कल आठ बजे तक पुस्तक मेले मे टहलता रहा. थक के एकदम चूर हो गया. सोचा आज तो पोस्ट नहीं लिखी जायेगी. फिर रवीश जी की पोस्ट पढ़ी तो लगा मैं भी अपनी खरीदी किताबों के बारे में तो बता ही सकता हूँ. कई किताबें खरीदी… कई जो ढूंढ रहा था नहीं मिली. जो खरीदी वो यह हैं.
1. चन्द्र कुंवर बर्त्वाल:डा. उमाशंकर सतीश: साहित्य प्रकाशन
2. द्विखंडित :तसलीमा नसरीन :वाणी प्रकाशन , दिल्ली
3. समकालीन भारतीय साहित्य (जनवरी फरवरी 2008) ::सहित्य प्रकाशन
4. समकालीन भारतीय साहित्य (जनवरी फरवरी 2007) ::सहित्य प्रकाशन
5. पंचतंत्र शिक्षाप्रद कहानियां :बिष्णू शर्मा :साधना पब्लिकेशन, दिल्ली
6. खुदा सही सलामत है :रवीन्द्र कालिया :राजकमल प्रकाशन , नई दिल्ली
7. पहल 87 : नवंम्बर दिसंबर 07 ::
8. दावानल :नवीन जोशी:सामयिक प्रकाशन
9. श्रेष्ठ रूसी कहानियां ::परिकल्पना प्रकाशन , लखनऊ
10. जहां औरतें गढ़ी जाती हैं:मृणाल पांडे :राधाकृष्ण प्रकाशन , नई दिल्ली
11. काग भगोड़ा :हरिशंकर परसाई:राजकमल प्रकाशन , नई दिल्ली
12. बारामासी:ज्ञान चतुर्वेदी:राजकमल प्रकाशन , नई दिल्ली
13. भारतनामा :सुनील खिलनानी :राजकमल प्रकाशन , नई दिल्ली
14. हिन्दू स्त्री का जीवन :पंडिता रमाबाई:संवाद प्रकाशन , मेरठ
15. कौन हूँ मैं:मनोहर श्याम जोशी :वाणी प्रकाशन , दिल्ली
16. आयुर्वेद जड़ी बूटी रहस्य :आचार्य बालक़ृष्ण :दिव्य योग मंदिर, हरिद्वार
17. जहालत के पचास साल :श्री लाल शुक्ल :राजकमल प्रकाशन, दिल्ली
18. कर्म बड़ा या भाग्य :संजय शर्मा :शार्प ग्रफिक्स , दिल्ली
19. P.G. Wodehouse Uncle fred An Omnibus :Arabella weir :Penguin books
20. SAM WALTON Made in America :SAM WALTON with JOHN HUEY :Bantam books
21. Baby & child care :Dr Spock’s :Pocket Books
22. आदमी का जहर :श्री लाल शुक्ल :राजकमल प्रकाशन, दिल्ली
23. प्रतिदिन (तीन खण्ड ) :शरद जोशी :किताबघर प्रकाशन, दिल्ली
24. काला जल :शानी :राजकमल प्रकाशन, दिल्ली
25. कितने पाकिस्तान :कमलेश्वर :राजपाल , दिल्ली
26. जंगल का जादू तिल-तिल :प्रत्यक्षा :भारतीय ज्ञानपीठ,दिल्ली
27. Gone with the wind :Margret Mitchell :K.R.J. Books International, Delhi
28. How to have a beautiful mind :Edword de Bono :Vermilion, London
29. Serious Play:How the world best companies simulate to innovate:Michael Schrage:Harvard Business School Press
30. उस देश का यारो क्या कहना :मनोहर श्याम जोशी :किताबघर प्रकाशन, दिल्ली
31. उत्तराखण्ड का लोक साहित्य और जनजीवन :डॉ. सरला चन्दोला :तक्षशिला प्रकाशन, दिल्ली
32. मध्य पहाड़ी भाषिक परंपरा और हिन्दी :डॉ. गोविंद चातक :तक्षशिला प्रकाशन, दिल्ली
और भी कुछ किताबें जो कंप्यूटर से संबंधित थी.
कई किताबें जो ढूंढ रहा था लेकिन नहीं मिली..
1. DISGRACE: J. M. Coetze
2. The Wind-up Bird Chronicle,
Dance, Dance, Dance: Haruki Murakami
3. Write to Kill: Daniel Pennac
4. No Logo: Naomi Klein
5. A Terrible Beauty: Peter Watson
6.Competing for future
7. Thinking Strategically : Dixit
8. The Game : Neil Strass
ये किताबें तो इसी साल खरीदनी ही हैं. लेकिन यह सब किताबें पढ़ी कब जायेंगी यह पता नहीं…या फिर जैसा सुजाता जी ने कहा… शायद बुढ़ापे में…
डेढ़-दो महीने गुजर जाने दो पहले.. फिर किताबों को ऊपर ताक-टांड़ में रख देना..
पढने की कोशिश करो, यात्राओं मे पढो या फिर किसी से मिलने के इन्तज़ार के बीच पढो।
अगर ना पढ सको, तो किसी को गिफ़्ट कर देना।
( जानकारी के लिए बता दूं मै मार्च 2008 मे एक हफ़्ते के लिए भारत आ रहा हूँ।)
(काकेश : जीतू जी : य़ह जानकर खुशी हुई कि आप ढेर सारी किताबें बतौर गिफ्ट लेकर आ रहे हैं.)
इतनी पुस्तकें पढ़ने पर तो आप दशकों तक ठेल लेंगे ब्लॉग पर!
(काकेश : ज्ञान जी : हर साल लगभग इतनी ही पुस्तकें खरीदता हूँ)
अरे बाप रे!जीतू से सहमत । किताबें खरीदी हैं , पढी नही जाती हैं हम है न !हमे गिफ्ट करें ! वैसे हमने भी बहुत सी खरीद ली है । बुढापे का सहारा । खाली बैठे क्या करेंगे 🙂
क्या मेले में क्षमा कौल का उपन्यास ‘दर्दपुर’ मिल सकेगा?
इतनी सारे पुस्तकें!!! कब पढ़ पाते हैं आप इन्हें? इतना समय मिल जाता है आपको? भाभीजी चिढ़ती नहीं?…
बहुत सवाल पूछ लिये है ना..
एक आखिरी सवाल… इन्हें पढ़ लेने के बाद क्या करते हैं? 😉
App kuchh kitabein is site se kharid sakte hain
http://www.flipkart.com/
aapki jyadatar kitbein uplabdh hain.
नहीं मिलने वाली किताबें बुक्स बियांड या लैंडमार्क या कफे टर्टल में मिलेंगी । सब गुड़गाँव में ।
बाकी किताबें पढ़ें न पढ़ें .. मेरी पढ़ लीजियेगा 🙂
भैया जौन किताब न पढ़ पाओ हमका भेज दियो हां 😉
बारामासी के बाद चतुर्वेदी जी की मरीचिका भी आ चुकी है वह भी बढ़िया है!!
अच्छा है. इसी बहाने कुछ और किताबों के बारे में पता चला.
बढिया है जी बुढापे का इन्तजाम अभी से…..
काकेश जी, खूब पढिये और फिर हम सब से यह ज्ञान अपनी पोस्टों के द्वारा बांटिये कि इन में क्या कुछ भरा पड़ा है। और हां, यह किसी की टिप्पणी के साथ ही आप का जवाब देख कर बहुत अच्छा लगा। यह सब कैसे संभव होता है, क्या बतलाने का कष्ट करेंगे।
(काकेश : प्रवीन जी : वर्डप्रेस टिप्पणीयों को ऎडिट करने की सुविधा देता है)
क्यों जला रहो हो?
अमां तुम लोग इत्ती इत्ती किताबें खरीदते हो फिर वो बाद मे पड़ी धूल फांकती है (दूसरों को क्या बोले, हमारे यहाँ भी यही हाल है।)
क्यों ना एक बुक लवर्स क्लब बनाया जाए और लोग अपनी अपनी (पढ चुकी )पुस्तकें दूसरों के पास भेज दें। जिसमे पुस्तक पाने वाला डाक-खर्च वहन करें। इसके लिए तकनीकी रुप से एक वैब साइट का निर्माण भी किया जा सकता है, जहाँ पर लोग अपनी अपनी पुस्तकों के बारे मे बताएं और दूसर बंदा वहाँ पर पुस्तक पसन्द कर ले। लोग आपस मे मिल मिलाकर डाक-खर्च का भुगतान करें, अथवा साइट को ही बिचौलिया बना लें।
आप लोग तैयार हो तो तकनीकी रुप से मै इस प्रोजेक्ट को रुपरेखा से लेकर अंजाम तक पहुँचा सकता हूँ। लेकिन हाँ फ्री मे नही करूंगा, नो प्रोफ़िट नो लॉस बेसिस पर। अगर तैयार हो तो मेरे को इमेल करना।
पुस्तक मेले में आपका झोला देखते ही समझ गए थे कि आप खूब समेटने के इरादे से पहुँचे हैं। कीमतें नहीं बताईं आपने और ये भी कि आपकी खरीद के फलस्वरूप प्रत्यक्षा को कितनी रायल्टी मिली 🙂
यदि मेरा अनुमान सही है तो घर के बाकी लोगों (यानि पत्नी) ने भी अपना स्टॉक खरीदा ही होगा अगर नहीं तो फिर हम चोखेरवालियों को रिपोर्ट करते हैं कि देखो किताब खरीद में पुरुषवाद..
काकेश जी अब कौन सी किताब से शुरु करेगें हम से ज्ञान बांटना। सच्ची इत्ती सारी एक साथ देख कर ही मै तो सीधा उन्हें टांड पर डाल देती, बुढ़ापे के लिए, थोड़ा वक्त बाकी है…:)
सही है। किताबों के बारे में लिखना जारी रखें।
Are baap re, Itni kitaabe. Tumne keha har saal itni hi khareedte ho, kitne saalon se ye silsila chal reha hai…..bus yehi jaane ke liye pooch reha hoon kitne kamron ka ghar hai…Arre tumhara nahi in kitaabon ka.
Bare saalon baad itni saari hindi ki kitaabe aur unke chitra dekhkar accha laga.
बहुत अच्छा किया आपने किताबो की लिस्त देकर. इन किताबो के बारे मे अपनी राय भी लिखे, कुछ महीनो बाद अगर हिन्दुस्तान आना हुया तो मुझे बडी सहुलियत होगी खरीदने मे.
शुक्रिया इस फेरहिस्त को सार्वजनिक करने के लिए!:) मैंने इनमें कितने पाकिस्तान और Gone With the Wind पढ़नी शुरु की थी पर कभी खत्म नहीं कर पाया।
Disgrace मैंने पढ़ी पर वो किताब इतनी प्रभावित नहीं कर पाई। क्या आपके यहाँ रूपा एंड कंपनी की स्टॉल लगती है?
मैंने तो इनमें से केवल एक Gone with the wind पढ़ी है। Edward De Bono की कई पुस्तकें पढ़ी हैं पर यह वाली नहीं पढ़ी है।
काकेश जी एक सुझाव देने की इजाजत चाहता हूँ… आप “दावानल” से शुरुआत करें. मैने यह पुस्तक पढी है, आशा है मेरी तरह आपको भी यह पसंद आयेगी.
बहुत सही – १ से १० के बीच दिल्ली में दौड़ भाग के दौरान हमनें भी काफी खरीदीं – ज़्यादातर कविताएँ – प्रत्यक्षा जी / विनोद जी (angare.blogspot.com) की कहानियाँ छोड़ कर दस को घर वापस लौटे तो अभी पढ़नी चालू हैं – इधर कहानी अच्छी लिखीं – मनीष [ जोश्ज्यु [:-) ]
काकेशजी आप इतनी सारी किताबें खरीद कर पढ़ते है.बधाई
हाल में ही मैने कितने पाकिस्तान कमलेश्वरजी की पढी.बेहतरीन रचना है,
ज्ञान चतुर्वदी की बारहमासी पढ़ी उन पर एम.ए.में शोध प्रबंध का कार्य कराया था.
आप उनका उपन्यास नरक यात्रा न पढा हो ततो ज़रूर पढ़े.तस्लीमा जी नष्टब्भ्रष्ट लड़की मिले तो पढ़े.मेरे पास अच्छी किताबे घर पर एक भी नहीं कोई मंटो ले गया कोई दुष्यन्त अभी कुछ रोज़ पहले उर्दू मे परवीन साकिर और शहरयार को खास कर ग़ज़लें आप इन लोगों को हिन्दी में मिलें तो जरूर पढे.
एक किताब अभी हिन्दी में खुसवंतसिंहजी की ये औरते पढ़ी कमाल किया है साहब ने.
शंकर पुणतांबेकरजी एक मंत्री स्वर्गलोक में आप जरूर देखें इसमें फंटासी का जबरदस्त प्रयोग है.
अभी चलने फिरने लायक नहीं घर में गुजराती के चंद्रकान्त बक्षी को पढ़ा.
आप के ने जो लिस्ट बनायी है बेहतरीन है.आपकी संज़ीदगी की यही वज़ह है.
काकेश जी, ईतनी सारी किताबें लेकर कोई लाईबरेरी तो नहीं न खोल रहे हैं ः)
काकेश जी प्रणाम ।
इतनी किताबें तो में दरियागंज से रद्दी के भाव भी नहीं खरीद पाता हूं जहां कभी कभी यही किताबें सस्ते में मिल जाती हैं ।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद । मैं कई सालों से शरद जोशी के कालम प्रतिदिन की तलाश में था । शरद जोशी और परसाई जी का लिखा जो भी प्रकाशित हुआ है तकरीबन सभी कुछ मेरे पास है । प्रतिदिन छप रही थी इसकी जानकारी थी लेकिन कहां से और कब यह पता नहीं था । कल नेट पर सर्च किया तो सिर्फ आपका ब्लाग पकड़ में आया । शायद किताबघर ने भी अपना लेखा जोखा नेट पर नहीं डाला है । अब कृपा करके तीनों खण्ड का मूल्य कितना है यह भी बता दें ।
आपका
कृष्ण मोहन मिश्र
09415254085