ज़लील करने के अलग अलग शेड

मैंने आंख से, कुहनी के टहूके से, खंखार के, बहुतेरे इशारे किये कि अल्लाह के बंदे! अब तो बस कर। हद ये कि मैंने दायें कूल्हे पर चुटकी काटी को बायां भी मेरी तरफ़ करके खड़ा हो गया।मीर तक़ी मीर, जो ख़ुद बचपने में यतीम हो गये थे, ने मोहनी नाम की बिल्ली और कुतिया पर तो प्रशंसा में काव्य लिखे पर मासूम यतीमों पर फ़ूटे मुंह से एक लाइन न कह के दी।

आइडियल यतीम का हुलिया

छोटे क़द और बीच की उम्र के हों। इतने बड़े और ढ़ीठ न हों कि थप्पड़ मारो तो घंटे भर तक हाथ झनझनाता रहे और उन हरामियों का बाल भी बांका न हो। जाड़े में जियादा जाड़ा न लगता हो। यह नहीं कि जरा-सी सर्दी बढ़ जाये तो सारे क़स्बे में कांपते, कंपकंपाते, किटकिटाते फिर रहे हैं

ज़लील करने के कायदे

यह इज्जत किसे नसीब होती है कि अकारण जलील होने के फ़ौरन बाद दूसरों को अकारण जलील करके हिसाब बराबर कर दे। उनके घायल स्वाभिमान के सारे घाव पल भर में भर गये।

नौकरी या खुदकुशी

मर्द ऐसे मौक़ों पर ख़ून कर देते हैं और नामर्द ख़ुदकुशी कर लेते हैं। उन्होंने यह सब कुछ नहीं किया, नौकरी की जो क़त्ल और ख़ुदकुशी दोनों से कहीं जियादा मुश्किल है।

विशेष मूली और अच्छा-सा नाम

चमगादड़ सब्जियां वायु खोलने वाली होती हैं। इससे उनका तात्पर्य उन पौधों से था जो अपने पैर आसमान की तरफ़ किये रहते हैं। जैसे गाजर, गोभी, शलग़म। फिर उन्होंने पत्ते देख कर यह पहचानना बताया कि कौन-सी मूली तीखी फुफ्फुस निकलेगी और कौन-सी जड़ेली और मछेली।

कोई बतलाओ कि हम बतलायें क्या?

इंटरव्यू दोबारा शुरू हुआ तो जिस शख़्स को चपरासी समझे थे, वो खाट की अदवायन पर आ कर बैठ गया। वो धार्मिक विषयों का मास्टर निकला जो उन दिनों उर्दू टीचर की जिम्मेदारी भी निभा रहा था। इन्टरव्यू में सबसे जियादा धर-पटक उसी ने की।

ब्लैक होल ऑफ़ धीरजगंज

हवा में हुक़्के, पान के बनारसी तम्बाक़ू, कोरी ठिलिया, कोने में पड़े हुए खरबूज़े के छिलकों, ख़स के इत्र और गोबर की लिपाई की ताजा गंध बसी हुई थी और उन पर हावी भबका था जिसके बारे में विश्वास से नहीं कहा जा सकता था कि यह देसी जूतों की बू है जो पैरों से आ रही है या पैरों की सड़ांध है जो जूतों से आ रही है।

हलवाई की दुकान और कुत्ते का नाश्ता

उन्हें आज पहली बार मालूम हुआ कि गांव में मेहमान के आने का ऐलान कुत्ते, चोर और बच्चे करते हैं उसके बाद वो सारे गांव और हर घर का मेहमान बन जाता है।

मौलवी मज्जन से तानाशाह तक

कभी अपने बुजुर्ग या बॉस या अपने से अधिक बदमाश आदमी को सही रास्ता बताने की कोशिश न करना। उन्हें ग़लत राह पर देखो तो तीन ज्ञानी बंदरों की तरह अंधे, बहरे और गूंगे बन जाओ!

नेकचलनी का साइनबोर्ड

समझ में न आया कि नेकचलनी का क्या सुबूत हो सकता है, बदचलनी का अलबत्ता हो सकता है। उदाहरण के लिये चालान,मुचलका, गिरफ़्तारी-वारंट, सजा के आदेश की नक़्ल या थाने में दस-नम्बरी बदमाशों की लिस्ट।पांच मिनट में आदमी बदचलनी तो कर सकता है नेकचलनी का सुबूत नहीं दे सकता।