आदरणीय श्री गणेश जी,
आप प्रात: पूजनीय हैं और सर्वप्रथम पूजनीय भी. आपकी पूजा किये बिना यदि कोई कार्य किया जाये तो वो सफल नहीं होता. आपको चढ़ावा दिये बगैर आगे नहीं बढ़ा जा सकता. आपका मुँह हाथी का है यनि आपके खाने के दांत और दिखाने के दांत अलग अलग है.आपका पेट भी थोड़ा बड़ा है.आप लड्डूओं और मोदकों का भोग लगाते हैं. लोग आपको लालफीताशाही लालबाग के राजा के नाम से भी पुकारते हैं. यकीन मानिये गजानन जी हमें आपसे कोई शिकायत नहीं. हम आपके अस्तित्व पर उसी तरह से विश्वास करते हैं जैसे लोग सरकारी दफ्तरों में घूसखोर के अस्तित्व पर करते हैं.इसके लिये किसी को कोई प्रमाण की आवश्यकता नहीं. आपसे भी भारत सरकार कभी प्रमाण नहीं मांगेगी ऎसा मेरा मानना है क्योंकि सरकार में क्या होगा या क्या हो रहा है उसकी खबर जब सरकार को ही नहीं रहती तो अपन तो बहुत छोटी चीज है.
आज मेरा यह प्रार्थना पत्र आपके वाहन कहे जाने वाले चूहों से उत्पन्न समस्याओं को लेकर है.हालाँकि आपकी जानकारी के लिये बता दूँ कि जिस प्रकार आपके अस्तित्व को लेकर कोई प्रश्न नहीं है उसी प्रकार कुछ चूहों के अस्तित्व को लेकर भी कोई प्रश्न नहीं करता.सभी ये मानते हैं कि आप हैं तो कुछ चूहे तो होंगे ही.आखिर आप को भी कभी इधर उधर जाने के लिये वाहन की आवश्यकता होती ही है क्योंकि हर समय तो आपको ट्रक वगैरह नसीब नहीं होते वो तो केवल गणेश चतुर्थी के आसपास ही कुछ दिनों मिलते हैं. और फिर आप सरकारी कर्मचारी भी नहीं कि हर समय आपको सरकारी वाहन उपलब्ध हो. तो कुछ चूहे तो रहेंगे ही.चूहे होंगे तो कुछ ना कुछ खायेंगे ही.उसी के लिये सरकार ने सरकारी गोदामों की व्यवस्था की है.जिन पर पिछ्ले साठ सालों से कई चूहे पल बढ़ रहे हैं.मेरी आपसे शिकायत तो उन चूहों के लिये जिनका पता अभी अभी चला है.एक रिपोर्ट के हिसाब से इन चूहों का पेट बहुत बड़ा है और ये पिछ्ले तीन सालों में तीस हजार करोड़ से ज्यादा का अनाज चट कर गये हैं. वैसे ऎसा तो ये कई सालों से कर रहे होंगे पर ये जो तीस हजार करोड़ का अनाज उन गरीबों के लिये था जो देश की चकाचक उन्नति और आजादी के साठ सालों बाद भी बाजार मूल्य पर अनाज नहीं खरीद पाते.
आपकी एक स्तुति है निर्विघ्नं कुरू में देव, सर्व कार्येषु सर्वदा.आप हमेशा अपने भक्तों के सारे काम निर्विघ्न संपन्न करवा देते हो. आपकी यह अदा प्रसंशनीय है. लेकिन सर कम से कम इतना तो ध्यान रखें कि बेचारे गरीब के पेट पर तो लात ना पड़े.वैसे आपके चूहों की एक बात का हमेशा कायल रहा हूँ. इस देश मे लोकतंत्र होने और इतनी सारी पार्टियां होने के बाबजूद आपके चूहे निरपेक्ष हैं. वो जिस भी दल में रहें खाते ही हैं. साठ साल हो गये हमें स्वतंत्र हुए.हम स्वतंत्र हो गये खाने के लिये.हम स्वतंत्र हो गये लूटने के लिये.हमारा विकास हुआ. जहां जंगल थे वहां घर बन गये.जहां घर थे वहां अपार्ट्मेंट बने हैं. विकास की दर तेज है. गरीबों का भी विकास हो रहा है.अमीरों की संख्या बढ़ रही है तो गरीबों की संख्या भी बढ रही है. ऎसे में आपके चूहे भी विकास पथ पर अग्रसर है. मुझे इससे भी कोई इनकार नहीं है. पहले लोग प्लेग से मर रहे हैं अब प्लेग की जरूरत ही नहीं रही किसान वैसे ही आत्महत्या कर लेते हैं. आपके चूहों का काम कम हुआ है प्रभू. ऎसे में कम से कम थोड़ा लिहाज कर लें तो क्या बेहतर ना होगा.
आप सर्वव्यापी है. आप सर्वज्ञानी हैं,सब जानते हैं. मैं समझ सकता हूँ कि आजकल आप को इतने सारे मंडपों मे विजिट करनी होती है. जगह जगह आपको भोग लगाया जाता है.जब भोग कम हो जाता है तो आप दूध पीने लगते हैं. आप व्यस्त हैं. लेकिन फिर भी उन गरीबों के लिये अपने चूहों को थोड़ा कंट्रोल करिये लम्बोदर. कोई व्हिप जारी कर दीजिये.एक आध चूहे हो सकता है फिर भी विरोध कर दे जय राम रमेश की तरह लेकिन अधिकतर तो समझ ही जायेंगें.
आपसे निवेदन है कि कृपया इस भक्त के प्रार्थना पत्र को सरकारी फाइल मे डाल कर भूल मत जाइयेगा. जरूरत होगी तो पर्याप्त मात्रा में पत्र -पुष्प साथ में भिजवा दुँगा.
आपका भक्त
काकेश
गणेश जी केवल अपने चूहे को समझा सकते हैं.उनका चूहा केवल उनका छोड़ा हुआ लड्डू वगैरह से काम चला लेता है. जिन ‘चूहों’ के मुँह गेंहूँ, चावल, चीनी वगैरह लग गया है, उन्हें कैसे रोकेंगे. और अब ये ‘चूहे’ तो इम्पोर्टेड माल खाने के आदी हो गए हैं.
अब इन चूहों के अलग-अलग गुट हैं. इन चूहों के सेनापति ही ह्विप जारी कर सकते हैं. वो भी तभी हो सकता है जब ये सेनापति ख़ुद न खाते हों. लेकिन ऐसा सेनापति मिलना मुश्किल है.
बालक काकेश
तुम्हारा प्रार्थना पत्र मिल गया है. विचार करके जल्दी ही कुछ सालों में बताता हूँ. 🙂
सही है. आनन्द आया.
काकेश जी,
क्यों ना जाँच के लिये एक समिति बना दी जाये, जो बीस साल में अपनी रिपोर्ट सौंपे, और फ़िर अगले दस साल वह इस बात की जाँच करेगी कि पिछले बीस सालों की रिपोर्ट के कागज चूहों ने क्यों खाये, जबकि खाने के लिये “बहुत कुछ” था… 🙂 🙂
काकेशजी को प्रणाम,
मैं आपकी भावनाऑसे सहमत हूँ, लेकिन पत्र का ढंग और अच्छा हो सकता था । मुषकोंको नियंत्रित करना सिर्फ गणेशजीकी ही नही, हम सबकी हैं। अगर हम अपनी आसपास की जगह के साथ ही सार्वजनिक जगह को भी साफ और कचरे से मुक्त रखने के लिये लोगों को प्रेरित करें और इस कार्य में अपना सहयोग दें, तो मुषकोंकी समस्या से काफी राहत मिल सकती हैं।
धन्यवाद ।
गणेश जी को सादर प्रणाम करते हुए सबों का ध्यान खींचना कहूँगा कि प्लेग फैलाने में भी इनकी महती भूमिका है…. घूसखोरी और भ्रष्टाचार के प्लेग को कैसे भगाएंगे …. गणेश जी महाराज…. आप ही श्री गणेश करदो… कृपया…
जी हाँ,गणेशमार्गी गतिबिधियो ने हमै बरबाद कर दिया है ।कुर्मान्चलको तो कुमारका प्रदेश होना चाहिए था । शायद बिलो मे बैठ के कुतरने वाले चुहो नै हमे गलत रास्ते दिखाए हो । यिन चुहाब्रान्ड गणेशमार्गीयों से साबधान रहिएगा ।
this is very good letter to bappa.
Dear Kaakesh ji ,
Chuhe bade hoshyar ho gaye hain . kya karen ???
sub parehsna hai ganesh ji sirf apne chuhon ko smabal sakte hai …..
lekin jungali chuhon ko kon sambhle…… ye laat ke bhut hai……. so tyar ho jaye..
Jaishree ganesh …..