वैसे तो नाम के बारे में बहुत कुछ लिखा जा चुका है. शैक्सपियर जी से लेकर श्रीश जी तक ने बहुत कुछ लिखा है…. और हमारे आमिर “कोला” खान जी ने भी इसके बारे में कहा है कि “पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा” तो इसी नाम की बात को लेकर कुछ बात करते हैं.
कल जब लोग कतरनें बटोरें या ना बटोरें के द्वन्द युद्ध में व्यस्त थे और हम ‘जन’ को ‘सत्ता’ ना मिलने के गम में पीठ किये बिस्तर पर पड़े थे… तो थोड़े नाराज और दुखी श्रीश जी से मुलाकात हुई. उन्ही के द्वारा उनके नाम के बारे में जाना. तो एक उत्सुकता हुई अपने नाम के बारे में जानने की .
अब खुद की अकल तो इतनी है नहीं कि कुछ कर पाते …तो फिर बगल के एक ज्ञानी पंडित जी के पास गये…और उनसे पूछा कि कृपा कर हमारे नाम का मतलब बताऎं.
पंडित जी बोले….ठीक है..तो सुनो..
यदि काकेश का सन्धि विच्छेद करें तो बनेगा ‘काक’ + ‘ईश’ .
हमने कहा वो तो ठीक है पर इसका अर्थ क्या होगा. वो बोले ‘काक’ यानि ‘कौवा’ और ‘ईश’ यानि ‘राजा’ तो काकेश हुआ ‘कव्वों का राजा….’
कव्वों का राजा ?? …भला ये भी कोई नाम है..
पर फिर सोचा …शायद ठीक ही बोला ‘कव्वों का राजा’ ……आखिर राजा तो है ना और फिर देखिये ना.. ‘यथा नाम: तथा कर्म:’ की तर्ज पर काम भी क्या मिला . कौवे की तरह काँव काँव करने का . इसीलिये तो देखा नही किसी भी विषय पर काँव काँव करने लगते हैं.
अभी तो मजाक कर रहे हैं जनाब पर उस समय बहुत दुखी हो गये थे कि नाम भी रखा तो क्या रखा काकेश !!…कोई और नाम ही रख लेते.
इसी दुख में मुँह लटकाये घर आ रहे थे कि बगल के बसका ( बसंत चाचू) मिल गये.वो पूछे तो उन को पूरी की पूरी राम कहानी सुना डाली .
वो बोले ‘तू तो मूरख है रे बेटा’.
तेरे नाम का सन्धि विच्छेद करें तो बनेगा “काक” + “ऐश” . यानि तेरी किस्मत में तो ऐश ही ऐश है . देख नहीं रहा कितनी ऐश हो रही है. फ्री की हिट्स मिल रही हैं और कॉमेंटस भी. थोड़ा दुख तो दूर हुआ पर कंफ्यूजन बढ़ गया.
अब क्या सही है क्या नहीं ये तो हमें नही मालूम आप लोग ज्यादा समझदार हैं… कृपया बतायें क्या सही है …हम तो ‘काका हाथरसी’ की एक कविता की कुछ पंक्तियां सुना देते हैं.
“
नाम-रूप के भेद पर कभी किया है गौर?
नाम मिला कुछ और तो, शक्ल-अक्ल कुछ और।
शक्ल-अक्ल कुछ और, नैनसुख देखे काने,
बाबू सुंदरलाल बनाए ऐनकताने।
कह ‘काका’ कवि, दयारामजी मारे मच्छर,
विद्याधर को भैंस बराबर काला अक्षर।
मुंशी चंदालाल का तारकोल-सा रूप,
श्यामलाल का रंग है, जैसे खिलती धूप।
जैसे खिलती धूप, सजे बुश्शर्ट पैण्ट में,
ज्ञानचंद छ्ह बार फेल हो गए टैंथ में।
कह ‘काका’ ज्वालाप्रसादजी बिल्कुल ठंडे,
पंडित शांतिस्वरूप चलाते देखे डंडे।“
🙂
अरे भैया सच कहूँ तो मैं भी पहले पहल नाम देख कर भौंचक रह गया था 🙂 पर श्रीश महोदय ने नाम का अर्थ बताने की हिम्मत कर ही ली 🙂 पर आप शेक्सपियर की बात मान लें कि नाम में क्या रखा है और बसंत चाचू भी सही कह रहे हैं।
वैसे आप ही अपने नाम और नामकरण के इतिहास के बारे में कुछ बताएँ।
संधि औ’ विच्छेद से, कुछ न बचता शेष
कव्वों के राजा बने, हमरे मित्र काकेश.
हमरे मित्र काकेश कि बहुत ही अच्छा लिखते
पॉडकास्ट के साथ भी, वही हरदम हैं दिखते
कहे समीर कविराय, छोड़ दो नाम की झंझट
ये सब उनके चोचले,जिनको काम का संकट. 🙂
-सही लिखे हो.
काकेश=काक+ईश
काकेश=काक+ऐश
काकेश=का+कईश(कहो कैसे हो?)
काकेश=का+क+अइश( क्या, क्या ऐसा है है)
काकेश=काक+इस्स(कौआ अरे! या कौवा उड़ी बाबा टाइप)
काकेश=काक+आइश (कौआ आया)
और भी तमाम हो सकते हैं 🙂
मस्त पोस्ट लिखी है, राजाजी. 🙂
पंजाबी में छोटे बच्चे को चुप होने के लिये कहेंगे = काके श्श्श्श्श्श!
भईया पहले तो पोस्ट का टाइटल पढ़कर हम दौड़े आए कि कहीं ऐश ने अभिषेक से शादी का इरादा तो नहीं बदल लिया। 🙂
खैर बसंत चाचू के हिसाब से तो श्रीश = श्री+ऐश, लेकिन इधर न तो श्री (श्रीदेवी) है और न ही ऐश (ऐश्वर्य) 🙁
हा हा खूब ऐश ली काकेश जी। वैसे आप टेंशन न लें जैसे ‘श्रीश’ का अर्थ ‘विष्णु’ होने से मैं भगवान नारायण नहीं हो जाता उसी तरह ‘काकेश’ नाम होने से आप भी ‘कौआराज’ नहीं हो जाते।
हे कौओं के राजा ! क्या आप जानते हैं कि यहाँ जहाँ मैं रहती हूँ एक भी कौआ नहीं पाया जाता ? आपके शासन में इतना अन्याय क्यों ? अब हम सात साल से काले कौआ नहीं मना रहे । क्या सभी कौए फेयर ऍनड लव्ली का उपयोग कर कबूतर बन गए ? फौरन एक फरमान जारी कर इस पर रोक लगाइये राजन् !
शायद आप काले कौआ के दिन पैदा हुए होंगे ! इजा से पूछिये ।
घुघूती बासूती
काक+ईश से हम सहमत हैं लेकिन ऐश नही एकदम नही, ये तो फिलहाल अभिषेक से साथ ही है अभिषेक यानि अभी + ऐश, सलमान और विवेक बोलते तो भी चलता लेकिन कहाँ काक कहाँ ऐश। लेकिन फिर भी कहेंगे आप कतार में हैं कृप्या प्रतीक्षा कीजिये। 😉
हे कागाधिराज
आपकी इस पोष्ट का लिंक नारद कुछ ऐसे दिखा रहा है
काक + ऐश तो समझ आया कि टिप्पणियों की ऐश करेगें जी पर टिप्पणी देने वाले कौन है जी वो तो बताइए॥अब काक को टिप्पणी अपने स्वजनों से चाहिए कि…॥?…।:)मुझे तो पहले वाला जवाब ज्यादा सही लगा और ये काका हाथरसी का कह रहे है जी जिसका नाम काकेश वो असली मे हंसों का राजा क्या?