कविता की किलकारी

1. रेबीज के नये इंजेक्शन की कसम, किसी कुत्ते में कहां है वह दम, जो भोंकता भी हो, चाटता भी हो,गरियाता भी हो, काटता भी हो,हम तो ऐसे ही थे, औरऐसे ही रहेंगे सनम. 2. तेरे बिना जिन्दगी का नूर चला जायेगा,बिन काटे किसी को क्या मजा आयेगा,गाली खाने से नहीं डरते हैं हम,मेरे दोस्तखायी… Continue reading कविता की किलकारी

कवि का कलपना

केडीके महोदय बालकिशन जी की इस पोस्ट पर अपना कुदरती कवितायी हुनर दिखाना चाहते थे लेकिन सफल नहीं हुए तो हमको बोले कि इस “कवि की कल्पना” को किसी तरह ठेल दो. हमको भला क्या तकलीफ.हम ठेल रहे हैं. गाली.प्रसंशा सब केडीके साहब की.   बालकिशन जी आप किस शोध के चक्कर में पढ़ गये. हमें… Continue reading कवि का कलपना

हुल्लड़ जी की रचना:शिव कुमार जी द्वारा.

मेरी पिछ्ली पोस्ट पर शिव कुमार जी ने एक बेहतरीन हास्य रचना टिपियायी.कहीं वो छुप ना जाये इसलिये उसे पोस्ट में भी डाल रहा हूँ.लेकिन पहले एक बोनस रचना.ये भी शायद हुल्लड़ जी की ही है. सुबह सबेरे ही देखा था,लेकिन सपना भंग हो गयाप्रेम पत्र पर टिकट लगाया,फिर भी वह बैरंग हो गया.जिसको लिखना… Continue reading हुल्लड़ जी की रचना:शिव कुमार जी द्वारा.