[ व्यंग्य की दुनिया का अद्भुत नमूना है “खोया पानी”. यदि किसी को व्य़ंगकार की ओबजर्वेशन की ताकत का पता करना हो तो इस उपन्यास को पढ़े.यह पाकिस्तान के मशहूर व्यंग्यकार मुश्ताक अहमद यूसुफी की किताब आबे-गुम का हिन्दी अनुवाद है. इस पुस्तक के अनुवाद कर्ता है ‘लफ़्ज’ पत्रिका के संपादक श्री ‘तुफैल चतुर्वेदी’ जी. … Continue reading मीर तकी मीर कराची में
Author: काकेश
मैं एक परिन्दा....उड़ना चाहता हूँ....नापना चाहता हूँ आकाश...
मुँह ना खुलवाइये-वरना जितना आरोप एक स्त्री लगा सकती है उससे कहीं ज्यादा एक पुरुष
मेरी पोस्ट स्त्रियां क्या खुद से सवाल पूछती हैं?, जिसमे पूरी पोस्ट मात्र टिप्पणीयों से ही बनी थी,उस पर् टिप्पणीयों के नये रिकॉर्ड बन रहे हैं.उसमे कोइ आदम जी तो जैसे स्त्रियो के पीछे ही पड गये हैं.आप भी देखें. मेरी माँ बहन बेटी सभी स्त्रियाँ है लेकिन मैं जब बेटी का रिश्ता करने जाऊगा… Continue reading मुँह ना खुलवाइये-वरना जितना आरोप एक स्त्री लगा सकती है उससे कहीं ज्यादा एक पुरुष
मधुज्वाल:मैं मधुवारिधि का मुग्ध मीन
उमर खैयाम की रुबाइयों का अनुवाद सुमित्रानंदन पंत ने 1929 में उर्दु के प्रसिद्ध शायर असगर साहब गोडवी की सहायता और इंडियन प्रेस के आग्रह पर किया था. यह अनुवाद “मधुज्वाल” नाम से 1948 में प्रकाशित हुआ था. अन्य हिन्दी अनुवादकों की तरह उनका यह अनुवाद फिट्जराल्ड की की पुस्तक पर आधारित नहीं था बल्कि… Continue reading मधुज्वाल:मैं मधुवारिधि का मुग्ध मीन
सुनो-पंगेबाज हम ही हैं लाइन में
सुनो-पंगेबाज 2007-2008 के सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर पुरुस्कार दे रहे हैं. एक ओर जब भारत रत्न के लिये लाइन लगी है वहीँ दूसरी ओर पंगेबाज जी महोदय की टिप्पणीयों में लोग दावा कर रहे हैं कि उन्हे पुरुस्कार दिया जाय लेकिन शायद वो अपने पुराने पंगेबाज यानि खाकसार को भूल गये. देखिये जी आजकल सब खेल पहले… Continue reading सुनो-पंगेबाज हम ही हैं लाइन में
"ब्यूतीफूल बत क्राउडेड"
हिन्दी ब्लॉगिंग के इतिहास में पहले का बहुत महत्व रहा है. इसीलिये कोई ना कोई अपने आप को पहला साबित करने में जुटा है. किसी ने चलती ट्रेन से पहली पोस्ट लिखी तो कोई अस्पताल के वार्ड से पहली पोस्ट लिख रहा है.वैसे हमने भी एक पोस्ट चलती ट्रेन में रात को बारह बजे बाद… Continue reading "ब्यूतीफूल बत क्राउडेड"
कलकत्ता की आग और सीपीएम की रैली
कल एक दिन के लिये कलकत्ता के लिये रवाना हुआ.आज सुबह तीन घंटे की देरी से राजधानी एक्सप्रेस से हावड़ा पहुंचा तो रास्ते में ही पता चला कि कलकत्ता के प्रमुख वाणिज्यिक ठिकाने “बड़ा बाजार” के एक इलाके में शनिवार सुबह या यूँ कहें कि शुक्रवार रात से ही भयानक आग लगी है. जो अभी… Continue reading कलकत्ता की आग और सीपीएम की रैली
स्त्रियां क्या खुद से सवाल पूछती हैं?
चार जनवरी को शिव कुमार जी की एक पोस्ट आयी थी रीढ़हीन समाज निकम्मी सरकार और उससे भी निकम्मी पुलिस डिजर्व करता है जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए रंजना जी ने कहा था. Ranjana said… शिव जी,आपकी लेख का अन्तिम पारा पढ़ कर लगा जैसे अपने अन्दर खौल रहे भावों को शब्द मिल गया.एक दम… Continue reading स्त्रियां क्या खुद से सवाल पूछती हैं?
पुरुस्कार, विवाद और राखी सावंत
कोई पुरुस्कार दिया जाय और विवाद ना हो ये तो ऎसा ही हुआ कि एकता कपूर का सीरियल हो और दो तीन लव अफेयर ना हों..या फिर कहीं राखी सावंत हो और ड्रामा ना हो. वैसे राखी सावंत से याद आया ..सुना है ड्रामा आइटम क्वीन आजकल बहुत से पुरुस्कार से वंचित लोगों की आदर्श… Continue reading पुरुस्कार, विवाद और राखी सावंत
मेरे संकल्प !!
नये साल में कुछ संकल्प लेने का प्रचलन आजकल जोरों पर है. शास्त्री जी ने जब अपने नव-वर्ष संकल्प ! बताये तो लगा कि ऎसे संकल्पों को सार्वजनिक करने से शायद मानसिक प्रेरणा मिले उन संकल्पों को पूरा करने की इसलिये मैं भी अपने संकल्प आपके साथ बाट रहा हूँ. व्यक्तिगत/पारिवारिक संकल्प 1. अपने वजन… Continue reading मेरे संकल्प !!
आओ विदा कर ही दें…
आओ अब इस वर्ष को विदा कर ही दें. हर साल जाते समय कुछ यादें छोड़ जाता है ..कुछ सपने ..जो सपने ही रह जाते हैं.. कुछ सुनहली यादें..कुछ नये रिश्ते ..कुछ नये मित्र ..कुछ पुरानी शत्रुताऎं…सब कुछ पुराना सा लगने लगता है…नया वर्ष ..मन को समझाने के लिये आ जाता है..कल से नया साल… Continue reading आओ विदा कर ही दें…