अभी अभी चिट्ठाजगत डॉट इन की आचार संहिता पढ़ी. मेरे विचार से हर संस्था को ये हक है कि वो अपनी आचार संहिता बनाये. ये उस संस्था से जुड़े लोगों को सोचना है कि वो उस आचार संहिता को माने या ना मानें. चिट्ठाकारी या ब्लॉगिंग एक अलग तरह का माध्यम है जिसका चरित्र ही है कि आप अपने नाम से लिखने या ना लिखने के लिये स्वतंत्र हैं.यह परंपरा अग्रेजी जगत में तो है ही हिन्दी जगत में भी है.इससे पहले भी इस विषय पर मेरे द्वारा और अन्य लोगों द्वारा लिखा गया है.
आचार संहिता कहती है कि वह फर्जी नाम से चितित है.मैं चिंतित हूँ कि नाम फर्जी है या नहीं ये कौन कैसे तय करेगा क्या हमें अपना पैन कार्ड या राशन कार्ड भी देना होगा 🙂 तो क्या फर्जी नाम वाले चिट्ठे चिट्ठाजगत.इन से हट जायेंगे.कुछ तो ये होंगे ही.
1. मसिजीवी
2. फुरसतिया
3. उड़नतस्तरी
4. ई-स्वामी
5. घुघूती-वासूती
5. बोधिसत्व
6. आलोचक
7. चौपटस्वामी
8. काकेश
9. सृजन शिल्पी
10. अजदक
11. अनामदास
और भी ना जाने कितने होंगे.
कल मैने एक टिप्पणी की थी लगता है वो सही ही है.
हम हैं तो लफड़े हैं
लफड़े हैं तो बातें हैं
बातें हैं तो तर्क है
तर्क है तो वितर्क है
वितर्क है तो गाली है
गाली है तो कड़वाहट है
कड़वाहट है तो मध्यस्थ है
मध्यस्थ है तो मलहम है
मलहम है तो समाधान है
समाधान है तो दोस्ती है
दोस्ती है तो हम है
हम हैं तो लफड़े हैं
चलिये देखते हैं कि ये लफड़ा कब तक चलता है..
फर्जी नाम और तख़ल्लुस में फ़र्क़ है. हम तो आपको आपके इस काकेशीय तख़ल्लुस से पहचानते हैं 🙂
hindi mae blogger sab kuch likh tae haen . hindi blog dairy nahin bantaey hae . english blog jyaadatar dairy ya autobiography hotae hae . aapne achcha sankaln kiya hae . aggrgators per rehna itna jaruri kyon hae is vishyae per bhi kuch roshni koi dale toh aur achcha hoga
चिट्ठाकारिता में मैं नया हूँ. कृपया बताएँ की चिट्ठाजगत काम क्या है, URL क्या है. मैं उसपर अपना चिट्ठा रजिस्टर कराना चाहता हूँ.
मेरे ब्लाग का नाम है
अरविद कोशनामा
उत्तर ईमेल से दें–
samantarkosh@gmail.com
अरविंद कुमार (समांतर कोश)
रविजी की बात से सहमति है. फर्जी नाम और तख़ल्लुस में फ़र्क़ है.
अरविंद जी, आपका चिट्ठा मैंने पहले ही चिट्ठाजगत् में पंजीकरण के लिए दे दिया है. बस अब आपको वहाँ पर अपने चिट्ठे को क्लेम करना होगा ताकि आपके चित्र समेत वहाँ दिखाई दे. आपको अलग से ईमेल कर रहा हूँ…
अरविद कोशनामा JEE KAE CHITTAHE KEE PEHLI KADI MASJEEVI KA LINK DAE RAHEE HAEN http://koshnama.blogspot.com/2007/10/blog-post_30.html
नाम क्या, हम तो आदमी ही फर्जी हैं।
हम ही क्या बहुत ऐसे हैं।
हमारी जगह कहां होगीजी।
एक समस्या तो आपने बताई कि फर्जी नाम वालों के साथ क्या होगा उसका कुछ हल तो रविजी ने बताया पर जो समस्या अलोक जी कि है उसका कुछ हल तो शायद ही किसी के पास हो. अलोक जी कि समस्या अति विचारनीय है.
संजय भाई व रविजी क्षमा करें मुझे नहीं लगता कि मसिजीवी, काकेश (या धुरविरोधी) उपनाम (तखल्लुस) कहे जा सकते हैं। ये नाम बाकायदा एक भिन्न पहचान हैं, अस्मिता हैं जो इनके धारकों से यथासंभव मुक्त, भिन्न या विरोधी तक हो सकती हैं। यदि फर्जी से आशय यह है कि मैं रवि रतलामी के नाम से ब्लॉगिंग करने लगूं तो वह तो आपत्तिजनक है, अमान्य भी। पर मेरे जेएल सोनारे के नाम से ब्लॉगिंग करने पर आपत्ति करें तो ये स्वीकार्य नहीं कहा जा सकता।
ब्लॉगिगं निर्मित अस्मिताओं की अभिव्यक्ति है, इसलिए यदि मेरी स्वतंत्रता (पहचान चुनने की भी) आपकी स्वतंत्रता का हनन नहीं करती तो न केवल नेतिक है वरन इंटरनेट के दुरुपयोग को देखते हुए जरूरी भी है अन्यथा सुरक्षा के गंभीर संकटों के लिए तैयार रहना होगा।
अपनी पहचान से ब्लॉगिंग करने की कीमत नीलिमा को किस किस तरह के संदेश पाकर चुकानी पड़ती है हम ही जानते हैं।
चलिये आज एक राज की बात मैं भी बता दूँ.??
मैउं भी आलोकजी की तरह फर्जी आदमी हूँ, सागर चन्द मेरा नाम नहीं है, यह तो जे एल सोनारे की तरह अपनाया हुआ नाम है। मैं कोई और ही हूँ 🙂
bhaai bodisatv ko kyon lapet liyaa aapane! unaka to chautha kavita sangrah aa rahaa isee naam se.