जैसा मैने कहा था कि शनिवार का दिन पाठकों से संवाद और टिप्पणीचर्चा का है.तो मैं उपस्थित हूँ अपनी खिचड़ी पोस्ट लेकर.
सबसे पहले उन सभी सुधी पाठको का धन्यवाद जिन्होनें मुझे तरकश पुरस्कारों के लिये नामांकित किया. हालांकि नामांकन में साथ में अ वर्ग के प्रमुख हस्ताक्षरों अजदक,अभय,अनिल,अनामदास,अविनाश को ना देख यह लगा कि इस पुरस्कार का महत्व वैसे ही कम हो गया है और रही सही कसर फुरसतिया जी ने पूरी कर दी.. ईनाम का फतवा जारी करके. लेकिन मेरे लिये नामांकन भी एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. यह सही है कि हिन्द युग्म की एक तरफा लहर में मेरी भी जमानत जब्त हो गयी लेकिन फिर भी कुछ पाठक ऎसे हैं जिन्होने मुझे वोट किया. यदि मैं स्वयं का मत हटा दूँ तो 54 लोगों ने मुझे मत दिया.आपके मतों के लिये मैं तहेदिल से आप सभी का आभारी हूँ.
पिछ्ले दो हफ्तों से नियमित लिख पा रहा हूँ. इतनी ठंड में भी सुबह पांच बजे उठकर लिखना तकलीफदेह तो है ही लेकिन इस बात का संतोष है कि हर दिन पोस्ट कर पा रहा हूँ. मेरी मधुशाला वाली श्रंखला अगले सप्ताह समाप्त हो रही है. खोया पानी की पांच कहानियों में पहली कहानी भी इस रविवार समाप्त हो जायेगी.अब कुछ नया करने की इच्छा है. देखिये समय मिलता है तो कोई नयी श्रंखला प्रारम्भ करता हूँ.
इस हफ्ते मेरा मिर्ची शोध काफी हिट रहा. उसी पोस्ट पर विनय जी की टिप्पणी आयी.
आपका मिर्ची शोध अदभुत है
तीनो मिर्चियों पर आपके कुछ नोट्स मेरे पास रह गए हैं
इन्हे छिड़क कर परोसें.यूस्ड इन : पहली किचन में, दूसरी जेहन में, तीसरी टशन में.
बेस्ट विद : पहली समोसे के साथ, दूसरी भरोसे के साथ, तीसरी पान के खोखे के पास.
सिम्बल : सी सी $$$, आई सी $$$, सी टी $$$
प्री-काशन : पहली लाल न हो, दूसरी से बवाल न हो, तीसरी बेताल न हो.
फिसिकल प्रापर्टी : गर्म साँसे, बेशर्म आँखें, नर्म बातें
रिसल्ट्स इन : (पहली से स्वाद, दूसरी से दिमाग, तीसरी से मिजाज़) गेट्स कम्पलीटली स्प्वाइल्ड.
मिर्ची आइडल : चाट वाला, करिश्मा कपूर, गटर मैन
दिल्ली में विश्व पुस्तक मेला चल रहा है. पिछ्ले हफ्ते भी वहाँ गया था तो अजदक जी बोले एक बुद्धिमान गधा पुस्तक मेले में टहल रहा है.जब उन्हें पता चला कि हमें पता चल चुका है और हम खुश हो रहे हैं कि चलो इसी बहाने लोगों को यह तो पता चलेगा कि गधे भी किताब पढ़ते हैं तो उन्होने “गधा” हटाकर “पदा” कर दिया. पुस्तक मेले में मेरा आज या कल भी जाने का विचार है. क्या आप सुझा सकते हैं ..उन किताबों का नाम जो मुझे खरीदनी चाहिये…
इसी को बोलते हैं गदहगिरी.. कि चने के खेत में पहुंचकर सवाल करे किधरवाला चना चरूं! ओह, क्या हम गधा और पदापने से कभी ऊपर नहीं उठ पायेंगे?
जमाये रहिये। अ वर्ग के आगे आ वर्ग भी होता है जी.।
जारी रखें. वैसे “अ” के बाद “का” का नम्बर ज्यादा देर से नहीं आता, “स” तो भगवान जाने कब आयेगा.