कहते हैं हम को समय की मांग के हिसाब से काम करना चाहिये.कल अमरीका जाने की बात की तो गुरु अजदक नाराज हो गये. वो खुद पहले इटली और अब चीन की यात्रा कर रहे हैं लेकिन हमको अमरीका नहीं जाने देंगे. इसलिये हमहूँ डिसाइड कर लिये कि हम झुमरी तलैया शिफ्ट हो जाते हैं. इसके जो फायदे हम को नजर आये वो यह हैं.
1. एक तो यह कि लोग कहते हैं कि ब्लॉगिंग में बिहारवाद आ रहा है.इसीलिये सब लोग बिहार छोड़ कर बड़े शहरों में शिफ्ट हो रहे हैं और अपने अनुभव बता रहे हैं. हम बड़ा शहर छोड़ के बिहार शिफ्ट होंगे और वहाँ से अपने अनुभव लिखेंगे और 10-12 पोस्ट इसी पर ठेल देंगे. फिर लोग ब्लॉगिंग में बिहारवाद की नहीं वरन बिहार में ब्लॉगवाद की चर्चा करेंगे.
2. हमार झुमरी तलैया रेडियो में अपने फरमाइश भेजने के लिये माहिर रहा है. किसी भी फर्माइशी कार्यक्रम यदि झुमरी तलैया की फरमाइश ना हो तो वो कार्यक्रम पूरा नहीं होता. फिर हमहूँ अपनी फरमाइश भेज के अपने पसंद के गाने सुन सकेंगे.
3. आजकल ब्लॉग-सृजन के लिये सम्मान के लिये दिये जा रहे हैं उसमें भी बड़े शहरों वालों को शामिल नहीं किया गया है. ठीक किया जी …वैसे भी हमें बड़े शहर में कोई सुविधा नहीं है ..और हमने तो सुना है जी कि आजकल लोग रतलाम जैसी छोटी जगह में 2 एम बी पी एस का कनेक्शन इस्तेमाल करते हैं और इलाहाबाद जैसी जगह में जी.पी.आर.एस से ब्लॉग पढ़ लेते हैं …हमें तो यह सब सुविधा बड़े शहर में मिल ही नहीं पाती…बस एक कंपनी से मिले लैपटॉप को कंपनी से मिले डेटाकार्ड के जरिये सिर्फ लैप में ही इस्तेमाल करते हैं जी…..दो तो छोड़ एक टेबल भी नही है लैपटॉप रखने के लिये. इसलिये झुमरी तलैया चले जायेंगे तो यह सब सुविधा भी मिल जायेगी और फिर हमरा नाम भी ऎसे सम्मानों में शामिल हो जायेगा.:-)
4. अक्सर फिल्मों में झुमरी तलैया का जिक्र होता रहता है. जब भी ऎसा जिक्र होगा हमको भी लगेगा कि हमारे शहर का नाम हो गया जी.
इसलिये हम फॉर-द-टाइम-बीइंग झुमरी तलैया शिफ्ट हो रहे हैं जी…..
सम्मान वाले लोग सुन रहे हैं ना…
बहुत वेरी गुड आयडिया है जी । हम भी साथ में चलूंगा । एक सीट हमारी भी बुक कीजिए । पैसा उधार कर लीजिए ।
चलो इस बहाने हमें भी झुमरी तलैया से टिप्पणी मिलने लगेगी, हमें भी बताना कईसा लगा झुमरी का तलईया
बहुतै नेक अउर उत्तम विचार है। उसका लाजिकवा भी जबरदस्त है। हम तो आपके साथ झुमरी तलैया में बूड़ने नहीं आ सकते, लेकिन बराबर खोज-खबर रखेंगे, ई हमार वादा है।
हम तो पाहिले से ही हूँ…’ब्लागिंग के झुमरी तलैया’ में. लेकिन वहाँ चले जायेंगे तो इफेक्ट डबल हो जायेगा……:-)
🙂
दुनिया बनानेवाले क्या तूने दुनिया बनायी.. ककेस को कवन नाच नचायी?
इस पोस्ट को पढ़ कर एक विचार आया की हम स्रजन सम्मान के प्रथम अधिकारी है है क्योकी
एक तो हम NCR मे रहते है तो हम तो त्रिशंकु हुए और दूसरे अब ये पूरी तरह साबित होगया है की हमे तकनीक और इंटरनेट का ज्ञान ही नहीं है । तो हम स्रजन सम्मान पर अपना दावा ठोकते है और अगर ये पुरुस्कार हमे नहीं दिया गया तो हम कोर्ट से स्टे लायेगे और चीफ मिनिस्टर तक दौड़ लगाये गे ।
जब हम आपको वर्ल्ड का सौरी ब्रह्मांड का नंबर तीन का टाप लेखक घोषित कर दिया हूं, तो काहे को टेंशनिया रहे हैं।
सिर्फ उनका ही सुनिये, जो आपको लेखक मानते हैं और तीन नंबर का लेखक मानते हैं। लेखकीय पहचान एक्सचेंज आफर से मिलती है। जो आपको अच्छा लेखक ना माने, उसे लेखक तक मानने से इनकार दीजिये।
मस्त रहिये।
ई प्लानवा तो बड़ा बढिया है.. हमरे मुड़ी में ई पहले काहे नहीं आया पता नहीं, नहीं तो हमहू अब तक इनमवा जीत लिये होते..
लोग दे क्यों नहीं देते एक झकाझक अवार्ड काकेश जी को! यह सत्याग्रही पोस्टें तो बन्द हों! 🙂
Kakesh ji hum bhi chalge aapke sath 🙂
New Post – Titanic : The hottest love has the coldest end
भाई जी,सब मिल के हमरे मन की बात इतना बढ़िया से ओऊ इतना तरह तरह से कह दिए कि अब हम का कहें.हाँ,पुराणिक जी के बतियाँ पर विशेष ध्यान दीजियेगा.बाकी ज्ञान सर ने जब आश्वासन दे ही दिया है सर्तीफिती देने का तो हमहूँ अनुमोदन करेंगे उनके डिमांड का हर मंच पर.
रुकिए रुकिए तनिक भई, हमहूं चल रहा हूं न आपके संग, हमको न ले जाईए का।
हमहूं बोरिया गया हूं ई शहर कहलाने वाले कस्बे में रहकर इससे भला तो झुमरीतलैय्या न।
चलिए अब, बिस्तरा उस्तरा रेडी हो गया अब तो हमरा भी।
ये ल्लो!! सब चल दिए आपके पीछे पीछे, आपकी एक पोस्ट में ही ये झूमरी तल्लैया इतना बड़ा हो गया. आप कोई और छोटी जगह तलाशिये काकेश जी. मदद चाहिए तो हमसे कहिये, झाबुआ के जंगलों और आदिवासियों के बीच कोई अच्छे सी जगह दिलवा देंगे. 🙂
भय्या जी ऐसन भी अवार्ड के पीछे का बावरापन किस काम का जो अच्छी खासी जगह छोडकर झूमरीतलैया जा रहें हैं .
बाद में मत पछताईयेगा …… दोष भी ना दीजियेगा की समझाया नहीं था।
🙂
काकेश जी ये अवार्ड का चक्कर तो पता नहीं पर झुमरी तैलया जाने के इत्ते सारे फ़ायदे है और सब ब्लोगर भाई लोग आप के पीछे उधर ही चल दिए तो फ़िर अपुन भी पीछे कैसे रह जाएँ एक टिकट हमरी भी कटवा ही लीजो, पैसा झुमरी तैलया में दे देंगें
वाह मजेदार ! परन्तु मैं तो कहती हूँ यहाँ हमारे जंगल में आ जाइये । हम अपने सब शेर, शेरनी, बाघ व अपने मित्रों के साथ आपका स्वागत भी करेंगे और यदि इन्हें आप ब्लोगिंग सिखा देंगे तो ये सब आपको वोट भी दे देंगे ।
घुघूती बासूती