कल एक दिन के लिये कलकत्ता के लिये रवाना हुआ.आज सुबह तीन घंटे की देरी से राजधानी एक्सप्रेस से हावड़ा पहुंचा तो रास्ते में ही पता चला कि कलकत्ता के प्रमुख वाणिज्यिक ठिकाने “बड़ा बाजार” के एक इलाके में शनिवार सुबह या यूँ कहें कि शुक्रवार रात से ही भयानक आग लगी है. जो अभी तक यानि रविवार शाम तक भी नहीं बुझायी जा सकी. आग को बुझाने के लिये सेना बुला ली गयी है जिनका आग बुझाने का प्रयास जारी है.
“बड़ा बाजार” कलकत्ता का एक प्रमुख व्यवसायिक बाजार है. “बड़ा बाजार” घनी आबादी वाला इलाका है. यह भारत की सबसे बड़ी और पुरानी थोक व्यापार मार्केट है. यह हावड़ा के पास ही है.चुंकि यहाँ मेरे भी कई जानने वालों की दुकाने हैं तो आज शाम मैं भी यहाँ पहुंचा. बड़ा ही भयानक सा दृश्य था. नंदराम मार्किट की इमारत तब भी धू धू कर जल रही थी. ऊपर वाली मंजिलों में अभी भी आग लगी हुई थी. हमारे सामने ही 13 वीं मंजिल में कई विस्फोट हुए. वहाँ पर लोगों ने बताया कि 13 वीं मंजिल में जनरेटर चलता था और वहाँ करीबन तीन सौ लीटर डीजल तेल रखा हुआ था. वहाँ मैं उन लोगों से मिला जिनकी जिन्दगी की पूरी कमाई नष्ट हो गयी थी. एक व्यक्ति के वहाँ पांच गोदाम थे. एक नये ऑफिस का उदघाटन तो उन्होने शुक्रवार को ही किया था. सारा सामान और ऑफिस जल के नष्ट हो गये. एक व्यक्ति का कहना था उसके पचास लाख रुपये कैश उसके ऑफिस में रखे हुए थे जो जल कर खाक हो गये.
सभी लोगों से बातचीत कर जो बातें पता चली वो जरूर कुछ सोचने पर विवश कर देती हैं.
1. आग शुक्रवार रात को जमनालाल बजाज स्ट्रीट में लगी जो धीरे धीरे नंदराम मार्केट तक फैल गयी. दमकल वाले आये तो सही लेकिन पहले उन्हे गंगा प्राधिकरण वालों ने गंगा से पानी नहीं लेने दिया.जिस कारण उन्हे आग बुझाने में देरी हुई.
2. सरकार नें अपने दमकल विभाग की प्रारंभिक असफलताओं के बाद भी इस काम को सेना को देना उचित नहीं समझा. सेना को तब बुलाया गया जब आग काफी हद तक बढ़ चुकी थी.
3. नंदीबागान के दो भाइयों की दुकाने भी इस मार्किट में थीं जो पूरी तरह जल कर राख हो गयी. उनके देनदारों ने उनसे सहानुभूति जताना तो दूर अपना पैसा मांगने में भी देर नहीं की.इस प्रकार पैसे मांगने वालों को देख दोनों भाई नर्वस हो गये और उन्होने आत्महत्या कर ली.
4. दमकल विभाग के आग बुझाने वाले उपकरण इस तरह की आग को बुझाने के लिये अपर्याप्त थे. उनकी सीढियां बमुश्किल पांचवी मंजिल तक ही पहुंच पा रही थीं और वो केवल छ्ह-सात मंजिल तक ही पानी पहुंचा पा रहे थे.
5. इतनी बड़ी आग लगने के बाद भी सीपीएम वालों नें “कलकत्ता मैदान” में अपनी पूर्व-निर्धारित रैली जारी रखी. जिसमें हमेशा की तरह बसों और ट्रकों में भरे सीपीएम के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया. यह रैली उसी “मैदान” में हुई जिसमें अब पुस्तक मेले को आयोजित करने की इजाजत नहीं दी जाती इस डर से कि इससे मैदान को नुकसान होगा लेकिन सीपीएम की रैली के लिये इस मैदान को तंबू लगाने के लिये खोदा गया और फिर एक लाख से ज्यादा सीपीएम के कार्यकर्ताओं द्वारा रौंदा गया.
6. सरकार के कुछ मंत्रियों से जब आग के फैलने के बारे में पूछा गया तो उन्होने अपने गिरेबान में झांकने के बजाय यह कह कर खुद का बचाव किया कि इस इलाके में अधिकतर दुकाने गैरकानूनी थीं.
[उपरोक्त जानकारियां अग्निस्थल पर उपस्थित लोगों से बातचीत पर आधारित है.इनकी कोई पुष्टि नहीं की गयी है ]
काकेश जी। आप को धन्यवाद, यह आग आज के सत्य को प्रमाणित करती है। आप ने स्वयं देखी रिपोर्ट अत्यन्त संक्षिप्त कर दी है। इसे विस्तृत बनाते तो कुछ संवेदनाऐं और स्थान पा सकती थीं।
यह रैली ’नेशनल डिजास्टर मेनेजमेण्ट प्रोग्राम” को चुस्त बनाने के आवाहन को ले कर रही होगी। नितान्त सामयिक। 🙂
अरे, आप को अच्छे पत्रकार भी हैं!
कलकत्ता की भयावह आग का स्वरुप हर न्यूज़ चैनल की मुख्य खबर है। आग को नियंत्रित ना किया जा सकना अपने आप में एक बडी विपलता है। साथ ही ऐसे समय में रैली निकालना दुर्भाग्यपूर्ण सा लगता है। पता नहीं सम्वेदनाऒं को क्या हो गया है।
ह्म्म!!
कल रात में जी न्यूज़ पर खबर देखी! उसमे बताया गया था कि इस इलाके में आग लगने की संभावना बहुत ही ज्यादा थी और इस मुद्दे को लेकर एक व्यक्ति 14 महीने से सरकार और सरकारी विभागों को 75 से ज्यादा पत्र और ई मेल लिख चुके थे और विभाग प्रमुखो से लेकर मंत्रियों से कई बार मिलकर सुरक्षा के इंतजाम के लिए निवेदन भी कर चुके थे लेकिन अफसोस कि उनकी इस आशंका पर किसी ने ध्यान ही नही दिया!!
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