जादू मंतà¥à¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उपचार
रिशà¥à¤µà¤¤ और मालिश की रक़म अब घोड़े की क़ीमत और उनकी सहनशकà¥à¤¤à¤¿ की सीमा को पार कर चà¥à¤•à¥€ थी। पकड़-धकड़ का सिलसिला किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° समापà¥à¤¤ होने में नहीं आता था। तंग आकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने रहीम बख़à¥à¤¶ की जबानी इंसà¥à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤° को यह तक कहलाया कि तà¥à¤® मेरी दà¥à¤•à¤¾à¤¨ में उगाही की नौकरी कर लो। तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ तनख़à¥à¤µà¤¾à¤¹ से अधिक दूंगा। उसने कहला à¤à¥‡à¤œà¤¾ “सेठको मेरा सलाम बोलना और कहना कि हम तीन हैं।“ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने घोड़ा-तांगा बेचना चाहा तो किसी ने सौ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ à¤à¥€ न लगाये। अंततः अपने वालिद से इस बारे में बात की। वो सारा हाल सà¥à¤¨à¤•à¤° कहने लगे “इसमें परेशानी की कोई बात नहीं। हम दà¥à¤† करेंगे। तांगे में जोतने से पहले à¤à¤• गिलास फूंक मारा हà¥à¤† दूध पिला दिया करो। अलà¥à¤²à¤¾à¤¹ ने चाहा तो लंग जाता रहेगा और चालानों का सिलसिला à¤à¥€ बंद हो जायेगा। à¤à¤• बार वजीफ़े का असर तो देखो। आदरणीय ने उसी समय रहीमबख़à¥à¤¶ से बिसà¥à¤¤à¤° पर हारà¥à¤®à¥‹à¤¨à¤¿à¤¯à¤® मंगाया। वो धोंकनी से हवा à¤à¤°à¤¤à¤¾ रहा और आदरणीय कांपती-कंपकंपाती आवाज में हमà¥à¤¦ (ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿) गाने लगे। आंख जहां पड़ती, वहां उंगली नहीं पड़ रही थी और जिस परà¥à¤¦à¥‡ पर उंगली पड़ती, उस पर पड़ी ही रह जाती। à¤à¤• पंकà¥à¤¤à¤¿ गाने और बजाने के बाद यह कहकर लेट गये कि इस हारà¥à¤®à¥‹à¤¨à¤¿à¤¯à¤® के काले परà¥à¤¦à¥‡ के जोड़ अकड़ गये हैं। मासà¥à¤Ÿà¤° बाक़र अली ने कà¥à¤¯à¤¾ ख़ाक मरमà¥à¤®à¤¤ की है!
दूसरे दिन आदरणीय की चारपाई डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤‚ग रूम में आ गई। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यही à¤à¤¸à¤¾ कमरा था जहां घोड़ा रोज सà¥à¤¬à¥à¤¹ अपने माथे पर "अलà¥à¤²à¤¾à¤¹" लिखवाने और फ़ूंक मारने के लिये अंदर लाया जा सकता था। तड़के आदरणीय ने नमाज के बाद गà¥à¤²à¤¾à¤¬ जल में उंगली डà¥à¤¬à¥‹ कर घोड़े के माथे पर "अलà¥à¤²à¤¾à¤¹" लिखा और खà¥à¤°à¥‹à¤‚ को लोबान की धूनी दी। कà¥à¤› देर बाद उस पर साज कसा जाने लगा तो बिशारत दौड़े-दौड़े क़िबला के पास आये और कहने लगे घोड़ा दूध नहीं पी रहा। क़िबला हैरान हà¥à¤à¥¤ फिर आंखें बंद करके सोच में पड़ गये। कà¥à¤› पलों के बाद आंखें अधखà¥à¤²à¥€ करके बोले, कोई हरज नहीं कोचवान को पिला दो, घोड़ा दांतों के दरà¥à¤¦ से पीड़ित है। इसके बाद यह नियम बन गया कि दà¥à¤† पà¥à¤•à¤° फ़ूंका गया दूध रहीमबख़à¥à¤¶ पीने लगा। à¤à¤¸à¥€ अरà¥à¤šà¤¿ के साथ पीता जैसे उन दिनों यूनानी दवाओं के पियाले पिये जाते थे अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ नाक पकड़ के, मà¥à¤‚ह बना बना के। दूध के लिये न जाने कहां से धातॠका बहà¥à¤¤ लमà¥à¤¬à¤¾ गिलास ले आया जो उसकी नाà¤à¤¿ तक पहà¥à¤‚चता था। क़िबला के उपचार का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पहले ही दिन नजर आ गया। वह इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° कि उस दिन चालान à¤à¤• दाà¥à¥€ वाले ने किया। रहीमबख़à¥à¤¶ अपना लहराता हà¥à¤† चाबà¥à¥˜ हाफ़ मासà¥à¤Ÿ करके कहने लगा “सरकार! बावजूद धर लिया†फिर उसने विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से बताया कि à¤à¤• दाà¥à¥€ वाला आज ही जमशेद रोड के हलà¥à¥˜à¥‡ से तबादला होकर आया है। बड़ा ही दयालà¥, अलà¥à¤²à¤¾à¤¹-वाला वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ है। इसलिठकेवल साà¥à¥‡ तीन रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ लिये, वह à¤à¥€ चंदे के तौर पर। पड़ोस में à¤à¤• विधवा के बचà¥à¤šà¥‡ के इलाज के लिये, आप चाहें तो चल के मिल लीजिये। मिल के बहà¥à¤¤ ख़à¥à¤¶ होंगे। हर समय à¤à¥€à¤¤à¤° ही à¤à¥€à¤¤à¤° जाप करता रहता है। अंधेरी रात में सिजदे के निशान से à¤à¤¸à¥€ रौशनी निकलती है कि सà¥à¤ˆ पिरो लो। (अपने बाजू से तावीज खोलते हà¥à¤) घोड़े के लिये ये तावीज दिया है।
कहां पचà¥à¤šà¥€à¤¸ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡, कहां साà¥à¥‡ तीन रà¥à¤ªà¤¯à¥‡! क़िबला ने रिशà¥à¤µà¤¤ में कमी को अपने आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ और उसके चमतà¥à¤•à¤¾à¤° का परिणाम समà¤à¤¾ और कहने लगे कि तà¥à¤® देखते जाओ। इंशालà¥à¤²à¤¾à¤¹ चालीसवें दिन “अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°â€ के इंसà¥à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤° को घोड़े की टांग नजर आनी बंद हो जायेगी। उनकी चारपाई के चारों ओर उनका सामान à¤à¥€ डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤‚ग रूम में सजा दिया गया। दवायें, बैडपैन, हà¥à¥˜à¥à¥˜à¤¾, सिलफ़à¥à¤šà¥€, हारà¥à¤®à¥‹à¤¨à¤¿à¤¯à¤®, आग़ा हशà¥à¤° के डà¥à¤°à¤¾à¤®à¥‡, à¤à¤¨à¥€à¤®à¤¾ का उपकरण और कजà¥à¤œà¤¨ à¤à¤•à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¸ का फ़ोटो। डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤‚ग रूम अब इस योगà¥à¤¯ नहीं रहा था कि उसमें घोड़े, क़िबला और इन दोनों का पाख़ाना उठाने वाली मेहतरानी के अतिरिकà¥à¤¤ कोई और पांच मिनट à¤à¥€ ठहर सके। बिशारत के दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ ने आना छोड़ दिया परंतॠवो घोड़े की ख़ातिर क़िबला को सहन कर रहे थे।
जारी………………[अब यह शà¥à¤°à¤‚खला पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤°/शनिवार और रविवार को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ की जा रही है.]
[उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ खोयापानी की तीसरे à¤à¤¾à¤— “सà¥à¤•à¥‚ल मासà¥à¤Ÿà¤° का ख़à¥à¤µà¤¾à¤¬ से " ]
किताब डाक से मंगाने का पता:
किताब- खोया पानी
लेखक- मà¥à¤¶à¥à¤¤à¤¾à¤• अहमद यूसà¥à¤«à¥€
उरà¥à¤¦à¥‚ से हिंदी में अनà¥à¤µà¤¾à¤¦- ‘तà¥à¤«à¥ˆà¤²â€™ चतà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¥€
पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤•, मà¥à¤¦à¥à¤°à¤•- लफà¥à¤œ पी -12 नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ मारà¥à¤—
सेकà¥à¤Ÿà¤° 11, नोà¤à¤¡à¤¾-201301
मोबाइल-09810387857
पेज -350 (हारà¥à¤¡à¤¬à¤¾à¤Šà¤‚ड)
कीमत-200 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ मातà¥à¤°
इस à¤à¤¾à¤— की पिछली कड़ियां
1. हमारे सपनों का सच 2. क़िसà¥à¤¸à¤¾ खिलौना टूटने से पहले का 3. घोड़े को अब घोड़ी ही उतार सकती है 4. सवारी हो तो घोड़े की 5. जब आदमी अपनी नजर में गिर जाये 6. अलाहदीन अषà¥à¤Ÿà¤® 7. शेरे की नीयत और बकरी की अक़à¥à¤² में फ़ितूर
बहà¥à¤¤ आà¤à¤¾à¤° इस कड़ी का. जारी रहिये, मजा आ रहा है पठन का.
कà¥à¤¯à¤¾ बात है जी बिमारी गधे ओह नही घोडे को और दूध पिलाया जा रहा है गधे को 🙂
दूध और तवीज तक आ गये! अब जिनà¥à¤¨-जिनà¥à¤¨à¤¾à¤¤ आते ही होंगे घोड़े का लंग ठीक करने!
बहà¥à¤¤ रोचक. आनंद आ रहा है.
जारी रहें.
Hello,
I have developed an IndicIME plugin for wordpress 2.x. You can download it from http://www.vishalon.net/tabid/244/Default.aspx. It will give you flexibility to write in Indian langauge your page and post. It will also give visitors a facility to write a comment in 8 different Indian languages at the same time.
Thanks.
Maja aa gaya.Bada hee aacha upanyas hai.