आप को लग रहा होगा कि मैं क्या बकवास कर रहा हूँ…. हिन्दी चिट्ठा लिखता हूँ लेकिन अंग्रेजी की वकालत कर रहा हूँ. लेकिन नहीं जी … मैं ऎसा सोच समझ कर कह रहा हूँ. कारण है कि हमारे महान देश भारत में कोई भी काम अंग्रेजी के बिना नहीं होता. किसी भी प्राइवेट कंपनी… Continue reading भारत की राष्ट्रभाषा अंग्रेजी क्यों नहीं है??
Category: बहस
क्या ये सारे चिट्ठे चिट्ठाजगत.इन से हटाये जायेंगे?
अभी अभी चिट्ठाजगत डॉट इन की आचार संहिता पढ़ी. मेरे विचार से हर संस्था को ये हक है कि वो अपनी आचार संहिता बनाये. ये उस संस्था से जुड़े लोगों को सोचना है कि वो उस आचार संहिता को माने या ना मानें. चिट्ठाकारी या ब्लॉगिंग एक अलग तरह का माध्यम है जिसका चरित्र ही… Continue reading क्या ये सारे चिट्ठे चिट्ठाजगत.इन से हटाये जायेंगे?
क्या चिट्ठाकार बढ़ने से फायदा हुआ है?
मैं एक महीने से भी ज्यादा सक्रिय ब्लॉगिंग से दूर रहा. उसके बाद आया तो सोचा कि हिन्दी ब्लॉगिंग के बारे में ना सोच/लिख कर केवल अपनी बात ही लिखुंगा.लेकिन कुछ बातें हैं जो दिमाग में उमड़ घुमड़ रही हैं. सोचा लिख ही डालूं. पिछ्ले आठ नौ महीने में हिन्दी चिट्ठाजगत में कई परिवर्तन हुए… Continue reading क्या चिट्ठाकार बढ़ने से फायदा हुआ है?
ऑटो/टैक्सी के लिये मोलभाव गलत है ? !
पिछले दिनों नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर जाना हुआ.टिकट काउंटर के पास ही एक विश्रामालय है. उसके पास खड़े रह कर प्रतीक्षा कर रहा था कि सामने एक बोर्ड लगा हुआ देखा. पहले हिन्दी में पढ़ा फिर सोचा शायद मैं गलत समझ रहा हूँ.फिर अंग्रेजी में पढ़ा. मतलब तो वही निकलता था हिन्दी वाला 🙂… Continue reading ऑटो/टैक्सी के लिये मोलभाव गलत है ? !
नो सॉरी ..नो थैंक्यू !!
समीर भाई ने लिखा ” अगर मैं कहूँ कि ९८ प्रतिशत भारत की आबादी को, जिसमें मैं भी शामिल हूँ, को न तो धन्यवाद देना आता है और न ही स्वीकारना आता है और न ही किसी का अभिनन्दन या प्रशंसा करना या फिर अपना अभिनन्दन या प्रशंसा स्वीकार करना, तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं… Continue reading नो सॉरी ..नो थैंक्यू !!
ब्लॉगिंग में विमर्श:मन के प्रश्न !!
सबको लिंकित करने वाली नीलिमा जी,हम को न लिंकित करने की चूक कर, बता रही हैं कि हिन्दी ब्लॉगिंग में विमर्श की नयी परंपराऎं बन रही हैं. अब कोई शोधार्थी यह कहे तो अपन की क्या विसात कि उससे सहमत ना हो. इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए हमने सोचा कि इस विमर्श के नये… Continue reading ब्लॉगिंग में विमर्श:मन के प्रश्न !!
हिन्दी चिट्ठाजगत..कुछ आत्मालाप..
हिन्दी चिट्ठाजगत की दुनिया आजकल शोधमय भी है और हिटास के प्रति जागरूक भी.कोई हिट होना सिखा रहा है तो कोई हिट करना.हिट पर आधारित सभी चीजें हिट हैं.हिट की हीट का ये असर है कि लोग हिट की चाह में लेखन कर रहे हैं.भले ही आप कहें कि हिट के लिये न लिखो खुद… Continue reading हिन्दी चिट्ठाजगत..कुछ आत्मालाप..
पूजा का प्रतिरोध और हम..
कल के टाइम्स ऑफ इंडिया में पूजा की तसवीर पहले पन्ने पर थी.चित्र नीचे देंखें ..खबर पढ़ी तो दिल दहल गया और साथ ही मन ही मन पूजा के साहस की प्रसंशा भी की.आज मसिजीवी ने जब इस पर लिखा और फिर सुजाता जी ने भी इसे छुआ तो रहा ना गया..और कुछ शब्दों की… Continue reading पूजा का प्रतिरोध और हम..
पूजा की नग्नता से उठते सवाल…..
कल योगेश जी ने बताया कि पूजा की अर्ध-नग्नता के पीछे किसी मीडिया वाले का हाल था.यदि ये सच है तो निन्दनीय है. सच जो भी हो मुझे आश्चर्य इस बात का है कि कैसे मीडिया इस बात को इतना बढ़ा चढा कर पेश कर सकता है.टाइम्स ऑफ इंडिया ने पूजा की अनसैंसर्ड चित्र को… Continue reading पूजा की नग्नता से उठते सवाल…..
समूहबद्धता और जातिवाद…
पिछ्ले लेख पर ज्यादा प्रतिक्रियाऎं तो नहीं आयी लेकिन जो भी आयीं उन्होने कुछ नये प्रश्न खड़े कर दिये.प्रमोद जी बोले यह दिल्ली ही नहीं, मुंबई- कमोबेश किसी भी बड़े भारतीय शहर की अंदरूनी डायरी है. इस अनुभव से नतीजा क्या निकलता है? एक तो वह जिसे आप समूहबद्धता की सहूलियत का सीधा, आसान-सा नाम… Continue reading समूहबद्धता और जातिवाद…