वेतन बढ़ोत्तरी और गीता ज्ञान…

आजकल हमारी कंपनी , जिसमें मैं काम करता हूँ, में इंक्रीमेंट (वेतन बढ़ोत्तरी) का सीजन है…आमतौर पर अधिकतर कंपनियों में ये सीजन मार्च-अप्रेल के दौरान प्रारम्भ हो जाता है…इसकी शुरुआत होती है एक विशेष रंग में रंगे फॉर्म से (फॉर्म का रंग प्रत्येक कंपनी का अपना होता है लेकिन मेरे अनुभव के अनुसार अधिकतर कंपनियों… Continue reading वेतन बढ़ोत्तरी और गीता ज्ञान…

मेरी बिरयानी…तेरा दाल भात …????

मेरा ऎलान :ये मेरी व्‍यक्तिगत रुचि-अरुचि से जुड़ी हुई मौज है- आप इस पर या तो प्रशंसा भाव से (टिप्पणी) लिखें, या आलोचना की एक ग्राह्य शैली में ही अपनी (टिप्पणी) बात रखें. लेकिन जो भी करें …करें जरूर. अभी आज ही जब हमने इतना अच्छा गाना गाया तो लोगों ने सुना ही नहीं (अभी… Continue reading मेरी बिरयानी…तेरा दाल भात …????

गधा मिलन को जाना

अरूण भाई ने कल जब अपनी करुण कहानी सुनायी तो हमने सोचा कि अरूण भाई से दोस्ती निभा ही लें (वैसे दोस्ती नहीं निभानी थी..हमें तो डर था कि कहीं हमसे ही पंगा ना ले लें) और उसी भावावेश में लिख दिया. अरे अपने बिरादरी के लोगों से कैसा घबराना, जरूरत पड़े तो हमें भी… Continue reading गधा मिलन को जाना

कवि कविता और इन्ची टेप ..सदी की सबसे बरबाद कविता.

(इस पोस्ट को साइबर कैफे से ऑनलाइन हिन्दिनी औजार का प्रयोग कर लिख रहा हूँ . इसलिये कुछ मात्रा की गलतियाँ हैँ जो कल ही सुधार पाऊँगा . आप मन ही मन सुधार लेँ . एक दिन उधार दें.) आजकल कवियों पर शोध करने का फैशन चल निकला है . कोई कवि और कविता को… Continue reading कवि कविता और इन्ची टेप ..सदी की सबसे बरबाद कविता.

शब्दों की पड़ताल में,हम रह गये नि:शब्द ..

पिछ्ले हफ्ते मौन थे इसलिये नहीं कि किसी भाई ने धमकाया / समझाया हो कि मौन रहूं बल्कि इसलिये कि रोटी देने वाले ने भेज दिया किसी काम से और हम मजदूर की तरह चल दिये …यानि कि ऑफिस के काम से हमें शहर के बाहर जाना पड़ा . लप्पू-ट्प्पू (लैपटौप) तो साथ था पर… Continue reading शब्दों की पड़ताल में,हम रह गये नि:शब्द ..

आईये ‘मोहल्ला’ बदल डालें…

कल अपने क्लिनिक पर बैठे थे तो एक व्यक्ति आये . अब आप कहेंगे कि मैने कभी बताया ही नहीं कि मैं डाक्टर हूँ …हमने तो कल तक आपको ये भी नहीं बताया था कि हम ‘कागाधिराज’ हैं….चलो आपके गिले शिकवे फिर कभी …अभी तो आप कल की बात सुनिये.  जी हाँ मैं डाक्टर हूं… Continue reading आईये ‘मोहल्ला’ बदल डालें…

बेनामी सूनामी से भी ज्यादा भयंकर !!??

आज मैं बैचेन हूँ.. इसलिये नहीं की मेरी पिछली पोस्ट “निश:ब्द” की तरह पिट गयी.. इसलिये भी नहीं कि मुझे फिर से “नराई” लगने लगी … इसलिये भी नहीं कि मुझे किसी ‘कस्बे’ या ‘मौहल्ले’ में किसी ने हड़का दिया हो .. इसलिये भी नहीं कि मेरा किसी ‘पंगेबाज’ से पंगा हो गया हो .बल्कि… Continue reading बेनामी सूनामी से भी ज्यादा भयंकर !!??

जूता-सैंडल पुराण का अंतिम भाग

कल जब अपनी नयी प्रयोगात्मक पॉड्कास्ट को फाइनल टच दे रहे थे  कि कहीं से आवाज आयी. का गजब हुआ जब लव हुआ ….. का गजब हुआ जब लव हुआ .. गांव के गँवार छोरे को जब शहर की स्मार्ट लड़की से प्यार हो जाता है तो वो जैसे खुश होकर इधर उधर डोलता है… Continue reading जूता-सैंडल पुराण का अंतिम भाग

जूता – सैंडल पुराण -भाग 1.5

सर की सूजन से कुछ आराम मिला ही था कि अचानक फिर सर बज उठा। हम सोचे.. कि अब क्यों सैंडल रानी हम पर बजी पर देखा तो सैंडल रानी नहीं बल्कि जूता महाशय थे। हमने उनसे पूछा कि भाई अब आपको क्या आपत्ति है? तो वो बोले कल आपने “जूते की प्रेमिका सैंडल रानी”… Continue reading जूता – सैंडल पुराण -भाग 1.5

जूता- सैंडल पुराण – भाग 1

यह चिट्ठा 3 अप्रैल 2007 को यहाँ प्रकाशित किया गया था।` जूतमबाजी जारी है। कोई सिले जूते की भाषा सुनते सुनते इतना पक गया है, कि कहता है जूते की सुनो वो तुम्हारी सुनेगा। कोई फटे जूते की व्यथा कथा कहते नहीं थक रहा। लेकिन मजे की बात यह है कि ये तो कोई बता… Continue reading जूता- सैंडल पुराण – भाग 1