ये तो आपको मालूम ही है कि हिन्दी ब्लॉग की दुनिया के एकमात्र पंगेबाज ने 6 जुलाई को संन्यास लेने की घोषणा की थी.ये एक बड़ी घटना थी कम से कम उन लोगों के लिये जो पंगेबाज के पंगों से परिचित थे.हर एक ब्लॉगर से पंगे लेने वाला बन्दा ऎसा कैसे कर सकता है.हमने तुरंत काकेश ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेसन (KBI) के कुछ जाबांज सिपाहियों को काम पर लगा दिया कि वो पता कर के आयें कि आखिर बात क्या है.उन्होने जो रपट भेजी उसी के आधार पर प्रस्तुत है ये विशेष रिपोर्ट एक्सक्लूसिबली इसी ब्लॉग पर. आइए उस पूरे घटनाक्रम पर नजर डालें…लेकिन पंगेबाज वापस लौटे या नहीं ये हम आपको बतायेंगे एक छोटे से नॉन कॉमर्शियल ब्रेक के बाद. अभी आप पूरी घटना पर एक नजर डालें.
जब पंगेबाज ने अपना पोस्ट लिखा तब वो बहुत बैचैन थे ..अब वह भले ही कहते हों कि उन्होने केवल नारद से जाने का फैसला लिया है लेकिन उनकी पोस्ट देखिये क्या कहती है…
ब्लोग की दुनिया के दोस्तो को पंगेबाज का नमस्कार
दोस्तो,ब्लोग बनाते समय मजाक मजाक मे ले लिया गया नाम एक पहचान बन जायेगा,एक मजाक से शुरु हुई पंगेबाज की ये यात्रा इतना खुबसूरत मोड लेकर यहा पहुचेगी कभी सोचा ना था,पर हुआ .आप सब लोगो का असीम प्यार का हकदार बना मै.आज दिनांक ६ जुलाई को मै पंगेबाज आप सब को अलविदा कहते हुये आप सब से विदा ले रहा हू.
आप सब से मिले प्यार दुलार का बहुत बहुत धन्यवाद,शुक्रिया,
आपका
पंगेबाज
यानि वो ब्लौग की दुनिया से जाने का मन बना चुके थे ..उस समय उन्होने अपनी नारद वाली चिट्ठी भी नहीं चिपकायी थी… हमारी आदत है कि हम सुबह सुबह बिना किसी ऎग्रीग्रेटर की मदद लिये कुछ चुनिंदा ब्लौग जरूर खोल के देखते है .. उनका ब्लॉग देखा तो वो एक संन्यासी की तरह सब कुछ छोड़ छाड़ कर जाने की घोषणा कर चुके थे…तुरंत लगा कि या तो वो नाटक कर रहें हैं या फिर रात की अभी तक उतरी नहीं ..इसिलिये हम तो टिपिया भी दिये.. लेकिन उधर से कोई जबाब आता नहीं दिखायी दिया… तो तुरंत फोन लगाया गया कि आखिर बात क्या है…??
उनकी आवाज सुनके ही लगा कि चोट कहीं गहरी लगी है.. वही निर्विकार भाव और वही बच्चों जैसी बातें….कि नहीं रहना मुझे यहां .. क्या होगा ये सब ब्लॉग लिख कर … फालतू की बातें करते हैं सब… एक दूसरे को गाली देने के अलावा कुछ काम ही नहीं रह गया है …..क्या समझता है वो @#$ अपने आपको …
हम ध्यान पूर्वक उनको सुनते रहे …ये तो साफ हो गया कि रात कि चढ़ी हुई तो नहीं ही है…. कुछ और बात है …वो बदस्तूर जारी थे..
मैं अपने काम में मन लगाउंगा ..ये करुंगा वो करुंगा …सारी की सारी पोस्टे डिलीट कर दुंगा…
हमने उन्हें समझाया …जैसे शराबी फिल्म में अमिताभ बच्चन को उनके छोटे भाई समझाते हैं… कि भैया पोस्ट डिलीट करके क्या होगा..उलटा आपकी पोस्ट को कोई कॉपी कर लेगा (कुछ लोग इसमें बहुत माहिर हैं) ..फिर अपने ब्लॉग पर छापकर अपनी हिटास बुझायेगा…. अब तो लोगों की चिट्ठा जगत के सक्रियता क्रम पर भी नजर है भाई …
तो उस समय तो मान गये कि नहीं वो पोस्ट डिलीट नहीं करेंगे …हम अपनी सफलता पर वैसे ही खुश नजर आये जैसे माननीय प्रतिभा पाटिल को देख के शिव सेना वाले खुश होते हैं…. लेकिन मन तो खिन्न था ही कि आखिर क्या हो रहा है हिन्दी चिट्ठा जगत को….तुरंत एक पोस्ट चढ़ायी जिसको शुरु तो किया था अपनी यात्रा के बारे में बताने के लिये पर उसके बीच में ही हमने भी इन सब झमेलों से दूर रहने की घोषणा कर दी….
पंगेबाज से दिन में फिर वार्तालाप का दूसरा राउंड हुआ ..हमने उनसे कहा कि आप भले ही पंगेबाज नाम से ना लिखें या फिर ब्लॉग ही ना लिखें पर लिखना बन्द मत करें …माशाअल्लाह अच्छा लिखते हैं…!! अब अपनी तारीफ सुनकर नाग भी काटना छोड़कर नाचना शुरु कर देता है ..वो भी पिघल ही गये … 🙂 बोले नहीं नहीं लिखना बन्द नहीं करेंगे ….क्यों करेंगे इन @#$@ के लिये ..??? हम लिखेंगे और तुमको दे देंगे…तुम अपने ब्लॉग पर छाप देना….
हमने मन ही मन सोचा कि इतना अच्छा भी नहीं लिखते कि हम अपने ब्लॉग पर छाप दें.. 🙂 पर इनसे कहा ….नहीं नहीं इसकी क्या जरूरत है ..हम आपके लिये एक नया ब्लॉग बना देंगे .. और ये ब्लॉग बना भी दिया…
कल अपनी पोस्ट चढ़ायी और फिर इन्हें फोन लगाया और जनाब इनको पूरे 35 मिनट झेला..अब तक सारा सीन बदल चुका था ..वे घोषणा कर चुके थे ….
तो भाइ जी हम,हम है कह दिया तो कह दिया,हम पंगेबाज पर ही है और चिट्ठा जगत,ब्लोगवाणी तथा हिंदी ब्लोग पर भी होगे पर नारद पर नही परसो सुबह शायद ..अगर आप मिलना चाहे तो आ जाईयेगा
और फिर हमारी 11 सड़ी हुई कविताओं के बदले उन्होने पूरी की पूरी 12 अच्छी कविताऎं भी टिप्पणी में डाल दी…लीजिये वो भी देखिये….
धड़-धड़-धड़-धड़,
बम बम बम बम,
काहे लडें हम,
मौका देखा,
रणछोड़ चले हम.आबाद करेंगे हम जहा नया,
ये यहा बरबाद करेंगे.
निपटा लेगे जब ये सब को
सब भस्मासुर को
याद करेंगे,हर दम लेना तू,
ऐसे ही पंगा हमसे,
जवाब मिलेगे
पूरे दम से.भाड़ में जाये,
तेरी दुनिया
तेरी उलझन
तेरी पलटन,
हम तो हैं,
भइ मन के राजा
जहा बैठ गये
वही पे मधुबन.हम तो चले यहा से बच्चे
अब तू है और तेरे चच्चे
गली गली में नाला बहता,
बदबू से चाहे सर फटता,
पर कीड़ों की मौज हुई है,
गूंगा कहता,बहरा सुनता.आओ राजा, आओ रानी,
सुन लो, सुन लो, नयी कहानी,
एक गली में कुत्ता बोला,
मेरी ब्लोगिंग बडी पुरानी.धाक धिनक धिन,
ताक तिनक तिन,
इस्को भोकू,उस्को काटू
प्लानिंग मे
कट जाये दिन.अब तो कर ले,
अपने मन की.
जल्द ही होगा सारा चौपट,
तू तो है ही घोषित सनकी.लगा रहेगा
जाना जाना,
ऐसे ही बस कसते रहना
हाथ मे लेकर के तू पानाआग लगाई
भागो ज्ञानी
नारद की बस
यही कहानीइस जंग से तू,
क्या पायेगा,
खाली टप्पर
रह जायेगा,बिन सोचे तू
लेता पंगे
फ़िसल पडे
तो हर हर गंगेपंगेबाज
यानि वो वापस आने का मन बना चुके थे …और अभी अभी सूत्रों से पता चला है कि वो फिर आ रहे हैं …नहीं जी आ गये हैं……
badhai
चलिए आप ने टाँग खिंचाई फिर से तो शुरु की..
🙂 🙂
स्वागत है जी
पुन पंगेबाजजी का
सुना है कोई असली पंगेबाज इनसे अलग है।
प्रकाश डालें, जिनके पास हो।
आखिर लोट (लौट नहीं) के बुद्धु घर को आए.
क्या बात है भाइ खामखा मे अपने नंबर बनाने मे लगे हो,हम जरा इधर उधर हुये तो हमे पता चला की आप हमारी दुकान कब्जाने के चक्कर मे हॊ.इसी कारण हमे छुट्टी बीच मे ही छोड कर आना पडा दिखाना पडा दुकान चालू है बस जरा माल ढूढने गये हुये है…अबकी जरा ख्याल रखियेगा शटर आधा डाउन है कोई घूस ना जाये 🙂
बधाई है जी!!
बड़ा शुभ समाचार है, बहुत बधाई. आपके प्रयास रंग लाये. 🙂
🙂
अच्छा है, अच्छा है!
बहुत-२ बधाई 🙂
बधाई!
🙂
अजय जी की कविता अच्छी है