नराई के बहाने सिर्फ नराई

मेरा पहाड़ से क्या रिश्ता है ये बताना मैं आवश्यक नहीं मानता पर पहाड़ मेरे लिये ना तो प्रकृति को रोमांटिसाईज करके एक बड़ा सा कोलार्ज बनाने की पहल है ना ही पर्यावरणीय और पहाड़ की समस्या पर बिना कुछ किये धरे मोटे मोटे आँसू बहाने का निठल्ला चिंतन.ना ही पहाड़ मेरा अपराधबोध है,ना ही… Continue reading नराई के बहाने सिर्फ नराई

जूता पुराण पॉडकास्ट – 2

इस पॉड्कास्ट में मैने थोड़ा सा नया प्रयोग करने का प्रयास किया है. पॉड्कास्ट यहां पढ़ें . joota_puran1_5.mp3 इस पॉड्कास्ट में मेरी आवाज के अतिरिक्त मेरी पत्नी और पुत्र की आवाज के साथ एक स्पेशल आवाज भी है . अपनी टिप्पणीयों से उत्साह वर्धन करें

जूता पुराण पॉडकास्ट – 1

जब मैने पॉडकास्टिंग शुरु की थी तो उस समय आर.सी.मिश्रा जी ने सुझाया था कि पॉडकास्ट को ब्लौग में ही लगा दें . इसीलिये इस नये ब्लौग में वही करने का प्रयास है. पहली पॉड्कास्ट पेश है….. इसे यदि पढ़ना चाहें तो यहाँ पढ़ें . joota_puran1.mp3 आगे से नियमित पॉडकास्ट करने का विचार है. सुनते… Continue reading जूता पुराण पॉडकास्ट – 1

“नराई” के बहाने,चिट्ठाजगत पर बहस

कल स्वामी जी से मुलाकात हुई तो उन्होने ब्लौग लिखने के कई तरीके बताए. कई नयी बातें सीखने को मिली. य़े सत्य है कि आज भी हिन्दी चिट्ठाकरिता में उस विविधता की कमी है जो अन्य भाषाओं के ( विशेषकर अंग्रेजी ) के चिट्ठों में मिलती है लेकिन विकसित और विकाशसील का अंतर समाप्त होने… Continue reading “नराई” के बहाने,चिट्ठाजगत पर बहस

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जूता-सैंडल पुराण का अंतिम भाग

कल जब अपनी नयी प्रयोगात्मक पॉड्कास्ट को फाइनल टच दे रहे थे  कि कहीं से आवाज आयी. का गजब हुआ जब लव हुआ ….. का गजब हुआ जब लव हुआ .. गांव के गँवार छोरे को जब शहर की स्मार्ट लड़की से प्यार हो जाता है तो वो जैसे खुश होकर इधर उधर डोलता है… Continue reading जूता-सैंडल पुराण का अंतिम भाग

पुराण पॉडकास्ट का प्रयोग

जब पहली पॉडकास्ट आप सब के सामने प्रस्तुत कर रहा था तो यह नहीं सोचा था कि इतने सारे लोग उस पॉडकास्टको सुनेंगे, पर आप द्वारा दी टिप्पणियों से उत्साह वर्धन हुआ और आज लेकर आया हूं एक और पॉडकास्ट। इस पॉडकास्ट में मैंने थोड़ा सा नया प्रयोग करने का प्रयास किया है। पॉडकास्ट यहां… Continue reading पुराण पॉडकास्ट का प्रयोग

जूता – सैंडल पुराण -भाग 1.5

सर की सूजन से कुछ आराम मिला ही था कि अचानक फिर सर बज उठा। हम सोचे.. कि अब क्यों सैंडल रानी हम पर बजी पर देखा तो सैंडल रानी नहीं बल्कि जूता महाशय थे। हमने उनसे पूछा कि भाई अब आपको क्या आपत्ति है? तो वो बोले कल आपने “जूते की प्रेमिका सैंडल रानी”… Continue reading जूता – सैंडल पुराण -भाग 1.5

ज़ूता-सेंडल पुराण की पोडकास्ट

आज जीतू जी के अतीत की कथा सुनकर ब्लॉग-नाद के बारे में पता चला, तो मेरी भी इच्छा हुई कि मैं अपनी आवाज रिकार्ड कर पॉड़कास्टिंग करूं। तो प्रस्तुत करता हूं मेरा पहला पॉडकास्ट। अभी ये केवल .mp3 में ही अपलोड कर पा रहा हूं। पोडकास्ट यहां सुने . अपनी टिप्पणी दें और कोई गलती… Continue reading ज़ूता-सेंडल पुराण की पोडकास्ट

जूता- सैंडल पुराण – भाग 1

यह चिट्ठा 3 अप्रैल 2007 को यहाँ प्रकाशित किया गया था।` जूतमबाजी जारी है। कोई सिले जूते की भाषा सुनते सुनते इतना पक गया है, कि कहता है जूते की सुनो वो तुम्हारी सुनेगा। कोई फटे जूते की व्यथा कथा कहते नहीं थक रहा। लेकिन मजे की बात यह है कि ये तो कोई बता… Continue reading जूता- सैंडल पुराण – भाग 1

जुरासिक पार्क का सच

यह चिट्ठा 2 अप्रैल 2007 को यहाँ प्रकाशित किया गया था। “जुरासिक पार्क” कुछ दिनों पहले एक पोस्ट में पढ़ा था कि हिन्दी ब्लॉगिंग वाले जैसे जुरासिक पार्क में रहते हैं। उसी से मिलता जुलता एक कार्टून आज मिला। आप भी देखिये।