मैं कहीं कवि ना बन जाऊं….

आप कहीं यह अनुमान ना लगा लें कि मैं किसी कविता नामक सुकन्या के प्रेमपाश में बंधकर कवि बनना चाहता हूँ इसलिये मैं यह घोषणा करना चाहता हूँ कि मुझ बाल बच्चेदार को किसी से प्यार व्यार नहीं है (अपनी पत्नी से भी नहीं 🙂 ) बल्कि मैं तो लिखी जाने वाली कविता से प्रेम… Continue reading मैं कहीं कवि ना बन जाऊं….