पहली बार उसे अपनी लड़की होने का अहसास हुआ. एक लड़की किस हद तक मजबूर हो सकती है इस बात से मन ही मन उसे खुद से घृणा होने लगी.
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मौलवी मज्जन से तानाशाह तक
कभी अपने बुजुर्ग या बॉस या अपने से अधिक बदमाश आदमी को सही रास्ता बताने की कोशिश न करना। उन्हें ग़लत राह पर देखो तो तीन ज्ञानी बंदरों की तरह अंधे, बहरे और गूंगे बन जाओ!
नेकचलनी का साइनबोर्ड
समझ में न आया कि नेकचलनी का क्या सुबूत हो सकता है, बदचलनी का अलबत्ता हो सकता है। उदाहरण के लिये चालान,मुचलका, गिरफ़्तारी-वारंट, सजा के आदेश की नक़्ल या थाने में दस-नम्बरी बदमाशों की लिस्ट।पांच मिनट में आदमी बदचलनी तो कर सकता है नेकचलनी का सुबूत नहीं दे सकता।
परुली: चिन्ह साम्य होगा क्या ??
अरे पढ़ लिख के क्या बैरिस्टर बनेगी. ब्या तो तब भी होगा ना और फिर तो वही भनपान, गोरु-बाछों का मोव निकलना, गुपटाले पाथना, पानी सारना और घरपन के सारे काम, इन सब में तेरी पढ़ाई क्या काम आयेगी रे परुली..और अच्छे रिश्तो के लिये मना नहीं करना चाहिये
पास हुआ तो क्या हुआ
बेइज्जती के जितने प्रचुर अवसर हमारे यहां हैं दुनिया में कहीं और नहीं। नौकरी पेशा आदमी बेइज्जती को प्रोफ़ेशनल हेजर्ड समझ कर स्वीकार करता है।
फ़ेल होने के फायदे
फ़ेल होने पर सिर्फ एक दिन आदमी की बेइज्जती खराब होती है इसके बाद चैन ही चैन।
परुली….
परुली जो एक आम लड़की है उसी की है यह कहानी ….
बुद्धिजीवियों के देश में…..
भारत विकट बुद्धिजीवियों का देश है. एक को ढूंढो हजार मिलते हैं. कमी नहीं ग़ालिब.
मैं पापन ऎसी जली कोयला भई न राख
जीवन की नश्वरता की कहानी….
कौन कैसे टूटता है ?
एक मार्मिक प्रस्तुति