1.
रेबीज के नये इंजेक्शन की कसम,
किसी कुत्ते में कहां है वह दम,
जो भोंकता भी हो, चाटता भी हो,
गरियाता भी हो, काटता भी हो,
हम तो ऐसे ही थे,
और
ऐसे ही रहेंगे सनम.
2.
तेरे बिना जिन्दगी का नूर चला जायेगा,
बिन काटे किसी को क्या मजा आयेगा,
गाली खाने से नहीं डरते हैं हम,मेरे दोस्त
खायी गाली तो ब्लॉग हिट हो जायेगा.
3.
हिट हो ना सके अच्छा लिख के तो क्या,
चलो किसी ब्लॉगर को हड़काया जाये.
4.
हमारे सामने टिक नहीं सकती शराफत,
ग़ुंडागर्दी में अपना नाम बहुत चलता है.
5.
ज़ज़बात सीने में हैं तो छुपा के रख,
यहां कौन तेरे ज़ज़बात के लिये सैंटी है.
6.
प्यार आता है उस भोली सूरत पर,
जिसने मुझको सिर्फ ब्लॉगर समझा.
7.
तेरे बस में कुछ नहीं है,उजबक
तू क्या समझा था,भले हैं हम?
अब दोहा भी झेलिये
शूल,फूल,पत्थर सहित,चलें पवन सी चाल
जो ब्लॉग़िंग से भागते, कैसे बनायें माल
फोटो साभार : पंगेबाज
संदर्भ : सैटीयापा
कविकार : केडीके
कमलेश ‘बैरागी’ जी ने आईपीएल का मैच देखते-देखते ये गजल लिखी और मुझे भेजी है कि आपकी पोस्ट पर टिपिया दूँ. हमारे शहर के इतने प्रतिष्ठित कवि हैं कि मैंने उनकी बात कैसे टाल सकता हूँ..
सुनते हैं बड़ा बवाल मचा है तेरे घर में
हैं खोजते ये ब्लॉगर फूलों को पत्थर में
ये सोचते हैं सारे कि दें गाली किस तरह
दिन बीतता जाता है बस यूं ही दफ्तर में
सब धो रहे मैदान में गंजी भी लुंगी भी
और खोजते फिरते हैं गाँधी को लश्कर में
कुछ लिखते हैं दिल्ली से, कुछ मुम्बई से भी
खबरें धड़ा-धड़ बन रही रांची में, बक्सर में
‘कमलेश’ ये अच्छा है कि ब्लॉगर नहीं बने
बनके कवि खुश हो रहो, बैठो यूं ही घर में
‘कमलेश’ ये अच्छा है कि ब्लॉगर नहीं बने
बनके कवि खुश हो रहो, बैठो यूं ही घर में
-वाह जी-शिव भाई भी खूब लाये और केडीके तो हमारे पसंदीदा कवि होते जा रहे हैं. 🙂
ये हुआ न सेण्टियापे के बाद किलकारियों का दौर!
बहुत खूब.
मामला जम गया लगता है.
लगे रहिये.
पोस्ट पे पोस्ट चढाते चलो,
झमेले कि गंगा बहाते चलो.
Hindi blogging mein to Mahabharat kaal chal raha hai. dekhiye kaun jeetta hai yeh maha yudha 🙂
हमने कब ये चाहा हम भी कीचड़ में पत्थर फ़ेंके
तट पर खड़े हुए क्या लेकिन छींटों से हैं बच पाते
लफ़्फ़ाजी की झंडेबाजी , टेसू अपना अड़ा रही
बैसाखी पर टिके झूठ्जो बोते, वे क्या सच पाते ?