सभी संगीतप्रेमी चिट्ठाकारों से निवेदन

हिन्दी के कई चिट्ठाकार अब तकनीकी रूप से कुशल हो गये हैं. अपने चिट्ठों में तरह तरह के विजेट और चित्र लगाने लगे हैं. यह एक सुखद परिवर्तन है. इधर कुछ चिट्ठाकारों ने अपने चिट्ठों में मधुर संगीत प्रदान करने वाला कोई विजेट भी लगाया है. जो चिट्ठा खुलते ही मधुर संगीत से आपका स्वागत… Continue reading सभी संगीतप्रेमी चिट्ठाकारों से निवेदन

प्रिंट में छ्पते चिट्ठाकार

प्रिंट मीडिया में आजकल हिन्दी चिट्ठाकारिता की बहुत धूम है.हाल ही में बालेन्दु जी का कादम्बिनी में छ्पा लेख तो आपने पढ़ा ही होगा. कथादेश में भी अविनाश जी का हिन्दी चिट्ठाजगत पर एक लेख हर माह छ्पता रहता है.समकाल में भी ऎसा ही लेख छ्पा था.कई ऎसे भी चिट्ठाकार हैं जिनके लेख भी पत्रिकाओं… Continue reading प्रिंट में छ्पते चिट्ठाकार

क्या चिट्ठाकार बढ़ने से फायदा हुआ है?

मैं एक महीने से भी ज्यादा सक्रिय ब्लॉगिंग से दूर रहा. उसके बाद आया तो सोचा कि हिन्दी ब्लॉगिंग के बारे में ना सोच/लिख कर केवल अपनी बात ही लिखुंगा.लेकिन कुछ बातें हैं जो दिमाग में उमड़ घुमड़ रही हैं. सोचा लिख ही डालूं. पिछ्ले आठ नौ महीने में हिन्दी चिट्ठाजगत में कई परिवर्तन हुए… Continue reading क्या चिट्ठाकार बढ़ने से फायदा हुआ है?

नो सॉरी ..नो थैंक्यू !!

समीर भाई ने लिखा ” अगर मैं कहूँ कि ९८ प्रतिशत भारत की आबादी को, जिसमें मैं भी शामिल हूँ, को न तो धन्यवाद देना आता है और न ही स्वीकारना आता है और न ही किसी का अभिनन्दन या प्रशंसा करना या फिर अपना अभिनन्दन या प्रशंसा स्वीकार करना, तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं… Continue reading नो सॉरी ..नो थैंक्यू !!

समकाल में छ्पे लेख को पूरा पढें.(साभार:संजय तिवारी)

पिछ्ली पोस्ट में आपको समकाल में छपे लेख के बारे में बताया था. बहुत से लोगों ने उसे पढ़ा या पढ़ने की कोशिश की. लेकिन शिकायत यह रही कि रिजोल्यूशन ठीक ना होने के कारण बहुत से लोग पढ़ नहीं पाये. इधर इस लेख के मूल लेखक संजय तिवारी जी ने मुझसे संपर्क किया और… Continue reading समकाल में छ्पे लेख को पूरा पढें.(साभार:संजय तिवारी)

प्रिंट मीडिया में चिट्ठाकारी की चर्चा.

आजकल चिट्टाकारी की चर्चा प्रिंट मीडिया में जोरों पर है. कुछ दिनों पहले हिन्दी की प्रतिष्ठित पत्रिका कादम्बिनी की आवरण कथा भी हिन्दी चिट्ठाकारी पर थी. जिसमें अविनाश जी ने भी अपना योगदान दिया था. अविनाश जी कथादेश में हिन्दी चिट्ठाकारी पर नियमित लिखते रहे हैं. पिछ्ले दिनों मुम्बई से निकलने वाली पत्रिका समकाल में… Continue reading प्रिंट मीडिया में चिट्ठाकारी की चर्चा.

अगड़म बगड़म शैली के आलोक पुराणिक की पुस्तक का विमोचन

एक मिठाई खाने वाली खबर ये है कि हिन्दी चिट्ठाजगत में व्यंग्य के सुपरस्टार और हमारे सह ब्लॉगर आलोक पुराणिक की पुस्तक का आज विमोचन हुआ. आप सोच रहे होंगे कि पक्का कोई “प्रपंच तंत्र” टाईप व्यंग्य-पुस्तक होगी. यही सोच रहे हैं ना ..आप सोचिये ..सोचने में क्या है ..हम भी कुछ दिनों पहले राष्ट्रपति… Continue reading अगड़म बगड़म शैली के आलोक पुराणिक की पुस्तक का विमोचन

पूजा चौहान का वीडियो…!!

पिछ्ली पोस्ट में मैने पूजा का दर्द आपके सामने रखने की कोशिश की थी. उस घटना का वीडियो देखिये..क्या यह शर्मनाक नहीं है ?? कुछ साथियों के कहने के बाद यह वीडियो हटा दिया गया है.

पुराने शब्दों की तलाश में…वाया अजदक

[ये पोस्ट अजदक की पोस्ट से प्रेरित है..] पुराने टॉर्च पर नये सैल लगा के टटोलता टटोलता आगे बढ़ने की कोशिश करता रहा.जंगल तो नहीं था पर माहौल जंगल जैसा ही था… घुप्प अन्धेरा … सांय सांय बोलता सन्नाटा. दिन में हुई बारिस से जमीन भी गीली थी.पेड़ो से बीच बीच में गिरती बूंदें ..टप… Continue reading पुराने शब्दों की तलाश में…वाया अजदक

कुछ ऊलजलूल…

पिछ्ले कुछ दिनों से दिल्ली से बाहर था..इस शोर शराबे,भीड़ भड़ाके से दूर.. शांत पहाड़ की वादियों में. एक वरिष्ठ चिट्ठाकार ने भी वादा किया था कि वे जुलाई के प्रथम सप्ताह में मेरे साथ पहाड़ आयेंगे उसी हिसाब से सारा कार्यक्रम बनाया था पर फिर वो नहीं आये..फिर मैं ही अपने परिवार को लेके… Continue reading कुछ ऊलजलूल…