मेरी आवाज में मधुशाला का एक
Category: मधुशाला
मैं और मेरी मधुशाला..
मेरी दीवानगी मधुशाला के प्रति
अगर पिलाने का दम है तो जारी रख यह मधुशाला
हरिवंशराय बच्चन और मधुशाला को जानने वाले बहुत कम लोग जानते होंगे कि उन्होने मधुशाला पर दो पुस्तकें लिखी. पहली पुस्तक जो 1933 में लिखी वह थी “खैयाम की मधुशाला” . इस पुस्तक में जॉन फिट्ज़राल्ड की पुस्तक के प्रत्येक पद का अनुवाद था. दूसरी पुस्तक जो लिखी गयी वो थी “मधुशाला”. अधिकांश लोग इस… Continue reading अगर पिलाने का दम है तो जारी रख यह मधुशाला
उमर की मधुशाला के निहितार्थ
अब तक तो आप समझ ही चुके होंगे कि उमर खैय्याम की रुबाइयों में कितनी व्यापकता है. जब मैं उमर खैय्याम की रुबाइयों और उनके उन अनुवादों के बारे में सोचता हूँ जो भारत में हुए तो उनमें एक साम्य जैसा लगता है. पहले उमर खैय्याम की मूल रचना की बात करें. उमर खैयाम ने… Continue reading उमर की मधुशाला के निहितार्थ
कभी सुराही टूट,सुरा ही रह जायेगी,कर विश्वास !!
मैने उमर के रुबाइयों के बहुतेरे अनुवाद पढ़े..हिन्दी में भी अंग्रेजी में भी. हिन्दी में मुझे ‘मधुशाला’ (जो कि अनुवाद नहीं है पर इसकी चर्चा बाद में) और ‘मधुज्वाल‘ ने बहुत प्रभावित किया.हाँलाकि रघुवंश गुप्त जी का अनुवाद भी काफी अच्छा है….पर ‘मधुज्वाल’ मुझे उसके नये प्रतिमानों और छंद के नये नये प्रयोगो की वजह… Continue reading कभी सुराही टूट,सुरा ही रह जायेगी,कर विश्वास !!
मधुज्वाल:मैं मधुवारिधि का मुग्ध मीन
उमर खैयाम की रुबाइयों का अनुवाद सुमित्रानंदन पंत ने 1929 में उर्दु के प्रसिद्ध शायर असगर साहब गोडवी की सहायता और इंडियन प्रेस के आग्रह पर किया था. यह अनुवाद “मधुज्वाल” नाम से 1948 में प्रकाशित हुआ था. अन्य हिन्दी अनुवादकों की तरह उनका यह अनुवाद फिट्जराल्ड की की पुस्तक पर आधारित नहीं था बल्कि… Continue reading मधुज्वाल:मैं मधुवारिधि का मुग्ध मीन
खैयाम की रुबाइयाँ रघुवंश गुप्त की क़लम से
[कुछ पाठकों ने मेल भेज कर कहा कि मैं ‘उमर खैयाम’ के जीवन-वृत के बारे में विस्तार से लिखुं. तो उन सभी सुधी पाठकों से कहना चाहुंगा कि ‘उमर’ के बारे में नैट पर पहले से ही बहुत जानकारी उपलब्ध है.हाँलाकि अधिकतर जानकारी अंग्रेजी में है फिर भी उसी जानकारी का अनुवाद कर यहां पेश… Continue reading खैयाम की रुबाइयाँ रघुवंश गुप्त की क़लम से
मैथिलीशरण गुप्त का अनुवाद
जैसा कि बताया जा चुका है कि मैथिलीशरण गुप्त और रघुवंश गुप्त दोनो ने उमर की रुबाइयों का हिन्दी अनुवाद किया था. आइये पहले मैथिलीशरण गुप्त के अनुवाद की चर्चा करें. गुप्त जी अपनी भूमिका में लिखते हैं कि उन्हें उमर की रुबाइयों का हिन्दी अनुवाद करने के लिये राय कृष्णदास जी ने प्रेरित किया… Continue reading मैथिलीशरण गुप्त का अनुवाद
उमर की रुबाइयों के अनुवाद भारतीय भाषाओं में
5. कुछ प्रमुख अनुवादों की चर्चा पिछ्ले अंक में हमने रुबाइयों के कुछ हिन्दी अनुवादों की चर्चा की. आज कुछ और अनुवादों की चर्चा करते हैं. हिन्दी के अलावा विश्व की लगभग सभी प्रमुख भाषाओं में उमर की रुबाइयों के अनुवाद हो चुके हैं. जिनमें जर्मन, रशियन, अफ्रिकन, इटेलियन, डच, थाइ, अल्बेनियन भाषा शामिल हैं.… Continue reading उमर की रुबाइयों के अनुवाद भारतीय भाषाओं में
मधुशाला में विराम..टिप्पणी चर्चा के लिये
मधुशाला के निर्धारित क्रम को तोड़ते हुए आइये एक चर्चा करे पिछ्ले लेखों में हुई टिप्पणीयों पर.कुछ बहुत ही अच्छी टिप्पणीयां आयी जिंन्होने सोचने पर भी बाध्य किया और आगे लिखने के लिये प्रेरित भी. सबसे पहले राकेश जी का धन्यवाद जिन्होने डिजिटल लाइब्रेरी का पता बताया और मैं मैथिलीशरण गुप्त जी की पुस्तक को… Continue reading मधुशाला में विराम..टिप्पणी चर्चा के लिये