क्या आप योग के लिये पैसा देंगे..??

क्या आपको मालूम है आप अपने घर में अब योगाभ्यास नहीं कर सकते ? क्योंकि यदि आप योगाभ्यास करेंगे तो आपको श्री विक्रम चौधरी जी को पैसे देने पड़ेंगे…..क़्योकि योग का आविष्कार भले ही उन्होने न किया हो योग का पेटेंट उनके नाम जरूर है. आज सुबह जब उठा तो सोचा बहुत मोटे हो रहे… Continue reading क्या आप योग के लिये पैसा देंगे..??

Published
Categorized as बहस

आओ ‘अनाम’ के अस्तित्व को स्वीकारें

वैसे तो मुझे खुशी होनी चाहिये थी कि कल ढेर सारी हिट्स भी मिले और टिप्पणीयां भी ….पर ना जाने क्यों उतनी खुशी नहीं हुई .क्योंकि जिस सवाल को लेकर प्रतिकार प्रारम्भ हुआ था वो सवाल तो बना ही रहा बल्कि उस सवाल के जबाब तलाशने की जद्दोजहद में कुछ नये सवाल बनते चले गये… Continue reading आओ ‘अनाम’ के अस्तित्व को स्वीकारें

Published
Categorized as बहस

बेनामी सूनामी से भी ज्यादा भयंकर !!??

आज मैं बैचेन हूँ.. इसलिये नहीं की मेरी पिछली पोस्ट “निश:ब्द” की तरह पिट गयी.. इसलिये भी नहीं कि मुझे फिर से “नराई” लगने लगी … इसलिये भी नहीं कि मुझे किसी ‘कस्बे’ या ‘मौहल्ले’ में किसी ने हड़का दिया हो .. इसलिये भी नहीं कि मेरा किसी ‘पंगेबाज’ से पंगा हो गया हो .बल्कि… Continue reading बेनामी सूनामी से भी ज्यादा भयंकर !!??

“नराई” के बहाने,चिट्ठाजगत पर बहस

कल स्वामी जी से मुलाकात हुई तो उन्होने ब्लौग लिखने के कई तरीके बताए. कई नयी बातें सीखने को मिली. य़े सत्य है कि आज भी हिन्दी चिट्ठाकरिता में उस विविधता की कमी है जो अन्य भाषाओं के ( विशेषकर अंग्रेजी ) के चिट्ठों में मिलती है लेकिन विकसित और विकाशसील का अंतर समाप्त होने… Continue reading “नराई” के बहाने,चिट्ठाजगत पर बहस

Published
Categorized as बहस

जुरासिक पार्क का सच

यह चिट्ठा 2 अप्रैल 2007 को यहाँ प्रकाशित किया गया था। “जुरासिक पार्क” कुछ दिनों पहले एक पोस्ट में पढ़ा था कि हिन्दी ब्लॉगिंग वाले जैसे जुरासिक पार्क में रहते हैं। उसी से मिलता जुलता एक कार्टून आज मिला। आप भी देखिये।

क्या होगा आपका पत्रकार महोदय ??

यह चिट्ठा 27 मार्च 2007 को यहाँ प्रकाशित किया गया था। बहस का प्रारम्भ तो हुआ था, एक बहुत ही मासूम से सवाल से कि “पत्रकार क्यूं बने ब्लौगर” पर बहस बढ़ती गयी “दर्द बढ़ता गया ज्यों ज्यों दवा की” की तर्ज पर। इसी विषय पर बहुत लोगों के विचार आये। मैंने भी एक ‘मौजिया’… Continue reading क्या होगा आपका पत्रकार महोदय ??

बेमतलब की बात..!!

यह चिठ्ठा 19 मार्च 2007 को यहाँ प्रकाशित किया गया था । कल जब अपना चिट्ठा लिख रहा था तब ना तो मन में ये था- जैसा कि हमारे अग्रज (?) ने कहा, “वैसे, विवादों से शुरुआत करना अपनी तरफ ध्यान आकर्षित कराने का पुराना फंडा रहा है।“ – कि मैं किसी का ध्यान अपनी… Continue reading बेमतलब की बात..!!

आचार संहिता का अनाचार

यह चिठ्ठा 16 मार्च 2007 को यहाँ प्रकाशित किया गया था। जुम्मा जुम्मा दो ही दिन तो हुए थे हमें (मुझे) हिन्दी में चिट्ठा शुरु किये कि मसिजीवी का ये चिठ्ठा पढ़ा।(जबसे इंटरनैट पर चिठ्ठा पढ़ना प्रारम्भ किया काफ़ी लोगो को खुद को “हम” पुकारते देखा। तब समझ में नहीं आया कि मैं खुद को… Continue reading आचार संहिता का अनाचार

पहली पोस्ट

यह चिठ्ठा 16 मार्च 2007 को यहाँ प्रकाशित किया गया था । बहुत दिनों से सोच रहा था कि मैं भी Blogging (चिठ्ठाकारी) प्रारम्भ करूँ पर एक तो हिन्दी लिखने का सहज साधन उपलब्ध नहीं था, दूसरा ये भी भय था कि कही हिन्दी चिठ्ठाकारी के धुरुन्धर (लिंक दिया जा सकता था पर दे नही… Continue reading पहली पोस्ट