Technorati Tags: होली, कुमांऊ, कुमांऊनी, पहाड़ी, kumaon, kumauni holi, kumaoni holi, holi, kakesh, uttarakhand
आज पिछ्ले अंक में की गयी छालड़ी की चर्चा को ही आगे बढ़ाते हैं और छालड़ी में गायी जाने वाली कुछ प्रमुख होलियों की चर्चा करते हैं.
होल्यार छालड़ी में तरह तरह की होली गाते हैं. कुछ होलियां ऐसी भी गायी जाती हैं जो मुख्यत: महिला पात्रों द्वारा गायी जानी चाहिये लेकिन छालड़ी में इन होलियों को पुरुष होल्यार भी गाते हैं.
बलमा घर आये कौन दिना. सजना घर आये कौन दिना…
मेरे बलम के तीन शहर हैं
मेरे बलम के तीन शहर हैं
दिल्ली, आगरा और पटना..
बलमा घर आये कौन दिना. बलमा घर आये कौन दिना .. सजना घर आये कौन दिना।
मेरे बलम की तीन रानियां – २
मेरे बलम की तीन रानियां
पूनम, रेखा और सलमा
बलमा घर आये कौन दिना. बलमा घर आये कौन दिना .. सजना घर आये कौन दिना।
इस होली में समय और परिस्थिति के अनुसार स्थानीय मुद्दे या जिस के घर हो रही है उससे संबंधित चीजें भी जोड़ दी जाती हैं. जैसे एक बार जब मैं भी छालड़ी में भाग ले रहा था तो एक घर में जिसका मुखिया अक्सर शराब पीके आता था तो हम लोगों ने गाया.
मेरे बलम के तीन ठिकाने
मेरे बलम के तीन ठिकाने
घर, ऑफिस और दारू का भट्टा
बलमा घर आये कौन दिना. बलमा घर आये कौन दिना .. सजना घर आये कौन दिना।
इसके अलावा एक और होली जो प्रमुख रूप से गायी जाती है वह है.
रंग में होली कैसे खेलूं री मैं सांवरियां के संग….
अबीर उड़ता गुलाल उड़ता, उड़ते सातों रंग…सखी री उड़ते सातों रंग
भर पिचकारी ऐसी मारी, अंगियां हो गयी तंग…
रंग में होली कैसे खेलूं री मैं सांवरियां के संग….
तबला बाजे, सारंगी बाजे, और बाजे मिरदंग…सखी री और बाजे मिरदंग
कान्हा जी की बंसी बाजे, राधा जी के संग…
रंग में होली कैसे खेलूं री मैं सांवरियां के संग….
कोरे कोरे माट मंगाये, तापर घोला रंग, सखी री तापर घोला रंग
भर पिचकारी सनमुख मारी, अंखिंया हो गयी बंद…
रंग में होली कैसे खेलूं री मैं सांवरियां के संग….
लंहगा तेरा घूम घुमेला, चोली तेरी तंग
खसम तुम्हारे बड़ निकट्ठू , चलो हमारे संग
रंग में होली कैसे खेलूं री मैं सांवरियां के संग….
इस होली की अंतिम लाइनों को हम लोग बहुत जोर देकर गाते थे. अगले अंक में इसकी पॉडकास्ट भी आप तक पहुचाने की कोशिश करुंगा.
किसी घर में होली खतम करने के बाद एक घर से दूसरे घर के बीच में कुछ होलियाँ गायी जाती हैं.जिसमें कुछ स्थानीय मुद्दे , कुछ ‘उन्मुक्त्तता’ ( पिछ्ले अंक में मेरे द्वारा लिखी गये शब्द ‘अश्लीलता’ को हेम पंत जी ने ‘उन्मुक्त्तता’ का नाम दिया था तो मैं उसी का प्रयोग कर रहा हूँ.) का पुट आता है. इस होली को बंजारा होली भी कहा जाता है.
आपू बनजारो बनज गयो बनजारो छ:
भाई आंगन निम्बू लगाय पिय बनजारो छ:
आपू बनजारो बनज गयो बनजारो छ:
नीम निमोड़ा पाकि जाला बनजारो छ:
भाई खैज बटोवा लौंग पिय बनजारो छ:
छालड़ि का एक प्रमुख हिस्सा होता है अशीष (आशीर्वाद) देने का. हर घर में होली गाने के बाद होली का मुखिया अपने साथियों के साथ घर के मुखिया और उसके पूरे परिवार को लाख बरस जीने का आशीर्वाद देता है. यह आशीर्वाद पहले एक गाने के रूप में सभी देवताओं को दिया जाता है.
केसरी रंग डारो भिगावन को, सांवरी रंग डारो भिगावन को
गणपति जीवै , लाख बरीषा , ब्रह्मा , विष्णु जीवे लाख बरीषा,
उनकी नारी रंग भरे , केसरी रंग डारो भिगावन को
शिवजी जीवै , लाख बरीषा , रामचन्द्र जीवे लाख बरीषा,लछ्मन जीवै लाख बरीषा
उनकी नारी रंग भरे , केसरी रंग डारो भिगावन को
इसमें अन्य देवी-देवताओं के नाम भी जोड़े जाते हैं.
इसके बाद घर के सभी पुरुष सदस्यों का नाम लेकर उनको भी आशीर्वाद दिया जाता है.
मुख्य होलियार : मथुरादत्त ज्यू जी रौ लाख सैवरी
बांकी होल्यार : हो हो हो लख रे.
मुख्य होलियार : उनर पूत परिवार जी रौ लाख सैवरी
बांकी होल्यार : हो हो हो लख रे.
मुख्य होलियार : उनर गोरु बाछ, भेड़ बाकर, भान-कुन जी रौ लाख सैवरी
बांकी होल्यार : हो हो हो लख रे.
यानि मुख्य होल्यार कह रहा है कि मथुरा दत्त जी, उनका समस्त पूत परिवार, उनके गाय-बैल , भेड़ बकरी, बर्तन सभी चीज लाख वर्ष तक जीवित रहे. बाक़ी लोग आमीन जैसी ध्वनि के साथ कहते हैं जरूर लाख वर्ष तक जियें.
जब गांव या मोहल्ले के अंतिम घर में होली की आशीष हो जाती है तो अंत में सब लोग एक दूसरे के हाथों में हाथ डाल अपनी जेब का सारा अबीर-गुलाल , रंग जमीन में फैक देते हैं, कुछ लोग अपनी टोपियाँ भी फैक देत हैं और सब मिल कर गाते हैं.
आज कन्हैया रंग भरे , रंग की गागर सर पे धरे
होली खेली खहली मथुरा को चले ,आज कन्हैया रंग भरे
आज की होली न्हैं गेछ , जी रया जाग रया कै गेछ
अब फागुन उलौ कै गेछ, जी रया जाग रया कै गेछ
कन्हैया अपने घर मथुरा की ओर गये.इस बार की होली खतम हुई.सभी लोग जीते रहें खुश रहें. अगले बरस फागुन में होली फिर आयेगी तब तक सब लोग जीते रहें और खुश रहें.
तो इस बार की छ्लड़ी खतम हुई. अगले अंक में कुछ शास्त्रीय होलियों की चर्चा करेंगें.
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संतनगर के खीम सिंह रावत जी ने दो होलियाँ और भेजी हैं. रावत जी को ढेर सारा धन्यवाद.
1.
शिव दर्शन देऊ जटाधारी , शिव दर्शन देऊ जटाधारी
ये कौन जी झूले लडिया हिनोला,ये कौन झुलावन आयो हरी.
शम्भू जी खेलें लडिया हिनोला , गौरा झुलावन आयो हरी.
राम जी खेलें लडिया हिनोला , सीता झुलावन आयो हरी.
कृष्णा जी खेलें लडिया हिनोला , राधा झुलावन आयो हरी.
2.
द्वारे जो देखूँ ठाडो देवरिया , म्यरा स्वामी परदेश रहनी हो ला.
पूरब दिशा में कालो बदरिया , पश्चिम दिशा घनघोरा हो ला.
चाला जो चमके बिजूरी जो धमके , रिमझिमे बरसे मेघा हो ला.
स्वामी की भीगे लाल पगड़िया , मेरी रेशमिया साड़ी हो ला.
बाली उमरिया तरुणी हैगेछा, म्यारा स्वामी घर कब ऐला हो ला.
तरुणी उमरिया कसिक निभानूँ , म्यारा स्वामी निर्दयी हैगी हो ला.
जारी …………………….
इस श्रंखला के अन्य लेख
1. कुमांऊनी होली : अलग रंग अलग ढंग 2. कुमांउनी होली: भक्ति भी,अश्लीलता भी
HO ho holakre mai thora addition:
Mukhy:Ho ho holakre
Baki: Ho ho holakre
Mukhy: Barse diwali barse fag
Baki: Ho ho holakre
Mukhy: Jo nar jeeve khele fag
Baki: Ho ho holakre
Mukhy: Aaj ka basant ka ke gharo
Baki: Ho ho holakre
Mukhy: AAj ka basant mathura datt jyu ka gharo
Baki: Ho ho holakre
Mukhy: Inke nana tina, put pariwar jiyo lakh severi
Baki: Ho ho holakre..
so on…
Dhanywad,
kiran
बहुत रोचक जानकारी मिली, आभार.
एक घर से दूसरे घर जाते समय रास्ते में गाये जाने वाली एक होली एक होली इस तरह भी है..
मंडर-मंडर मडराये, भंवरा है बृजवासी
उड़ भंवरा गालन पर बैठो, गालन को रस लैत…
भंवरा है बृजवासी…
काकेश जी होली पर लिखी गयी आपकी यह श्रृंखला एतिहासिक बन चुकी है… आने वाले कई सालों तक इससे विभिन्न माध्यमों के लिये पहाडी होली के बारे में संदर्भ लिये जाते रहेंगे.. शास्त्रीय होलियों पर लेख का इंतजार रहेगा.
वाह जी वैसे अगर आप पोडकास्ट करते तो ज्यादा मजा आता..:)
Ek holi mukhay taya last din gayi jati hai “Holi ki Asheesh”
Mukhy: Holi ka fagwa ki yo cha Asheesh
Baki: Sab jana Bachi raya lakh Bareesh
Mukhy: Holi ka fagwa ki yo cha Asheesh
Baki: Goth pana Bachi raya lakh Bareesh
Mukhy: Aaj ki holi kaika ghar
Baki: Aaj ki holi MathurDa ka ghar (Ghar ke mukhiya ka nam)
Mukhy: Mathurda Bachi raya lakh bareesh
Baki: Mathurda ka Nan-teena Bachi raya lakh bareesh
(kabhi kabhi nan-teena ke sath sath Goru-Bachha, kheti badi bhi add kar diya jata hai)
Mukhy: Ael ki holi nashi ge
Baki: Agil sal uulo kai Gaich
यह तो सन्दर्भीय पोस्ट है।
Bahut Khushi hui uttaranchal ka parchar parsar dekh kar
Garhwal eak dev bhumi hai
Regards,
B S Rawat
Bahut Bhal Lago Ho Dajiu bahut bahut Danyvad
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तुमरि य पोस्ट भौत भलि लागि हो महाराज ! धन्यवाद्!