ब्लॉगिंग में विमर्श:मन के प्रश्न !!

सबको लिंकित करने वाली नीलिमा जी,हम को न लिंकित करने की चूक कर, बता रही हैं कि हिन्दी ब्लॉगिंग में  विमर्श की नयी परंपराऎं बन रही हैं. अब कोई शोधार्थी यह कहे तो अपन की क्या विसात कि उससे सहमत ना हो. इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए हमने सोचा कि इस विमर्श के नये… Continue reading ब्लॉगिंग में विमर्श:मन के प्रश्न !!

Published
Categorized as बहस

गणेश जी को प्रार्थना पत्र

  चिट्ठाजगत चिप्पीयाँ: हास्य व्यंग्य, काकेश आदरणीय श्री गणेश जी, आप प्रात: पूजनीय हैं और सर्वप्रथम पूजनीय भी. आपकी पूजा किये बिना यदि कोई कार्य किया जाये तो वो सफल नहीं होता. आपको चढ़ावा दिये बगैर आगे नहीं बढ़ा जा सकता. आपका मुँह हाथी का है यनि आपके खाने के दांत और दिखाने के दांत… Continue reading गणेश जी को प्रार्थना पत्र

कैसे कमायें लाखों….हिन्दी सेवा से

Technorati Tags: हास्य व्यंग्य, हिन्दी, satire, hindi blogging, hindi, kakesh जैसे बरसात में कुकुरमुत्ते और चुनाव में टिकटार्थी अपना सर उठाये प्रकट हो जाते हैं वैसे ही हिन्दी दिवस और हिन्दी पखवाड़े पर बहुत से हिन्दी के वरद पुत्र धन की फसल काटने को प्रकट हो जाते हैं.कुछ जुनियर टाइप मिनि पुत्र केवल 20-30 हिन्दी… Continue reading कैसे कमायें लाखों….हिन्दी सेवा से

हिन्दी की सेवा का मेवा

वो आज खुश है.पत्नी के प्रेम के वशीभूत भी है.आज उनकी पत्नी ने अपनी हिन्दी की थिसिस जमा कर दी.वे पुलकित भी हैं और किलकित भी. उनकी मेहनत रंग लायी.उनकी मेहनत में उनकी पत्नी का भी हाथ हैं या ये कहें कि पत्नी का पूरा का पूरा किचन भी इसमे शामिल है.जब वह इंटरनैट से… Continue reading हिन्दी की सेवा का मेवा

अनुगूँज 22: हिन्दुस्तान अमरीका बन जाए तो कैसा होगा – पाँच बातें

नौ-दो-ग्यारह रहने वाले यदि सुबह के भूले की तरह शाम को घर आकर “अनुगूंज बाइस” करें तो क्या हो ? किसी नये ब्लॉगर ने चुपके से मेरे कान में सवाल पूछा. अब हम भी कोई पुराने ब्लॉगर तो थे नहीं कि अपनी फुरसत का उपयोग,कुछ नया ना लिख पाने की हताशा में, अपने पुराने संस्मरणों… Continue reading अनुगूँज 22: हिन्दुस्तान अमरीका बन जाए तो कैसा होगा – पाँच बातें

समकाल में छ्पे लेख को पूरा पढें.(साभार:संजय तिवारी)

पिछ्ली पोस्ट में आपको समकाल में छपे लेख के बारे में बताया था. बहुत से लोगों ने उसे पढ़ा या पढ़ने की कोशिश की. लेकिन शिकायत यह रही कि रिजोल्यूशन ठीक ना होने के कारण बहुत से लोग पढ़ नहीं पाये. इधर इस लेख के मूल लेखक संजय तिवारी जी ने मुझसे संपर्क किया और… Continue reading समकाल में छ्पे लेख को पूरा पढें.(साभार:संजय तिवारी)

प्रिंट मीडिया में चिट्ठाकारी की चर्चा.

आजकल चिट्टाकारी की चर्चा प्रिंट मीडिया में जोरों पर है. कुछ दिनों पहले हिन्दी की प्रतिष्ठित पत्रिका कादम्बिनी की आवरण कथा भी हिन्दी चिट्ठाकारी पर थी. जिसमें अविनाश जी ने भी अपना योगदान दिया था. अविनाश जी कथादेश में हिन्दी चिट्ठाकारी पर नियमित लिखते रहे हैं. पिछ्ले दिनों मुम्बई से निकलने वाली पत्रिका समकाल में… Continue reading प्रिंट मीडिया में चिट्ठाकारी की चर्चा.

अगड़म बगड़म शैली के आलोक पुराणिक की पुस्तक का विमोचन

एक मिठाई खाने वाली खबर ये है कि हिन्दी चिट्ठाजगत में व्यंग्य के सुपरस्टार और हमारे सह ब्लॉगर आलोक पुराणिक की पुस्तक का आज विमोचन हुआ. आप सोच रहे होंगे कि पक्का कोई “प्रपंच तंत्र” टाईप व्यंग्य-पुस्तक होगी. यही सोच रहे हैं ना ..आप सोचिये ..सोचने में क्या है ..हम भी कुछ दिनों पहले राष्ट्रपति… Continue reading अगड़म बगड़म शैली के आलोक पुराणिक की पुस्तक का विमोचन

त्रयी के त्रिलोचन की कवितायें.

कल प्रियंकर जी के चिट्ठे पर एक मासूम सा सवाल उठा “ये त्रिलोचन कौन है?” जिसका उत्तर अपने संस्मरणों के साथ पहलू में दिया गया. फिर बोधिसत्व जी ने थोड़ा जीवन परिचय देते हुए दो कविताय़ें भी छाप दी. उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए पेश हैं त्रिलोचन की कुछ कविताऎं. कुछ बातें जो मैं… Continue reading त्रयी के त्रिलोचन की कवितायें.

पुराणिक मास्साब की डायरी का एक पन्ना

(ये रचना, व्यंग्य की तोप,हमारे सह ब्लॉगर श्री आलोक पुराणिक जी पर नहीं है.) एक मास्साब थे,काफी सेंसिबल टाइप थे.सारे मास्साब सैसिबल हों ये जरूरी नहीं पर वो थे.लेकिन वो थे थोड़ा पुराने जमाने के मास्साब …यानि पुराणिक टाइप …अभी भी बच्चों को पढ़ाकर उन्हे आदमी बनाने की पुरानी सोच रखते थे.दुनिया कहाँ से कहाँ… Continue reading पुराणिक मास्साब की डायरी का एक पन्ना