आलोक जी की नियमित अगड़म बगड़म को कई लोग पढ़ते हैं पर अक्सर उन पर उतनी टिप्पणीयां नहीं आती लेकिन इस बार तो गज्जब हो गया. उन्होने गब्बर सिंह का जो ख़त लीक किया था उस पर दमदार टिप्पणीयाँ आयी हैं.
ज्ञान दत्त जी काले कारनामों की भूरी भूरी प्रशंसा कर रहे हैं.
Gyan Dutt Pandey, on February 23rd, 2008 at 6:41 am Said:
कभी कभी आपकी भूरिभूरि प्रशंसा का मन करता है। आज वही करने का मन कर रहा है। डकैती पर सर्विस टेक्स! क्या नायब और सरकार के लिये राजकोश में वृद्धि का विचार है। आप को तो वित्त सलाहकार, भारत सरकार तत्काल प्रभाव से बना देना चाहिये। फिर आप ऐसा सर्विस टेक्स आतन्कवाद, कालाबाजारी, टीटीई बाबू की दिहाडी की कमाई – इन सब पर लगवा दीजियेगा। राजकोश में इजाफा होगा और कई आम कृत्य टेक्स की नेट में आ जायेंगे।
मैं एक बार फिर प्रशंसा करता हूं जी!!!
अनूप जी तो टैक्स का नामकरण भी कर दिये.
अनूप शुक्ल, on February 23rd, 2008 at 7:06 am Said:
शानदार सलाह और अनुरोध। डकैती पर जब भी सर्विस टैक्स लगेगा उसे आलोक पुराणिक टैक्स के नाम से जाना जायेगा।
शिव कुमार जी अपनी बिरादरी के लोगों के बारे में कुछ कह रहे हैं.
Shiv Kumar Mishra, on February 23rd, 2008 at 10:31 am Said:
गब्बर सिंह जी ने शेयरों में अपने निवेश के लिए सांभा को जिम्मेवार ठहरा दिया. लेकिन उन्होंने उन एनालिस्ट लोगों को जिम्मेवार नहीं ठहराया जिन्होंने बिजनेस न्यूज़ चैनल पर बैठे-बैठे उन्हें बताया था कि किन-किन शेयर में इन्वेस्ट करना है. कहीं ऐसा तो नहीं कि सिंह जी उन्हें लूट चुके हैं जो बाकी लोगों को टीवी पर बैठे-बैठे लूटते रहते हैं.
गब्बर सिंह जी शायद अपने ऊपर छापा न पड़ने से दुखी हैं. इसीलिए डकैती पर सर्विस टैक्स लगाने की बात कर रहे हैं. एक बार उनकी सर्विस पर टैक्स लगा तो उसकी चोरी भी करनी पड़ेगी. टैब कहीं जाकर छापा पड़ेगा उनके ऊपर. और एक बार छापा पड़ गया तब जाकर लोग डरेंगे उनसे. नहीं तो आजकल जनता ऐसे लोगों को डाकू बदमाश मानने से इनकार कर देती है जिनके ऊपर छापा नहीं पड़ता.
आशा है वित्तमंत्री जी सिंह जी के सुझावों पर जरूर ध्यान देंगे. आख़िर समाज के माईनोरिटी सेक्शन के बारे में सोचने की कसम खाई है उन्होंने.
संजय तिवारी जी थोड़े सैण्टिया गये हैं.
संजय तिवारी, on February 23rd, 2008 at 10:37 am Said:
यह सही है कि आंटा-दाल चावल भी अब निवेश के इश्यू हो रहे हैं. थू है ऐसे विकास और प्लानिंग पर.
अरुण जी फिर से पंगा लेने की फ़िराक में हैं.
अरूण, on February 23rd, 2008 at 10:54 am Said:
आलोक जी आपने पिछ्ले कई साल से ये जो कंसल्टेंसी का काम किया हुआ है (अगडम बगडम प्राईवेट लिमिटेड का) इस्का सर्विस टैक्स जाम कराईये.. या हम से सैटल मेंट कीजीये सेंट्रल एक्साईज डिपार्टमेंट ,नई दिल्ली
ई..का …लो जी लो ..ग़ब्बर सिंह भी हाजिर हो गये.
गब्बर सिंह, on February 23rd, 2008 at 1:33 pm Said:
का हो आलोक बबुआ ई सब का अंट-शंट बकवास कर रहे हो.
हमई पर अगर सर्भिस टैक्सवा लगा दोगे तो बहुत पछ्तावोगे.
पता है कि नही होली कब है? हाँ कब है होली?
अबरी बरस होरी मे हम तोका नाही छोडेंगे.
संभल जइयो.
और पीछे पीछे सांभा भी…
सांभा, on February 23rd, 2008 at 6:07 pm Said:
सरदार, यहां क्या कर रहे हैं?
और फिर वालिद साहब भी…
हरी सिंह, गब्बर सिंह के वालिद, on February 23rd, 2008 at 6:30 pm Said:
गब्बर, बेटा इतने गिर गए कि एक लेखक को धमका रहे हो. मुझे कैसे गर्व होगा तुमपर? एक लेखक जिसने तुम्हें रास्ता दिखाया, जिसने तुम्हारी तकलीफों के बारे में लिखा उसे ही धमकी देना कितना जायज है?
और क्या ये चिल्लाते रहते हो कब है होली, होली कब है. ये होली के बारे में इतने आतुर क्यों रहते हो? कभी दिवाली के बारे में जानने की कोशिश की है. तीन साल हो गए, घर पर एक पैसा नहीं भेजा तुमने. कुछ अपने माँ-बाप के बारे में भी कुछ करो. जितना पैसा कमाते हो (वैसे भी अब कुछ ज्यादा नहीं कमाते), सब उस नाचने-गाने वालों के ऊपर उड़ा देते हो. मेरी हालत का अंदाजा है तुम्हें? लूट-मार से मैंने जो कुछ भी कमाया था, उसमें से आधा तो तुम्हारी ट्रेनिंग और हथियार खरीदने पर लगा दिया. बाकी जो कुछ बचा था उसे गाँव के पोस्ट ऑफिस में एम् आई एस कर रखा था. इन्टरेस्ट रेट की हालत देख रहे हो. दिनों-दिन घटता ही जा रहा है. आजकल तो खाने-पीने की तकलीफ हो रही है.
बेटा, मेरी बात पर गौर करो और अलोक पुराणिक जी से माफ़ी मांगो. आख़िर कितने लेखक हैं जो एक डाकू को रास्ता दिखाते हैं? और हाँ, तुरंत पन्द्रह हज़ार का मनी आर्डर भेजो, गाँव के बनिया के यहाँ बहुत कर्जा हो गया है. अब तो नमक देने से भी इनकार करने लगा है.
तुम्हारा पिता
हरी सिंह
शिवकुमार जी तो देख के ही ब्लॉग महिमा गाने लगे हैं.
Shiv Kumar Mishra, on February 23rd, 2008 at 6:55 pm Said:
अलोक जी,
सर ब्लॉग की ताकत का अंदाजा चला आज. आपकी पोस्ट क्या पब्लिश हुई, गब्बर, सांभा, कालिया तक आ पहुंचे टिपण्णी करने. और तो छोड़िये हरी सिंह जी तक आ पहुंचे.
वाह. ये हुआ न असली ब्लॉग-महिमा.
आप वहाँ टिप्पणी ना दे पायें हों तो यहाँ दे दें.
बाल किशन जी की धमकी के बाद उनकी टिप्पणी भी यहाँ दी जा रही है. 😉
balkishan, on February 23rd, 2008 at 1:34 pm Said:
अरे भाई साब यंहा तो बहुत खतरा है.
हम बाद मे मतलब होली के बाद कमेन्ट करेंगे.
और संजीत जी अभी आने ही वाले होंगे…धमकी देने तो उनको भी शामिल कर लेते हैं जी 😉
Sanjeet Tripathi, on February 23rd, 2008 at 3:39 pm Said:
धांसू आईडिया
क्या वंहा टिपण्णी न दे पाये हो तो यह दें दें.
पहले ये बताइए इस पोस्ट पर हमारी जो टिपण्णी थी वो कंहा गई. री-पोस्ट करें.
दुसरे ये बताएं हमरा ये आइडिया आपतक कैसे पंहुचा. हम तो ई पब्लिश ही करने वाले थे की आप ने कर दिया.
दो-डबल नुकसान हो गया.
बहुत नाइंसाफी है ये. इसकी सज़ा मिलेगी. बराबर मिलेगी.
काकेश जी,
आपने हाल ही में शंका व्यक्त की थी कि साहित्य क्रांति लाने में सक्षम है या नहीं. मेरा व्यक्तिगत अनुभव कहता है कि निश्चित तौर पर साहित्य क्रांति लाने में सक्षम है. और मेरे जीवन में इस क्रांति के लिए मैं आलोक पुराणिक जी को और उनके साहित्य को धन्यवाद देता हूँ.
देखिये न, मैंने उनकी पोस्ट पर टिपण्णी लिखते हुए अपने पुत्र गब्बर से डाक द्वारा रुपये भेजने के लिए कहा था. आज ही मुझे पन्द्रह हजार का मनीआर्डर मिला है. मेरे जीवन में इस क्रांति के लिए मैं पूरा का पूरा श्रेय आलोक पुराणिक जी को देता हूँ. गाँव के बनिए का उधार चुकाने के बाद अगर कुछ पैसा बच गया तो मैं इंस्टालमेंट पर एक कंप्यूटर लूंगा. मैंने निश्चय किया है कि अब मैं ख़ुद साहित्य का सृजन करूंगा. मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि मैं अपना एक ब्लॉग बनाऊँगा जिसका नाम होगा ‘लूट-पाट’.
अलोक पुराणिक जी के ब्लॉग पर मैंने कमेंट किया ही था. आपके ब्लॉग पर इसलिए कर रहा हूँ जिससे आप भी मेरे ब्लॉग ‘लूट-पाट’ पर आयें और कमेंट करें.
हरी सिंह
गब्बर सिंह के वालिद
शिव कुमार जी ( देखिये हम लोग कितने सुधर गए हैं. अब लोगों के नाम के साथ जी लगाने लगे हैं) ने पुराणिक जी की पोस्ट पर मेरी हाजिरी भूल से लगा दी. मैं यह हलफनामा देता हूँ कि मैंने पुराणिक जी की पोस्ट पर कोई कमेंट नहीं किया. इसलिए यहाँ कमेंट लिख रहा हूँ.
सरदार की हालत बिल्कुल वैसी ही हो गई है जैसा उन्होंने वित्त मंत्री को लिखी गई चिट्ठी में दिया है. हमलोग उनसे सचमुच में बहुत तंग हैं. एक दिन जब हमलोग आटा, चावल, दाल वगैरह नहीं ले आए तो उन्होंने हम तीनों को लाइन में खड़ा कर दिया. फिर मुझसे अपना वही वर्ल्ड फेमस डायलाग बोले कि तेरा क्या होगा कालिया. मैंने कहा सरदार मैंने आपका शेयर खाया था. जानते हैं क्या कहा उन्होंने? बोले शेयर खाया था अब गोली खा. अब दो ही चीज सस्ती बची है. शेयर और गोली. तुम शेयर पहले ही खा चुके हो इसलिए अब गोली खा.
हमसब धन्यवाद देते हैं उन साहित्यकार को जिन्होंने हमारी तकलीफ न केवल जनता के सामने रखी अपितु जनता के दिल में हमारे लिए हमदर्दी जगाई. उड़ती ख़बर सुनी है कि हम डाकुओं के लिए अब स्पेशल ‘डाकू कार्ड’ बनाने पर वित्त मंत्री राजी हो गए हैं. इन कार्ड के जरिये हमें अब सस्ता चावल, गेंहू, दाल, आलू, प्याज वगैरह मिल जायेगा.
यहाँ केवल एक ही लोचा है, हम लोग चाहते हैं कि हमें गोली, बंदूक, ए के ४७ वगैरह भी इसी कार्ड के जरिये सस्ते में मिले. अभी तो सरकार हमारी बातें मानने से इनकार कर रही है लेकिन हमें आशा है कि एक-दो मीटिंग के बाद मान जायेगी. हमने सरकार को भरोसा दिला दिया है कि अगले चुनाव तक डाकुओं की आवादी में करीब चालीस प्रतिशत की बढोतरी की उम्मीद है. नेता लोग इस बात से खुश हैं कि उन्हें एक नया वोट बैंक मिलेगा. और नए नेता भी.
पुनश्च:
हरी चचा प्रणाम.
वाह काकेश जी आपने तो कमाल ही कर दिया साईट को ब्लोग बना दिया। आप तो मास्टर माईंड नीकले!!!
हरी सिंह जी के देश को योगदान पर देश रत्न का सम्मान दिया जाये।
जब से हरी सिंह जी की टिपण्णी पोस्ट पर आयी तब से क्या हुआ रामगढ के पास के गब्बर के अड्डे पर सुनिए:
गब्बर ” यहाँ से पचास पचास कोस दूर जब कोई बच्चा रोता था तो उसकी माँ कहती थी की बेटा सोजा नहीं तो गब्बर आ जाएगा….और ये हमारा बाप हरी सिंह हमारा नाम पूरा मिटटी में मिला दिए हैं….अरे क्या जरूरत थी उनको टिपियाने की? और सबको बताने की, की उनकी माली हालत ख़राब है… ई का नाम है हाँ…अलोक पुराणिक का ब्लॉग पढने का जुगाड़ कर लिए वो और नमक का जुगाड़ नहीं कर पाए ..धिक्कार है…. इसकी सज़ा जरूर मिलेगी..बराबर मिलेगी…अरे ओ साम्भा जरा बता तो सज़ा किसको दें? अपने बाप को की उस बनिए को या आलोक पुराणिक को?
साम्भा: सरकार अभी हम मोबाइल पे एस एम् एस पोल लेके बता देते हैं…आज कल इस धंदे में खूब कमाई है सरकार. जनता बिल्कुल तैयार ही रहती है. होली तक का टाइम देते हैं सरकार…हरी सिंह के लिए एच , बनिए के लिए बी और आलोक पुराणिक के लिए ऐ टाइप करें अपना नाम लिखें और ४२०४२०४२०० पर भेज दें.
(आप क्या पढ़ रहे हैं? उठईये अपना मोबाइल और शुरू हो जाईये ….)