जूता-सैंडल पुराण का अंतिम भाग

कल जब अपनी नयी प्रयोगात्मक पॉड्कास्ट को फाइनल टच दे रहे थे  कि कहीं से आवाज आयी.

का गजब हुआ जब लव हुआ ….. का गजब हुआ जब लव हुआ ..

गांव के गँवार छोरे को जब शहर की स्मार्ट लड़की से प्यार हो जाता है तो वो जैसे खुश होकर इधर उधर डोलता है वैसे ही कुछ अंदाज में जूता महाशय ने कमरे में प्रवेश किया. पिछ्लों  दिनों की घटनाओं से तो हम सोच बैठे थे कि जूता महाशय कहीं पिट पिटा रहे होंगे लेकिन उन को इस तरह देख कर घोर आश्चर्य हुआ. हम पौड्कास्ट के प्रयोग से काफी थक चुके थे फिर भी हमने पूछ ही लिया क्या हुआ महोदय बड़े खुश नजर आ रहे हो.

दो कारण हैं हमारे खुश होने के …एक तो ये कि तुम्हारी दुकान नहीं चल रही और दूसरी यह की हमारी दुकान चल निकली.

हम तो कुछ समझे ही नही थे इसलिये पूछ बैठे.

क्या मतलब ?

देखो तुम अभी ये ब्लौग का नया धंधा शुरु किया ना और फिर अपनी पूरी फैमिली को लेकर नया नया माल टिकाने की कोशिश कर रहा है ना … तो ना तो तेरा धंधा चल रहा और ना ही तेरा माल  बिक रहा .

बिक नहीं रहा.. मतलब ?

यही कि कितना लोग तेरे ब्लौग पे आता है….कितना हिट्स मिलता है तेरे को.

नहीं… लोग पढ़ते तो हैं ना.

खाक पढ़ते हैं ..अरे तेरे से ज्यादा हिट्स तो वो सैक्सी फोरवर्डेड पिक्चर चेपने वाले को मिल जाता है ..और वहां कमेंट्स भी मिलते हैं ढेरों . 

लेकिन वो तो सिर्फ  टाईम पास के लिये होता है और वहां तो लोग केवल टाइम पास के लिये ही जाते हैं.

तो तेरे ब्लौग को कौन सा लोग ज्ञान प्राप्ति के लिये पढ़ते हैं ..तू भी तो टाइम पास ही लिखता है..

लेकिन मैं तो ब्लौग के माध्यम से कुछ संदेश भी देना चाहता हूं.

वो तो तेरे को लगता है ना ..यदि तू अच्छा लिखता तो तेरा नाम भी ब्लौग की टी.आर.पी रेटिंग में होता ना.

देखो जूता महोदय …ना तो मैं हिट्स के लिये लिखता हूं ना ही किसी रेटिंग …

उसने मेरी बात को अनसुनी करते हुए कहा ..और तो और अब तेरे को अप्रगतिशील साहित्य की श्रेणी में भी डाल दिया जायेगा… तो क्या तू भी अब मेरे को छोड़ , कुत्ते पे लिखेगा ??  मेरा मजाक सा उड़ाते हुए आवाज आयी.

मेरे को कुछ भी समझ ही नहीं आ रहा था कि जूता महोदय क्या बोल रहे हैं किंतु उन्होने बोलना जारी रखा ..इस बार मजाक उड़ाने की नहीं बल्कि समझाने वाले अंदाज में ..

देखो चपड़गंजू तुम अभी ब्लौग-जगत में नये नये आये हो ..यहां भी फिल्मी जगत की तरह पहले से ही अमिताभ और शाहरुख बैठे हैं जिनके सिर्फ नाम से ही फिल्में बिकती हैं .तुम भी कुछ दिन यहां रहो अपना काम अच्छा करो ..फिर जब काम अच्छा होगा तो नाम भी होगा ..फिर लोग तुम्हें भी पढ़ेंगे..

उनकी बात अब कुछ कुछ समझ आने लगी थी…उसी समय एक कहानी भी याद आयी लेकिन वो बाद में ..अभी तो अपने वार्तालाप को ही आगे बढ़ाते हैं.

लेकिन आपकी दुकान कैसे चल निकली ..क्या आपकी जूती जी से सुलह हो गयी ..

सुलह ..अरे कलह हुआ ही कहाँ था जो सुलह होती..

लेकिन उस दिन तो आपका झगड़ा हो रहा था ना…

अरे किस पति पत्नी में झगड़ा नहीं होता .और फिर हम भारतीय पति-पत्नियों की यही तो खासियत है ना कि हम कितना भी झगड़ें ज्यादा देर एक दूसरे से अलग नहीं रह सकते ..

लेकिन वो आपकी प्रेमिका वाली बात पता चल गयी थी ना ..

हाँ उसको लेकर झगड़ा तो हुआ था पर हमने अपनी गलती मान ली और कान पकड़ लिये कि आगे से ऎसा नहीं होगा और जूती ने भी एक अच्छी भारतीय पत्नी की तरह हमें माफ कर दिया…बल्कि इस घटना के बाद तो हमारे रिश्ते और भी अच्छे हो गये हैं ..इसीलिये तो मैं शुरु में गाना गा रहा था ..का गजब हुआ….

ओ..इसलिये गा रहे थे ..हमने तो सोचा था…

..और हां जूती ने एक बात तेरे लिये भी बोली है कि तू अब सैंडल की बात नहीं मानेगा ….

मतलब…!!

मतलब ये कि ..तू ये जो मोटी-मोटी किताबें लेकर हमारा इतिहास-भूगोल खंगाल रहा है अब वह इतिहास नहीं लिखने का ..

अरे ..लेकिन मैने ये जो जानकारी जमा की है उसका क्या …

वो तो तू फिर कभी यूज कर लेना अभी तो इस एपिसोड को खतम कर…

ठीक है ठीक है ..लेकिन एक बात बताओ यार ( अब मैं थोड़ा खुल गया था ) तुम्हें तो अपने इतिहास के बारे में पता है ना…

ज्यादा तो नहीं ..बस इतना ही …कि हमारे जन्मदाता कोई आदिदास जी थे..

आप कहीं संत रैदास की बात तो नहीं कर रहे ना..

ना ..ना…वो आदिदास ..कहीं अंग्रेजी में पढ़ा था ..ADIDAS…

मेरे समझ में बात आ गयी और मैं मन ही मन हँसा और फिर मैने जूते महोदय से विदा ली…..

तो क्या करूं दोस्तो अब चुंकि वादा किया है इसलिये अब जूते का इतिहास तो फिर कभी लिखुंगा …अभी इतना ही …

Joota

By काकेश

मैं एक परिन्दा....उड़ना चाहता हूँ....नापना चाहता हूँ आकाश...

4 comments

  1. बहुत् सही लिखा है ।मज़ेदार! काश यह इस पुराण का अंतिम भाग ना होता।

  2. “तू ये जो मोटी-मोटी किताबें लेकर हमारा इतिहास-भूगोल खंगाल रहा है अब वह इतिहास नहीं लिखने का .. ”

    ह्म्म्म्म!
    कुछ कुछ समझ तो आ रहा है।
    बाकी सब बहुत बढिया है ।

  3. देखो चपड़गंजू तुम अभी ब्लौग-जगत में नये नये आये हो ..यहां भी फिल्मी जगत की तरह पहले से ही अमिताभ और शाहरुख बैठे हैं जिनके सिर्फ नाम से ही फिल्में बिकती हैं .तुम भी कुछ दिन यहां रहो अपना काम अच्छा करो ..फिर जब काम अच्छा होगा तो नाम भी होगा ..फिर लोग तुम्हें भी पढ़ेंगे..

    सत्यवचन नाम कमाना बोत मुश्किल काम होता है बीड़ू, एक टैम अपुन को भी अपनी दुकान चलाने वास्ते बोत लफड़ा करना पड़ा था, कई दिन तो भूखे पेट (बिना टिप्पणी) सोना पड़ा भाई।

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