परुली : अभी नानतिन ही हुई हो

मलगाड़ से लौटते समय जोसज्यू सोच रहे थे कि पांडे ज्यू का कहना भी सही ही ठहरा. परुली तो अभी नानतिन ही हुई. उसे अभी अकल जो क्या हुई अरे हम लोगो को ही उतनी अकल जो क्या ठहरी. पांडे ज्यू की रिश्तेदारी तो लखनऊ, दिल्ली सभी जगह ठहरी. वह बराबर दिल्ली, लखनऊ जाते रहने वाले ठहरे. उनकी बहन दसोली के पाठकों के वहाँ हुई.बहन का पूरा परिवार दिल्ली में ही ठहरा. गोपाल को भी उन्होने ही दिल्ली में नौकरी में लगाया ठहरा बल.वह ठीक ही कह रहे ठहरे. घर जाके परु की ईजा को भी समझाता हूँ.

रात को परुली की ईजा आई तो उसे जोसज्यू पूरी घटना बताने लगे और साथ समझाने भी लगे. 

पांडे ज्यू कह रहे थे. ‘परुली को कुछ मालूम जो क्या हुआ. डॉक्टरी करना इतना सित्तिल (सरल) नहीं हुआ जोसज्यू. उसका कोई ट्रेंस (इंट्रैंस) एग्जाम होता है बल. उसमें तो बाजे बाजे लोग ही निकलने वाले हुए. परु थोड़े निकलेगी.” वो कह रहे थे “अरे बोर्ड का इंत्यान भी बहुत टफ ठहरा. उसमें ही परु का पास होना मुश्किल हुआ.”

“ठीक ही कह रहे होंगे फिर.” …ईजा कुछ समझी कुछ नहीं.

वो कह रहे थे कि उनके घर का कारबार ही इतना बढ़ा हुआ. परुली को और कुछ करने जी क्या जरूरत ठहरी. वो तो गोपाल यहाँ रहकर बिगड़ जायेगा करके उसे उन्होने दिल्ली भेजा ठहरा. नहीं तो वो तो यहीं उसके लिये दुकान खोलने की सोच रहे थे बल.

जोस्ज्यू आगे बोले “फिर मैन कौ (मैने कहा) कि यदि परू की इंटर तक पढ़ाई पूरी करवा दें तो जैसा उसकी किस्मत होगी वैसा कर लेगी. तो वो कहने लगे.”

“घरपन के काम से फुरसत कहाँ मिलेगी परु को जोसज्यू. पांच पांच गोरु हैं. उनका घास-पात, मोव निकालना, गुपटाले पाथना,दूध निकालना, ठेकी में दही जमाना कितने तो काम हुए घर में.”

“तो घर के सारे काम क्या हमारी परु करेगी??” …ईजा की आवाज में थोड़ी चिंता थी.

“अब पांडे ज्यू की सैणी तो बीमार रहने वाली हुई. पिछ्ले बार तो दिल्ली तक दिखाया था बल.कुछ दिन वहाँ भरती भी रही ठहरी लेकिन वहाँ की दवाई से भी कोई खास फरक नहीं पड़ा बल. इसीलिये तो पांडे ज्यू जल्दी जलदी ब्वारी लाना चाह रहे हैं.”

“पर परु तो अभी नानि ही हुई हो इत्ती बड़ी घर गृस्थी संभाल पायेगी वो.”

“अरे संभाल लेगी. यहाँ भी तो सारा काम करने वाली हुई. तू उसे दूध लगाना और सिखा देना.”

उसकी ईजा का मन थोड़ा भारी हो गया. “उ तो सिखे द्यून (वो तो सिखा दुंगी) लेकिन परु अभी भौ (बच्ची) ही हुई. इतना बोझ उसके सर पर देना ठीक होगा क्या हो.”

“अरे परु सब कर लेगी. फिर संबंध भी तो देखो. इनके संबंध अल्मोड़ा गल्ली के दीवानों से भी हुए बल.”

परुली लेटे लेटे सब सुन रही थी.आमतौर पर यह सब सुनकर उसकी रुलाई फूट पड़ती थी. लेकिन आज ना जाने क्यों वो नहीं रोई बल्कि वह जितना सुनती जाती उतनी उसकी हिम्मत बढ़ते जाती. इस अवस्था में वह क्या करे वह यही सोच रही थी.

वह उठी और बिचाखंड से चाख में आ गयी जहाँ उसके ईजा बाबू बात कर रहे थे और ईजा के पास जाकर उससे बोली.

“ईजा मुझे मारना है तो वैसे ही गला घोट के मार दे ईजा. ब्या करके क्यों मारना चाहती है.” उसके आवाज में गुस्सा भी था , निरीहता भी और हल्की सी रुलाई भी.

“यो के कुणेछी ? (ये क्या कह रही है)”.ईजा ने पूछा

” क्या हुआ परू  ??” अंगीठी में  हाथ सेकते हुए बाबू बोले.उन्होने पूरी बात ठीक से नहीं सुनी थी.

” सही कह रही हूँ ईजा. मैं भार हूँ ना तुम लोगों …  ” . वह बात पूरी भी नहीं कर पायी और ईजा के गोद में सर रख कर रोने लगी.

“नहीं परु. “उसके सर पर हाथ फेरते हुए ईजा बोली.तू पड़ जा (सो जा) . मैं आती हूँ अभी.

परुली चले गयी. बाबू को पूरी तरह से बात समझ में नहीं आयी. क्योकि यह बात इतने धीरे धीरे बोली गयी कि उनके कान में पूरी बात नहीं पड़ी.

” के भौ…(क्या हुआ) “. परुली के जाने के बाद बाबू ने पूछा.

” के नै (कुछ नहीं) ..तुम ले पड़ जाओ (तुम भी सो जाओ)…भोल बतून (कल बताऊंगी).”

परुली की ईजा भी उठकर बिचाखंड में आकर परुली के पास लेट गयी जहाँ परुली अभी भी सिसकियाँ भर रही थी. 

जारी……..

पिछले भाग : 1. परुली…. 2. परुली: चिन्ह साम्य होगा क्या ?? 3. परूली : शादी की तैयारी 4. परुली:आखिर क्या होगा ? 5. परुली: हिम्मत ना हार ..6. परुली : ब्या कैसे टलेगा 7. परुली:ब्या टालने की उहापोह

By काकेश

मैं एक परिन्दा....उड़ना चाहता हूँ....नापना चाहता हूँ आकाश...

19 comments

  1. सच में., परुली के ईजा और बाबू कितने सरल ह्रदय है …..

  2. sochane kee baat hai ki in halat me parulee kab tak aur kis had tak sangharsh kar saktee hai ……
    shaadee ke baad yaa bhavishya me kabhee vo pachhtaayee yaa chintan karne lagee to samajhdaar log kahenge –“tab kyo na bolee ,tab kyo na ye vichaar dikhaaye , tab kyo nahee virodh kiyaa jab shaadee ho rahee thee “.
    bade jatil prashna hai……..

  3. दिल भर आया या घुटने लगा…परुली का दिल कैसा हुआ होगा… बहुत सजीव चरित्र-चित्रण है.

  4. बेहतरीन चल रही है कथा.बिल्कुल चल चित्र के माफिक….जारी रहिये..बधाई एवं शुभकामनायें.

  5. हमने अभी उम्मीद का दामन नहीं छोडा है… कुछ तो होगा ही जिससे परुली का सपना सच हो जायेगा. लेकिन अब तो किसी चमत्कार की दरकार है… लिखते रहिये..

  6. Namaskar,
    Apne itna accha likha hai ki purani yadein taza ho gayi. Aur jo teth Kumouni sabsh ,unko par kar man bhar ayaa.
    Dhanayavad

  7. Dear Kakesh Ji, What a Lively description of all the characters! congrat. In between I was out of Delhi and net also and could not go through the earlier chapters. However, today I went on reading time and again, especially, to read the words/sentences in our native language.

  8. ham pahari log kitne saral or seedhe hote hai.iski misal hai paruli ke mammy papa

  9. Dear Kakesh Da,
    Story mai ab or bhi maja Aana laga hai…………..
    …………
    Liktae raho……….

  10. priya kakeshji
    keep it up. ham her guruvar ki subah apki kahani ka intejar karte hain I hope aap paruli ke character ke sath bhi nyay hi karenge.
    thanks

  11. It is also very interesting when using Kumoni words in story.
    It is help us to learing of Kumaoni with Hindi.

    Thankig you.
    Please follow lateron.

    Ramesh Sharma
    Bhatt.

  12. kakesh jee, apka lekhan padhkar, bada anootha anubhav hota hai. ismein se nishchit hi pahadon ki khushboo aati hai. aapko anekonek shubhkaamnaien

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