नेतागिरी स्कूल में भर्ती होने वाले कुछ दुहारू (दूसरों को दूहने में माहिर) छात्रों की परीक्षा चल रही थी.वहां के प्रश्नपत्र में आये निबंध पर एक मेघावी और भावी इतिहास पुरुष छात्र का निबंध.
लंगी लगाना भारतीय मूल की प्रमुख कला है.लंगी लगाना यानि किसी बनते बनते काम को लास्ट मूमेंट में रोक देना.जैसे आप अपनी प्रेमिका को फोन लगाने के लिये मन बनायें और आपकी बीबी पीछे से आपको आवाज दे दे.वैसे बीबीयाँ ही लंगी लगायेंगी ये जरूरी नहीं ये काम आपके चिर परिचित हें हें हें या नॉन हें हें हें टाइप मित्र भी कर सकते है.हर बात पर क्रांति की धमकी देने वाले नये क्रांतिकारी भी और सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहने वाले महान बुद्धिजीवी भी इस कला में माहिर होते हैं. अब वो चाहें लल्लू हों या चिरकुट लंगी लगाने के मामले में हम भारतीय जन्मजात एक्सपर्ट होते हैं.एशियाई खेलों में कबड्डी में स्वर्ण पदक हमारी इसी जन्मजात प्रतिभा का कमाल है. कुछ विश्वस्त सूत्रो ने खबर दी है कि भारत सरकार लंगी लगाने की इस विशुद्ध भारतीय कला का पेंटेट कराने की भी सोच रही है.नहीं तो क्या पता कोई विदेश में रहने वाला चौधरी, जो इस मामले में पहले से ही बदनाम है,इसका भी पेटेंट करवाले.
यह कला आजकल ही सामने आयी है यह कहना उचित नहीं होगा. इतिहास गवाह है कि यह कला तो युगों पुरानी है. किसी भी चीज का इतिहास उस चीज से भी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है,हालांकि इतिहास झूठ को सच और सच को झूठ करने की सफल कोशिश का नाम भी है फिर भी इतिहास ही किसी भी चीज को समझने का पैमाना भी है.
त्रेता युग में रामचन्द्र जी के साथ ऎसा ही हुआ था.जब रामचन्द्र जी को सारा राजपाट मिलने की तैयारियां हो रही थी तो उनकी सौतेली माता कैकयी ने लंगी लगा दी और बेचारे राम को 14 वर्ष जंगलों की धूल छाननी पड़ी.वैसे उन्होने भी शूर्पनखा के लखन जी से और रावण के सीता से विवाह करने के सपनों पर लंगी लगाकर बदला चुकाने की कोशिश की पर वो खुद ओरिजिनल भुक्त भोगी थे.
द्वापर युग में लंगी लगाने के अनेक हिट सीन हुए हैं.जिन पर आज भी दर्शक चवन्नी फैंक के ताली बजा सकता है.अर्जुन घूमती मछली की आंख पर निशाना साध कर (जिसके लिये वो बचपन से प्रैक्टिस कर रहे थे) द्रोपदी को जीतकर लेकर घर आ रहे थे और सुहागरात के सपनों में खोये हुए थे कि माता कुंती ने लंगी लगा दी और द्रोपदी को पांचो पांडवों में बांट दिया. युधिष्ठिर को राजपाट मिलने की बातें पक्की होने वाली थी कि दुर्योधन ने लंगी लगा दी और उन्हें वनवास में भिजवा दिया.द्रोपदी का चीर हरण हो रहा था.दु:शाशन नग्न द्रोपदी को देखने के सपनों में खोया था.सभा के अन्य लोग भी भारतीय जनता की तरह शांत हो तमाशा देख रहे थे कि कृष्ण जी ने लंगी लगा दी.कुछ लोगों के अनुसार कृष्ण को इतिहास के प्रमुख लंगीबाजों में शामिल किया जा सकता है. अर्जुन जब युद्ध से विमुख हो कुछ भला काम करने की सोच रहा था तो उसे गीता का उपदेश देकर युद्ध में भिजवाने की लंगी मारने में भी कृष्ण जी का ही हाथ था.
कलियुग में भी ऎसी कई घटनाऎं मिल जायेंगी,जैसे जयचन्द का पृथ्वीराज चौहान को लंगी मारना. आधुनिक भारत में ऎसी कई मिसाल ढुंढी जा सकती हैं जैसे सोनिया गाधी को कोई अदृस्य लंगी लगना जिसकी वजह से उनका पी एम बनने से रह जाना.वैसे भी लंगी मारक क्रियाओं और नेतागिरी में चोली दामन का साथ है. लैफ्ट पार्टियां इस कला की जीतीजागती मिसाल पेश करते ही रहती हैं.कुछ लोगों का तो यहाँ तक कहना है कि CPI(L) का L और CPI(M) का M मूलत: क्रमश: लंगी और मारने के लिये ही प्रयुक्त होते है.लेखक इस बारे में और गहन शोध कर रहे हैं.
कुछ लोग “लंगी लगाना” की तुलना “लकड़ी करना”,”बांस करना”,”डंडा करना” या “टांग अड़ाना” जैसे अन्य विशुद्ध भारतीय क्रियाओं से करते हैं पर मेरा मानना है कि ये सब अलग अलग क्रियाऎं है और अलग अलग मौकों पर प्रयुक्त की जाती है.
लंगी लगाने की क्रिया में कैटेलिस्ट यानि उत्प्रेरक का भी बहुत बड़ा योगदान होता है. कई बार इन कैटेलिस्टों के बारे में हमें जानकारी रहती है कभी नहीं रहती लेकिन अधिकतर मामलों में कोई ना कोई कैटेलिस्ट होता ही है. कुछ प्रमुख इतिहास प्रसिद्ध कैटेलिस्ट है कुबड़ी दासी मंथरा, मामा शकुनि आदि.
तो इससे हमें पता चलता है कि लंगी मारना एक विशुद्ध भारतीय कला है इस का अधिक से अधिक उपयोग कर हमें इस (विलुप्त होती ..हो नहीं रही कहीं हो ना जाये ..वैसे चांसेज कम ही हैं पर क्यों रिस्क लें)कला को डूबने से बचाना चाहिये.तो क्यों ना आज से लंगी मारना प्रारम्भ करें.
काकेश
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लंगी हो या लुंगी, उसपर आप भारत वाले कितना भी इतरा लें, पेटेण्ट अमरीकन को ही मिलेगा.
खैर, आप यह बढ़िया सीरीज लिखते रहें. इस सीरीज के पेटेण्ट के लिये भी कोई चौधरी निकल आयेगा. 🙂
बढि़या है। इसको लंगी पुराण के नाम से पेटेण्ट कराया जाये।
शानदार .. फ़ुल फ़ॉर्म में वापसी.. बधाई..
बधाई, लगी पुराण बहुत प्यारा है
बहुत सही, आज पता चलाइसे लंगी लगाना कहते है। अपने यहाँ तो भारतीय क्रिकेट टीम भी लंगी लगाने में उस्ताद है, अपने भारतीय सास-बहू छाप टेलीविजन सीरियल वाले तो लंगी लगाने में उस्तादों के उस्ताद हैं। ऐकता कपूर तो ना जाने कब से सबके लंगी लगाते आ रही है और पब्लिक की समझ में फिलहाल अभी तक तो आया नही, शायद अब आ जाये। वैसे पहले क्लियर कर दें हम इन लंगी छाप सीरियलों से दूरी बनाये रखते हैं 😉
कांटा फंसाऊ.. कि दूं एक लंगी?
धांसू च फांसू लंगी है जी
आप इस पर पेटेंट कराले ,पर पहले हम पॆटेंट कराने के इरादे पर आप से जो पंगे लेने वाले है उसको सोचिये ,वो पेटेंट हमारे ही पास है..:)
🙂
ळम तो सुबह ही पढ़ने वाले थे इसे पर किसी ने लंगी लगा दी….अब जाकर मौका मिला।
बहुत बढि़या
टिप्पणी से आप भारत वाले
टिप्पणीकर्ता का आशय क्या हो सकता है :)हम तो इन दिनों सभी टिप्पणीकारों को भारत वाला ही समझते आये हैं, कुछ दिनों पहले जापानी और अमरीकियों की भी टिप्पणियां मिलती थी, हिन्दी में, क्या वो ये सब देखकर पलायन कर गये :)।
मस्त लंगी है । वैसे ये व्यथा या है कथा ? 🙂
पीएचडी तो कर लिया । अब लंगी आजमाईश कहाँ और कब हो ?
वाह भई, अब बात बनी न लंगी के संग-बने रहो, मित्र. 🙂
मैं तो कहता हूँ पेंटेट का काम शुरु कराओ जी, बाकी सबूत के तौर पर यह लेख दिखा दीजिएगा। :
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