हिन्दी ब्लॉगिंग के इतिहास में पहले का बहुत महत्व रहा है. इसीलिये कोई ना कोई अपने आप को पहला साबित करने में जुटा है. किसी ने चलती ट्रेन से पहली पोस्ट लिखी तो कोई अस्पताल के वार्ड से पहली पोस्ट लिख रहा है.वैसे हमने भी एक पोस्ट चलती ट्रेन में रात को बारह बजे बाद लिखी थी लेकिन इसे चलती ट्रेन से पोस्ट नहीं कर पाया था और फिर उस समय पहले का महत्व मालूम भी ना था. लेकिन सोचा आज एक मौका है इसलिये इसे हाथ से क्यों जाने दें.
तो ये रही फ्लाइट से लिखी हुई पोस्ट (पहली है या नहीं यह फैसला आप करें). यह फ्लाइट है इन्डियन एअरलाइंस की IC -201. कलकत्ता से दिल्ली जाने वाली यह फ्लाइट कलकत्ता से दिल्ली के बीच 1325 किमी की दूरी को तकरीबन 2 घंटा 15 मिनट में पूरी करती है.
ऊपर वाला हिस्सा तब लिखा था जब विमान उड़ा नही था. विमान परिचारिका कह रही थी कि आप लैपटॉप का प्रयोग विमान के उड़ने के बाद ही कर सकते हैं. मैने उससे कहा कि कोई जरुरी काम है तो वो फिर कुछ नहीं बोली. मेरे बगल में दो लोग बैठे हैं वो चाइनीज जैसे लग रहे हैं और शायद चाइनीज में बात कर रहे हैं उनमें से एक मेरे स्क्रीन को ध्यान से देख रहा है. कहीं वह हिन्दी पढ़ना जानता ना हो. 🙂 लगता तो नहीं क्योकि वो सिर्फ देख रहा है उसके चेहरे के भावों को परिवर्तन नहीं हुआ.अब शायद जलपान सेवा आरंभ होगी.
सामान्यतया मैं यात्रा के दौरान किसी से बात नहीं करता लेकिन जलपान के दौराम मैने एक चाइनीज से बात करने की कोशिश की (इस पोस्ट के लिये). वे लोग हिन्दी नहीं जानते …ना ही अच्छी अंग्रेजी बोल पा रहे हैं. उनसे बात करने से पता लगा कि वो दिल्ली में ऑटो एक्स्पो देखने जा रहे हैं. वो सीधे कलकत्ता आये थे क्योंकि उनके कुछ मित्र कलकत्ता में रहते हैं. मैने एक चायनीज से पूछा कि उनको भारत कैसा लगा. उसका कहना था “ब्यूतीफूल बत क्राउडेड” . मैने उनसे पूछा कि चीन की जनसंख्या भारत से ज्यादा है तो क्या वहाँ ज्यादा भीड़भाड़ नहीं है. उसका कहना था कि नहीं वहाँ सड़कें ज्यादा चौड़ी हैं और सरकार लोगों का अच्छा ध्यान रखती है. जलपान में उसने शाकाहारी खाना लोया.उसने यह भी बताया कि उसे भारतीय खाना पसंद हैं.
अभी विमान के कप्तान ने घोषणा की है कि हम 36000 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहे हैं.बाहर का तापमान शून्य से 50 डिग्री कम है. विमान की गति 700 किमी/घंटा है. कुछ दूरी पर विपरीत दिशा से हवायें 200 किमी/घंटा से आ रही हैं इसलिये विमान निर्धारित समय से 15 मिनट की देरी से दिल्ली पहुंचेगा. कलकत्ता का तापमान 27 डिग्री सैंटीग्रेड था. दिल्ली का तापमान 17 डिग्री सैंटीग्रेड होने की संभावना है.
विमान अब दिल्ली पहुंचने वाला है. मेरे सामने की सीट पर एक महिला बैठी है जो शायद बंगाली हैं क्योकि वो “आनन्दलोक” ( एक बंगला पत्रिका”) पढ़ रही थीं. उन्होने अपने बैग से एक छोटा सा शीशा निकाला है और वो अपने चेहरे को देख रही हैं. फिर उंन्होने एक लिपिस्टिक निकाली है और वो होंठों पर लिपिस्टिक लगा रही हैं. एक काली पैंसिल भी निकाली. उससे भी कुछ कर रही है. अब यह पलकों पर लगा रही हैं या आंखों पर समझ नहीं आ रहा. उनके बैग पर कुछ लिखा हुआ है …मैं पढ़ने की कोशिश कर रहा हूँ…. “शाश्वती भट्टाचार्य” ….शायद नाम है उनका.
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ऊपर वाली पोस्ट कल (14 जनवरी) फ्लाइट में लिखी थी. लेकिन उसे चित्र लगाने के बाद पोस्ट अभी (15 जनवरी) कर रहा हूँ.
प्रत्यक्षा जी ने कहा : चित्र कहाँ है? भारत के विमानों में चित्र लेने की अनुमति नहीं होती. फिर भी चुंकि पोस्ट लिखनी थी तो ….
सीट के आगे लगा चार्ट | ऊपर लगे सामान कक्ष | प्रतीक्षा स्थल (लाऊंज) |
विमान के अंदर की फोटो किधर है ? हम कैसे मान लें ऐसे ही ?
हमने तो मान लिया. बधाई,
मान लिया, बधाई
पन शाश्वती भट्टाचार्य की फोटू होती तो ज्यादा अच्छे से मानते 😉
हम्म इसीलिए आप ‘स्विच्ड ऑफ ऑर आउट आफ कवरेज एरिया थे’
अब जमीन के लोगों से भी बात करेंगे न :))
एक्सीलेण्ट। यह जुनून बनाये रखो मित्र!
ye to seedha seedha airplane se post likhne ka pehla mamla samne aaya hai. 🙂 waqai me ब्यूतीफूल बत क्राउडेड
इस टाईप की पहली पोस्ट लिखने के लिए बधाई 🙂
‘उड़ते हुए चिट्ठाकर्म’ क्या बात है। काश कोई इस पर पेंटिंग बना डाले?
आपको हिंदी जगत का प्रथम उडनपोस्ट ब्लोगर पुरुस्कार दिया जाता है..कृपया अपना अभिनंदन समारोह आयोजित कर पुरुस्कार स्वीकारने के लिये तुरंत दिल्ली पधारे..सुनो पंगेबाज की डेस्क से उनकी प्रथम सेक्रेटरी..मालामाल्पानी