स्वामी जी और गब्बर सिंह

ये हमारा बाप हरी सिंह हमारा नाम पूरा मिटटी में मिला दिए हैं….अरे क्या जरूरत थी उनको टिपियाने की? और सबको बताने की, की उनकी माली हालत ख़राब है… ई का नाम है हाँ…अलोक पुराणिक का ब्लॉग पढने का जुगाड़ कर लिए वो और नमक का जुगाड़ नहीं कर पाए ..धिक्कार है….