जब से बà¥à¤²à¥‰à¤—िंग से अलà¥à¤ªà¤µà¤¿à¤°à¤¾à¤®(?) लिया है तब से कई मितà¥à¤°à¥‹à¤‚, पाठकों, शà¥à¤à¤šà¤¿à¤‚तकों ने कई तरीकों से उलाहना दिया है कि मैं लिखता कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं। बीच में à¤à¤¸à¥‡ ही कà¥à¤› उलाहने सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ के बाद आने का मन बना लिया था लेकिन à¤à¤• पोसà¥à¤Ÿ लिखने के बाद मन बना ही नही। इधर अतà¥à¤² à¤à¤¾à¤ˆ कई बार… Continue reading लिखना जरूरी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ है?
महबूबा ..महबूबा ..
यदि इस पोसà¥à¤Ÿ का टाइटल पà¥à¤•à¤° आपको फिलà¥à¤® शोले की याद आ जाये तो इसमें मेरा कोई कसूर नहीं है, लेकिन मैं ना तो आज आपको फिलà¥à¤® शोले का गाना सà¥à¤¨à¤¾ रहा और ना ही अपनी महबूबा के बारे में बता ‘सच का सामना‘ कर अपने à¤à¤• अदद पतà¥à¤¨à¥€ को परेशान ही कर रहा हूà¤à¥¤… Continue reading महबूबा ..महबूबा ..
रà¥à¤•à¤¾ हूठ…चà¥à¤•à¤¾ नहीं हूअ
इस बà¥à¤²à¥‰à¤— पर कà¥à¤› à¤à¥€ लिखे हà¥à¤ à¤à¤• साल से ऊपर हो गया है। इस बीच ना जाने कितने नये बà¥à¤²à¥‰à¤— आ गये होंगे.. कितने इस बà¥à¤²à¥‰à¤—जगत से उकता कर जा चà¥à¤•à¥‡ हौंगे..लेकिन मैं ना तो उकताया हूठना ही बà¥à¤²à¥‰à¤— से बोर हà¥à¤† हूà¤à¥¤ हाअ कà¥à¤› दिनों के लिये अपने दूसरी जिमà¥à¤®à¥‡à¤µà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को निà¤à¤¾à¤¨à¥‡… Continue reading रà¥à¤•à¤¾ हूठ…चà¥à¤•à¤¾ नहीं हूअ
कोई दीवार सी गिरी है अà¤à¥€
सरकस में करतब दिखाने वाली लड़की तने हà¥à¤ तार पर चलती है। लेकिन कà¥à¤¯à¤¾ बात है, वो तो अपने आप को खà¥à¤²à¥€ छतरी से संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ करती रहती है। जरा डगमगा कर गिरने लगती है तो दरà¥à¤¶à¤• पलकों पर à¤à¥‡à¤² लेते हैं।
नराई हरेले की
कका बालकनी में बैठे हà¥à¤ सामने पारà¥à¤• में खेलते हà¥à¤ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को देख रहे थे.साथ ही पातड़ा (पंचाग) à¤à¥€ देख रहे थे. मैने उनसे पूछा. "कका.. पंचाग में कà¥à¤¯à¤¾ देख रहे हो..? " "अरे देख रहा था हरेला कब है. à¤à¥‹à¤² (कल) हरेला है." "ओ..कल है! कका बताइये कल कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ करना है. " "अरे… Continue reading नराई हरेले की
मà¥à¤—ल वंश हो तो à¤à¤¸à¤¾
à¤à¥à¤—à¥à¤—ी और कीचड़ देखकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अचानक ख़याल आया कि मेरी शिकायत पर इस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को अगर जेल हो à¤à¥€ जाये तो इसके तो उलà¥à¤Ÿà¥‡ à¤à¤¶ हो जायेंगे। मौलाना पर फेंकने के लिये लानत-मलामत के जितने पतà¥à¤¥à¤° वो जमा करके आये थे, उन सब पर दाà¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ लगाकर नमाज की चटाइयां लपेट दी थीं ताकि चोट à¤à¤²à¥‡ ही न आये, शरà¥à¤® तो आये-वो सब à¤à¤¸à¥‡ ही धरे रह गये। उनका हाथ जड़ हो गया था। इस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को गाली देने से फ़ायदा? इसका जीवन तो ख़à¥à¤¦ à¤à¤• गाली है।
"दैनिक à¤à¤¾à¤¸à¥à¤•à¤°" में "विसà¥à¤«à¥‹à¤Ÿ"
कà¥à¤› समय पहले समकाल में संजय तिवारी जी का लेख छà¥à¤ªà¤¾ था जिसमें उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ हिनà¥à¤¦à¥€ बà¥à¤²à¥‰à¤— जगत के बारे में लिखा था. उसके बाद à¤à¥€ वह कà¥à¤› समय तक समकाल में लिखते रहे. पिछà¥à¤²à¥‡ कई महीनों से वह अपने अलग डोमेन पर चले गये हैं और अपनी पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ विसà¥à¤«à¥‹à¤Ÿ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कई सामयिक मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ को… Continue reading "दैनिक à¤à¤¾à¤¸à¥à¤•à¤°" में "विसà¥à¤«à¥‹à¤Ÿ"
कौन किसका खाना है?
अकेलेपन का साथी इस क़िसà¥à¤¸à¥‡ से हमने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सीख दिलायी। क़िबला ने दूसरे पैंतरे से घोड़ी खरीदने का विरोध किया। वो इस बात पर ग़à¥à¤¸à¥à¤¸à¥‡ से à¤à¥œà¤• उठते थे कि बिशारत को उनके चमतà¥à¤•à¤¾à¤°à¥€ वजीफ़े पर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ नहीं। वो ख़ासे गलियर थे। बेटे को खà¥à¤² कर तो गाली नहीं दी। बस इतना कहा कि अगर… Continue reading कौन किसका खाना है?
कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के चाल चलन की चौकीदारी
किसी शà¥à¤à¤šà¤¿à¤‚तक ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सलाह दी थी कि जिस घर में कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ हों, वहां फ़रिशà¥à¤¤à¥‡, बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— और चोर नहीं आते। उस जालिम ने यह न बताया कि फिर सिरà¥à¥ž कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ ही आते हैं। अब सारे शहर के बालिग़ कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ उनकी कोठी का घेराव करे पड़े रहते हैं। शहजादी सà¥à¤µà¤¯à¤‚ शतà¥à¤°à¥ से मिली हà¥à¤ˆ है।
घोड़े का इलाज जादू से
जादू मंतà¥à¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उपचार रिशà¥à¤µà¤¤ और मालिश की रक़म अब घोड़े की क़ीमत और उनकी सहनशकà¥à¤¤à¤¿ की सीमा को पार कर चà¥à¤•à¥€ थी। पकड़-धकड़ का सिलसिला किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° समापà¥à¤¤ होने में नहीं आता था। तंग आकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने रहीम बख़à¥à¤¶ की जबानी इंसà¥à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤° को यह तक कहलाया कि तà¥à¤® मेरी दà¥à¤•à¤¾à¤¨ में उगाही की नौकरी कर… Continue reading घोड़े का इलाज जादू से