप्पणीयों के नये रिकॉर्ड बन रहे हैं.उसमे‌ कोइ आदम जी तो जैसे स्त्रियो‌ के पीछे ही पड गये हैं.आप भी देखें. मेरी माँ बहन बेटी सभी स्त्रियाँ है लेकिन मैं जब बेटी का रिश्ता करने जाऊगा… Continue reading मुँह ना खुलवाइये-वरना जितना आरोप एक स्त्री लगा सकती है उससे कहीं ज्यादा एक पुरुष

असहमति के बहाने

आज सुबह जब पोस्ट लिखी (सुबह सुबह चार बजे उठ कर) तो यह अन्दाजा नहीं था कि यह एक बहस का रूप ले लेगी.हाँलाकि मंशा तो थी ही कि एक बहस हो. लेकिन आशा के विपरीत लोग आये और उन्होने बिना किसी पूर्वाग्रह के अपने विचार लिखे. कुछ लोगों ने जहाँ मेरी सोच से सहमति… Continue reading असहमति के बहाने

बिन अंग्रेजी सब सून

पिछली पोस्ट से शायद यह लगा कि मैं कोई हिन्दी-अंग्रेजी विवाद उत्पन्न करना चाहता हूँ जो कि बकौल ज्ञान जी हिन्दी वालों का प्रिय शगल रहा है. लेकिन मेरा लक्ष्य यह नहीं था.मैं तो अपने अनुभव आपसे बांटना चाहता था.मैं अग्रेजी का विरोध नहीं करता बल्कि मैं तो अंग्रेजी की वकालत करता हूँ और कहता… Continue reading बिन अंग्रेजी सब सून

अंग्रेजी व हीन भावना

जब मैने पिछ्ला लेख लिखा था तब कोई इरादा नहीं था कि मैं कोई विवाद खड़ा करूं लेकिन ना जाने कुछ लोगों को वो पोस्ट विवादगर्भा लगी. खैर जाने दीजिये आप तो मेरी कहानी सुनिये जिसका वादा मैने अपनी पोस्ट में किया था. बचपन से अंग्रेजी ना जानना आपको कदम कदम पर परेशान करता है.… Continue reading अंग्रेजी व हीन भावना

सागर भाई की उलझन और रचना जी की माफी

मेरी पिछ्ली पोस्ट पर काफी अच्छे कॉमेंट आये.सागर जी और रचना जी के कॉमेंट प्रस्तुत हैं. सागर भाईसा बोले काकेश जी , इस लेख में तो विषयांतर हुआ कोई बात नहीं पर इस लेख की अगली कड़ी में उसे भी पूरा करें। क्यों कि मुझे यह लग रहा है कि आप मेरी कहानी लिख रहे… Continue reading सागर भाई की उलझन और रचना जी की माफी