पास हुआ तो क्या हुआ

बेइज्जती के जितने प्रचुर अवसर हमारे यहां हैं दुनिया में कहीं और नहीं। नौकरी पेशा आदमी बेइज्जती को प्रोफ़ेशनल हेजर्ड समझ कर स्वीकार करता है।

फ़ेल होने के फायदे

फ़ेल होने पर सिर्फ एक दिन आदमी की बेइज्जती खराब होती है इसके बाद चैन ही चैन।

मैं पापन ऎसी जली कोयला भई न राख

जीवन की नश्वरता की कहानी….

खरबूजा खुद को गोल कर ले तब भी तरबूज नहीं बन सकता

किबला वाली कहानी का अंत अब निकट है. इसमें व्यंग्य के साथ साथ करुणा भी है और जीवन की सच्चाई भी. अब आप आगे पढ़िये. =========================================== हम जिधर जायें दहकते जायें कराची में दुकान तो फिर भी थोड़ी बहुत चली, मगर क़िबला बिल्कुल नहीं चले। ज़माने की गर्दिश पर किसका ज़ोर चला है जो उनका… Continue reading खरबूजा खुद को गोल कर ले तब भी तरबूज नहीं बन सकता

बीबी! मिट्टी सदा सुहागन है

व्यंग्य हो और उसमें छिपा हुआ ग़म ना हो तो फिर कैसा व्य़ंग्य. अब कौन कहेगा कि क़िबला जो इतने गुस्सैल हैं वो दिल के कितने पाक-साफ हैं. आप भी देखिये क्या है उनकी ज़िन्दगी का ग़म. =========================================== अपाहिज बीबी और गश्ती चिलम उनकी जिंद़गी का एक पहलू ऐसा था जिसके बारे में किसी ने… Continue reading बीबी! मिट्टी सदा सुहागन है

क़िबला का रेडियो ऊंचा सुनता था

पिछ्ली पोस्ट में नीरज जी ने कहा. “किताब हर लिहाज़ से विलक्षण है. शब्द यहाँ जादू से जगाते लगते हैं…हैरानी होती है पढ़ के की इंसान के जेहन में ऐसे जुमले आ कहाँ से जाते हैं…ये किताब हर समझदार इंसान को पढ़नी चाहिए…” संजीत जी बोले ” वाकई शानदार शब्द चित्र। अभी तक आपने इस… Continue reading क़िबला का रेडियो ऊंचा सुनता था

खोया पानी: ओलती की टपाटप

यूसूफी साहब शब्द चित्र खीचने में माहिर हैं. एक छोटा सा उदाहरण देखिये जहाँ सत्तर साल के किबला अपने गांव की पुराने दिनों की याद में खो जाते हैं. =========================================== सत्तर साल के बच्चे की सोच में तस्वीरें गडमड होने लगतीं। खुशबुऐं, नरमाहटें और आवाजें भी तस्वीरें बन-बन कर उभरतीं। उसे अपने गांव में मेंह… Continue reading खोया पानी: ओलती की टपाटप

दौड़ता हुआ पेड़

एक अच्छे व्यंगकार की खासियत है कि हास्य के रंगो के साथ साथ यथार्थ के ऎसे रंग मिलाये जायें कि पाठक को पता भी ना चले और गहरी से गहरी बात उसके दिमाग में सीधे उतर जाये.अंतिम पैरे में किबला के गांव का वर्णन तो देखिये. लगता है पूरा का पूरा चित्र आंखों के सामने… Continue reading दौड़ता हुआ पेड़

मीर तकी मीर कराची में

[ व्यंग्य की दुनिया का अद्भुत नमूना है “खोया पानी”. यदि किसी को व्य़ंगकार की ओबजर्वेशन की ताकत का पता करना हो तो इस उपन्यास को पढ़े.यह पाकिस्तान के मशहूर व्यंग्यकार मुश्ताक अहमद यूसुफी की किताब आबे-गुम का हिन्दी अनुवाद है. इस पुस्तक के अनुवाद कर्ता है ‘लफ़्ज’ पत्रिका के संपादक श्री ‘तुफैल चतुर्वेदी’ जी. … Continue reading मीर तकी मीर कराची में