यह चिठ्ठा 19 मार्च 2007 को यहाँ प्रकाशित किया गया था ।
कल जब अपना चिट्ठा लिख रहा था तब ना तो मन में ये था- जैसा कि हमारे अग्रज (?) ने कहा, “वैसे, विवादों से शुरुआत करना अपनी तरफ ध्यान आकर्षित कराने का पुराना फंडा रहा है।“ – कि मैं किसी का ध्यान अपनी और आकर्षित करूं और ना ही ये कि मैं “पिल्लम पिल्ली” कर कोई विवाद को जन्म दूं ..और “पिल्लम पिल्ली” करना मेरी हौबी भी नहीं है ..और “तू कौन खांमखा ?” कोई कहे तो “क्या जबाब दें ?”..हम तो कोई भी नहीं श्रीमान…और फिर केवल चिट्ठा लिख ले लेने से कोई कुछ हो भी नहीं जाता भाया..तो हम तो कोई भी नहीं..
अब तो लग रहा है कि या तो अपन को भी “ब्लॉग की राजनीति“ समझनी पड़ेगी या फिर जल में रह कर “मगर” से बैर करना पड़ेगा (वैसे आपने crocodile tears के बारे में तो सुना ही होगा ना)। मेरा सोचना था (!) कि मैं भी चर्चा में चल रहे चिट्ठों पर अपने विचार व्यक्त करता रहूं किंतु बहुत सी विपरीत टिप्पणीयों से अब उसकी हिम्मत नहीं रही। इसलिये नहीं मैं घबरा कर भाग रहा हूं बल्कि इसलिये कि मैं फालतू के वाद-विवाद में अपनी ऊर्जा नष्ट नहीं करना चाहता..ज़ब लोग “वाद-विवाद” को सिर्फ “विवाद” की दृष्टि से ही देखें तो फिर तर्क युक्त बातें भी बेमानी हो जाती हैं। मैं सेठ जी से सहमत होते हुए यह कह सकता था कि मैं आपके लिये नहीं लिखता पर “सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं” इसलिये मैं अब “शुरुआती झटकों” को बन्द करता हूं..और अब आइन्दा सिर्फ और सिर्फ अपनी ही बात करुंगा.. कोई “वाद” ना होगा तो “विवाद” भी ना होगा…
अब हर चिट्ठा आपको अच्छा ही लगे ये जरुरी तो नही जैसे डा. प्रभात ने कम्पुटर को जल्दी खोलने और जल्दी बन्द करने का उपाय बताया अब चुंकि मैं आई.टी. से जुड़ा हूँ तो मेरे लिये ये बचकानी सी बात है पर मैं इस पोस्ट के पीछे मनतव्य को समझता हूँ इसलिये इसे अच्छा ही मानता हूं..
एक दोहा आज दिन भर बहुत याद आया …. ना जाने क्यों..??
बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर
पंछी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर
सभी गुणी जनों को मेरा प्रणाम ..
भैया, जो पिछली कमेन्ट मे लिखा था, शायद आप उससे बुरा मान गए।
मेरा सिर्फ़ इतना कहना था, कि पूरा का पूरा मसला ही बिला-वजह का था। कई लोगों ने स्वतन्त्रता के हनन की बात उठाई, आपने ने भी लिख दिया, वो भी पहली/दूसरी पोस्ट। आप कम से कम दूसरों की पोस्ट तो पढते। जबकि मसला ये था ही नही, सवाल कुछ और उठाया गया, लेकिन लोगों ने सवाल ही बदल दिया।और अपने हिसाब से जवाब देना शुरु कर दिया।
रही बात पलायन करने की, तो भैया, आप हिन्दी ब्लॉगिग मे अभी अभी आए हो, कुछ तकनीकी ज्ञान हम सभी के साथ बाँटिए, कुछ अपनी कहिए, कुछ हमारी सुनिए। ये क्या, पहले पहल चल रहे विवाद मे पड़ गए, और अब जाने की बात कर रहे हो।
ब्लॉगिगं आपने अपनी मर्जी से शुरु की थी, इसलिए बन्द करने के लिए भी आपका निर्णय ही अंतिम होगा। लेकिन हम तो सिर्फ़ इतनी गुजारिश करेंगे, आप अपने लिए ब्लॉगिंग करते हो किसी और के लिए नही। इसलिए दूसरों की वजह से आप ब्लॉगिंग बन्द करो, ये अच्छी बात नही।
धन्यवाद आपके कमेंट्स का .
मैने ब्लॉगिगं बन्द करने का निर्णय नहीं लिया है मैने तो निर्णय लिया है कि में दूसरों के फटे में अपनी टांग ना अड़ाऊं . तो अब मैं दूसरों के ब्लोग्स पर अपने विचार देने की बजाय अपने ही ब्लोग लिखुंगा .
“…तो अब मैं दूसरों के ब्लोग्स पर अपने विचार देने की बजाय अपने ही ब्लोग लिखुंगा …”
तो मेरा आग्रह है कि आप नित्य, नियमित लिखें, और तकनीकी ज्ञान बाटें. हिन्दी ब्लॉग तो तकनीक के मामले में पूरा कंगाल है. तो क्यों न शुरू करिए आज से ही?
लेकिन हिन्दी ब्लागिग के लिये के लिये तो यह बहुत ही गर्व की बात है कि आप जैसे आई.टी क्षेत्र से जुडे लोग भी इसके साथ खडे हैं। बहुत जी जगह मे आप की राय हम लोगों के लिये बहुत काम आ सकती है।
सच मानिये हाल में कोई विवाद था ही नहीं. बात का बतंगड बनता चला गया. कोई स्पष्टिकरण सुन ही नहीं रहा था. बात नारद की हो रही थी, सबने चिट्ठा समझे रखा. 🙂
भाई आप नए है, हम तो दो साल से ब्लोगिंग कर रहे है, कोई राजनीति नहीं है. सहयोग भरपुर है. कुछ दिन मे आपको भी पता चल जाएगा. मेरा अनुरोध है आप पाहले सबसे परिचीत हो ले फिर फटे में भले ही टांग डाले कौन रोकता है? 🙂
अपना ज्ञान हिन्दी में संचित करते रहे. हमारी शुभकामनाएं.
देखिये भाई साहब
चिट्ठा ना लिखने की धमकी देने पर मेरा कॉपी राईट है 🙂 आप ऐसा ना करें।
थोड़े दिनोंमें देखिये यह दुनियाँ आपको कितनी भली लगने लगेगी। वाद- विवाद तो चलते रहेंगे।
मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि कृपया आप अपने तकनीकी ज्ञान को हम सबके बीच में बाँटे।
दूसरे के फ़टे में टांग फ़ंसाने की जगह नए छेद खुद तलाशें 😉
मुखौटे व आचार सहिंता हमारे छेद हैं 😉
स्वागत है लिखते रहें
खुशी की बात है कि आप आईटी से जुड़े हैं। इसके रहस्य को हम लोगों के लिये आसान करें।
AAP HUMMARE LIYAE KAPHI LAABH DAYAK HONGEY
गलती के लिये क्षमा प्रार्थी हूं