मेरी आवाज में मधुशाला का एक
Author: काकेश
मैं एक परिन्दा....उड़ना चाहता हूँ....नापना चाहता हूँ आकाश...
मैं और मेरी मधुशाला..
मेरी दीवानगी मधुशाला के प्रति
परुली….
परुली जो एक आम लड़की है उसी की है यह कहानी ….
बुद्धिजीवियों के देश में…..
भारत विकट बुद्धिजीवियों का देश है. एक को ढूंढो हजार मिलते हैं. कमी नहीं ग़ालिब.
पुस्तकें जो खरीदी गयीं….
किताबों का अनोखा
मैं पापन ऎसी जली कोयला भई न राख
जीवन की नश्वरता की कहानी….
एक और खिचड़ी पोस्ट
खिचड़ी बड़ी नमकीन है.
कौन कैसे टूटता है ?
एक मार्मिक प्रस्तुति
अगर पिलाने का दम है तो जारी रख यह मधुशाला
हरिवंशराय बच्चन और मधुशाला को जानने वाले बहुत कम लोग जानते होंगे कि उन्होने मधुशाला पर दो पुस्तकें लिखी. पहली पुस्तक जो 1933 में लिखी वह थी “खैयाम की मधुशाला” . इस पुस्तक में जॉन फिट्ज़राल्ड की पुस्तक के प्रत्येक पद का अनुवाद था. दूसरी पुस्तक जो लिखी गयी वो थी “मधुशाला”. अधिकांश लोग इस… Continue reading अगर पिलाने का दम है तो जारी रख यह मधुशाला
नराई ह्यूं (बरफ) की
दिल्ली की बढ़ती ठंड को देख मुझे इच्छा हुई कि मैं कका से पूछूं कि पहाड़ में जब कड़ाके की ठंड पड़ती थी या बरफ पड़ती थी तो कैसा माहौल होता था और कैसे लोग उस ठंड का सामना करते थे. क्या बताऊँ भुला… पहाड़ में ठंड तो यहाँ की ठंड से भौते ज्यादा हुई… Continue reading नराई ह्यूं (बरफ) की