प्रवचन सुनकर लौटते हुए मनोहर और श्याम बातें करते हुए जा रहे थे.वह दोनों स्वामी जी की भक्तिपूर्ण बातों से बहुत प्रभावित थे. तभी मनोहर के मन में एक प्रश्न उठा कि क्या पूजा करते समय सिगरेट पीना उचित है ? उसने श्याम से पूछा. श्याम ने कहा कि तुम यह सवाल स्वामी जी से ही क्यों नहीं पूछ्ते.
मनोहर स्वामी जी के पास गया और उसने पूछा.
“स्वामी जी, क्या मैं पूजा करते समय सिगरेट पी सकता हूँ.”
स्वामी जी ने जबाब दिया. “नहीं बेटा, बिल्कुल नहीं, यह तो ईश्वर के प्रति अप्रेम और अश्रद्धा दिखाना है.”
मनोहर ने आकर श्याम को बताया कि स्वामी जी ने उससे क्या कहा. श्याम ने कहा ठीक ही तो है तुमने सवाल गलत पूछा तो तुम्हें जबाब भी गलत मिला. रुको मैं कोशिश करता हूँ. अब श्याम स्वामी जी के पास गया और उसने पूछा.
“स्वामी जी, क्या मैं सिगरेट पीते समय पूजा कर सकता हूँ.”
स्वामी जी ने जबाब दिया. “क्यों नहीं बेटा, बिल्कुल कर सकते हो. यह तो ईश्वर के प्रति प्रेम और श्रद्धा का सूचक है”
शिक्षा: जैसा जबाब चाहते हो वैसा सवाल पूछो.
[मुझे यह कहानी अंग्रेजी में एक ई-मेल से मिली जिसे मैने हिन्दी में भावानुवाद कर दिया]
बहुत बढ़िया…क्या जवाब चाहिए, ये पहले से निश्चित कर लिया जाय…
देखिये हमारे एक दोस्त है मलिक जी ,एक रोज मुझे मिले हाथ मे पैग था ,बोले लगाओगे,मैने बताया मंगल है आज ,तुरंत भडक गये बोले यार इतनी देर से बैठे हो पहले क्यो नही बताया,मलिक जी तुरंत अंदर मंदिर मे पहुचे (घर के जो रसोई मे होता है)पंच मिनिट बाद बाहर आये बोले देख भाई मैने हनुमान जी से पूछा, भगवान जी क्या मै आज दारू पी लू ?.उन्होने ना हा की, ना ना की डिसीजन मेरे उपर छोड दिया ,और मेरा डीसीजन ये है कि मै दारू पी रह हू अब तू अपनी पूछ ले..:)
आस्था चैनल! 🙂
bilkul sahi jagah war kiya bandhu 🙂 aap to hm nastiko jaise trk krte hain..
काकेश जी आप का लेख बहुत ही मन को भाया, धन्यवाद,ओर अरूण् जी आप की बात भी ठीक हे यह सोम मगंल तो हम ने बनाये हे, बहुत ऊचित बात की आप ने भी,लवली जी अन्धविश्वास से परदा हटना नस्तिकता नही कहलाती.
मटियानी जी पर लिखना शुरू करो. मतलब पहले जो पीना-पिलाना हो, कर लो, उसके बाद लिखो.
बेहतरीन फलसफा है..इसे गाँठ बाँध लिया है-स्वामी काकेश के प्रवचन श्रेणी में. 🙂
ये दिन तो आदमी के बनाए हुए हैं. असल बात है कि मन चंगा तो कठौती में गंगा.
क्या मंगल और क्या बुध,
सिर्फ़ दो ही दिन पियो साल में, पहला जिस दिन बारिश हो और दूसरा जिस दिन बारिश न हो 🙂
एकदम सही सीख मिली है इस कहानी में आप एक नयी सीरीज शुरु कर सकते हैं इस पर
नीरज जी आपकी बात सिर माथे ,दो चार क्रेट भिजवा दो फ़टाफ़ट 🙂
बहुत बढ़िया बात… गाँठ बाँध ली जी..