मैं पापन ऎसी जली कोयला भई न राख

जीवन की नश्वरता की कहानी….

अगर पिलाने का दम है तो जारी रख यह मधुशाला

हरिवंशराय बच्चन और मधुशाला को जानने वाले बहुत कम लोग जानते होंगे कि उन्होने मधुशाला पर दो पुस्तकें लिखी. पहली पुस्तक जो 1933 में लिखी वह थी “खैयाम की मधुशाला” . इस पुस्तक में जॉन फिट्ज़राल्ड की पुस्तक के प्रत्येक पद का अनुवाद था. दूसरी पुस्तक जो लिखी गयी वो थी “मधुशाला”. अधिकांश लोग इस… Continue reading अगर पिलाने का दम है तो जारी रख यह मधुशाला

नराई ह्यूं (बरफ) की

दिल्ली की बढ़ती ठंड को देख मुझे इच्छा हुई कि मैं कका से पूछूं कि पहाड़ में जब कड़ाके की ठंड पड़ती थी या बरफ पड़ती थी तो कैसा माहौल होता था और कैसे लोग उस ठंड का सामना करते थे. क्या बताऊँ भुला… पहाड़ में ठंड तो यहाँ की ठंड से भौते ज्यादा हुई… Continue reading नराई ह्यूं (बरफ) की