सरकस में करतब दिखाने वाली लड़की तने हà¥à¤ तार पर चलती है। लेकिन कà¥à¤¯à¤¾ बात है, वो तो अपने आप को खà¥à¤²à¥€ छतरी से संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ करती रहती है। जरा डगमगा कर गिरने लगती है तो दरà¥à¤¶à¤• पलकों पर à¤à¥‡à¤² लेते हैं।
Category: खोया पानी
Book Written by Mustaq Ahmad Yusufi.(मà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤• अहमद यà¥à¤¸à¥à¤«à¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लिखी हà¥à¤ˆ किताब)
मà¥à¤—ल वंश हो तो à¤à¤¸à¤¾
à¤à¥à¤—à¥à¤—ी और कीचड़ देखकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अचानक ख़याल आया कि मेरी शिकायत पर इस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को अगर जेल हो à¤à¥€ जाये तो इसके तो उलà¥à¤Ÿà¥‡ à¤à¤¶ हो जायेंगे। मौलाना पर फेंकने के लिये लानत-मलामत के जितने पतà¥à¤¥à¤° वो जमा करके आये थे, उन सब पर दाà¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ लगाकर नमाज की चटाइयां लपेट दी थीं ताकि चोट à¤à¤²à¥‡ ही न आये, शरà¥à¤® तो आये-वो सब à¤à¤¸à¥‡ ही धरे रह गये। उनका हाथ जड़ हो गया था। इस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को गाली देने से फ़ायदा? इसका जीवन तो ख़à¥à¤¦ à¤à¤• गाली है।
कौन किसका खाना है?
अकेलेपन का साथी इस क़िसà¥à¤¸à¥‡ से हमने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सीख दिलायी। क़िबला ने दूसरे पैंतरे से घोड़ी खरीदने का विरोध किया। वो इस बात पर ग़à¥à¤¸à¥à¤¸à¥‡ से à¤à¥œà¤• उठते थे कि बिशारत को उनके चमतà¥à¤•à¤¾à¤°à¥€ वजीफ़े पर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ नहीं। वो ख़ासे गलियर थे। बेटे को खà¥à¤² कर तो गाली नहीं दी। बस इतना कहा कि अगर… Continue reading कौन किसका खाना है?
कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के चाल चलन की चौकीदारी
किसी शà¥à¤à¤šà¤¿à¤‚तक ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सलाह दी थी कि जिस घर में कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ हों, वहां फ़रिशà¥à¤¤à¥‡, बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— और चोर नहीं आते। उस जालिम ने यह न बताया कि फिर सिरà¥à¥ž कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ ही आते हैं। अब सारे शहर के बालिग़ कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ उनकी कोठी का घेराव करे पड़े रहते हैं। शहजादी सà¥à¤µà¤¯à¤‚ शतà¥à¤°à¥ से मिली हà¥à¤ˆ है।
घोड़े का इलाज जादू से
जादू मंतà¥à¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उपचार रिशà¥à¤µà¤¤ और मालिश की रक़म अब घोड़े की क़ीमत और उनकी सहनशकà¥à¤¤à¤¿ की सीमा को पार कर चà¥à¤•à¥€ थी। पकड़-धकड़ का सिलसिला किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° समापà¥à¤¤ होने में नहीं आता था। तंग आकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने रहीम बख़à¥à¤¶ की जबानी इंसà¥à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤° को यह तक कहलाया कि तà¥à¤® मेरी दà¥à¤•à¤¾à¤¨ में उगाही की नौकरी कर… Continue reading घोड़े का इलाज जादू से
महातà¥à¤®à¤¾ बà¥à¤¦à¥à¤§ बिहारी थे
गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤à¥€ में कहावत है कि पैसा तो शेरनी का दूध है! इसे हासिल करना और पचाना दोनों बराबर मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² है। पर तà¥à¤® तो साला शेर को ही दà¥à¤¹à¤¨à¤¾ मांगता है । हम करोड़ों का बिजनेस करेला है। आज दिन-तलक जबान दे-के नईं फिरेला। अचà¥à¤›à¤¾ अगर तà¥à¤® क़à¥à¤°à¤¾à¤¨ पर हाथ रख के बोल दो कि तà¥à¤® घोड़ा ख़रीदते टेम पियेला था तो हम तà¥à¤°à¤‚त à¤à¤•-à¤à¤• पाई रिफ़ंड कर देगा।’’
जब आदमी अपनी नजर में गिर जाये
लजà¥à¤œà¤¾ और अपमान की सबसे जलील सूरत यह है कि वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ अपनी दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में à¤à¥€ कà¥à¤› न रहे। सो वो इस नरà¥à¤• से à¤à¥€ गà¥à¤œà¤°à¥‡-उनका बायां बेजान हाथ अलग लटका इस गà¥à¤œà¤°à¤¨à¥‡ की तसà¥à¤µà¥€à¤° खींचता रहता।
सवारी हो तो घोड़े की
शाही सवारी उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इस घोड़े से पहली नजर में मà¥à¤¹à¤¬à¥à¤¬à¤¤ हो गयी और मà¥à¤¹à¤¬à¥à¤¬à¤¤ अंधी होती है, चाहे घोड़े से ही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हो। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यह तक सà¥à¤à¤¾à¤¯à¥€ न दिया कि घोड़े की पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा में उसà¥à¤¤à¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ के जो शेर वो ऊटपटांग पà¥à¤¤à¥‡ फिरते थे, उनका संबंध तांगे के घोड़े से नहीं था। यह मान लेने… Continue reading सवारी हो तो घोड़े की
घोड़े को अब घोड़ी ही उतार सकती है
जब आदमी केले के छिलके पर फिसल जाये तो फिर रà¥à¤•à¤¨à¥‡, बà¥à¤°à¥‡à¤• लगाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ कदापि नहीं करना चाहिये, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इससे और अधिक चोट आयेगी। बस आराम से फिसलते रहना चाहिये और फिसलने का आननà¥à¤¦ लेना चाहिये।
क़िसà¥à¤¸à¤¾ खिलौना टूटने से पहले का
अब वो चाहते तो नयी न सही, सेकेंड-हैंड कार आसानी से ख़रीद सकते थे। जितनी रक़म में आज कल चार टायर आते हैं, इससे कम में उस जमाने में कार मिल जाती थी, लेकिन कार में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वह रईसाना ठाट और जमींदाराना ठसà¥à¤¸à¤¾ नजर नहीं आता था, जो फ़िटन और बगà¥à¤˜à¥€ में होता है। घोड़े की बात ही कà¥à¤› और है।